गणेश चतुर्थी हिंदू धर्म का प्रमुख पर्व है। इसे विनायक चतुर्थी भी कहते हैं। यह दिन भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। गणेश जी को विघ्नहर्ता, बुद्धिदाता और मंगलकर्ता कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन उनकी पूजा करने से घर-परिवार में सुख-समृद्धि आती है और जीवन से सभी बाधाएँ दूर होती हैं।
📜 पौराणिक कथा
शिवपुराण और गणेश पुराण के अनुसार, माता पार्वती ने स्नान करते समय अपने शरीर के उबटन से गणेश जी को बनाया और उन्हें द्वार पर प्रहरी के रूप में खड़ा कर दिया। जब भगवान शिव आए, तो गणेश जी ने उन्हें भीतर प्रवेश नहीं करने दिया। क्रोधित होकर शिव ने उनका मस्तक काट दिया। बाद में माता पार्वती के अनुरोध पर शिव ने हाथी का सिर लगाकर गणेश को पुनर्जीवित किया और उन्हें सर्वप्रथम पूज्य देवता का स्थान दिया।
🕯️ पूजा विधि
प्रातः स्नान कर घर के पूजा स्थल को साफ करें।
मिट्टी/मूर्ति स्वरूप में गणेश जी को स्थापित करें।
शुद्ध जल, गंगाजल से अभिषेक करें।
गणपति को दूर्वा (हरी घास), मोदक, लाल फूल, और सिंदूर चढ़ाएँ।
गणेश जी के प्रिय मंत्रों का जाप करें।
दिनभर व्रत-उपवास कर शाम को आरती करें।
✨ विशेष मंत्र
“ॐ गण गणपतये नमः”
“वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥”
🎉 पर्व का आयोजन
महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक और आंध्रप्रदेश में इस उत्सव का विशेष महत्व है।
बड़े-बड़े पंडालों में भव्य प्रतिमाएँ स्थापित होती हैं।
सांस्कृतिक कार्यक्रम, भजन-कीर्तन और शोभा यात्राएँ आयोजित होती हैं।
10 दिनों तक गणेशोत्सव मनाने के बाद अनंत चतुर्दशी पर विसर्जन होता है।
प्रयागराज महाकुंभ मेले में रविवार को भीषण आग लगने से 180 कॉटेज जलकर राख हो गए। टेंटों में रखे गैस सिलेंडरों में लगातार ब्लास्ट होते रहे। आग इतनी भयानक थी कि लपटें रेलवे ब्रिज से भी ऊंची उठ रही थीं। इस दौरान ब्रिज से ट्रेन भी निकली। आग में टेंटों में रखे लाखों रुपए के नोट जल गए। लोगों ने कहा- आधे घंटे तक पटाखे फूटने जैसी आवाज आती रही। शास्त्री ब्रिज के पास सेक्टर 19 कैंप में ये आग लगी। अफसरों के मुताबिक, खाना बनाते समय सिलेंडर ब्लास्ट से यह आग लगी थी। इसके बाद कई सिलेंडर ब्लास्ट हुए। आग बुझाने के लिए 12 फायर ब्रिगेड भेजी गई थीं। करीब एक घंटे के भीतर फायर ब्रिगेड ने आग पर काबू पा लिया है। आग में 50 टेंट जल चुके हैं। अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ घटना स्थल पर पहुंच कर हालात का जायजा ले रहे हैं।
प्रयागराज में मकर संक्रांति के मौके पर महाकुंभ का पहला अमृत स्नान हुआ। इसमें 3.5 करोड़ लोगों ने डुबकी लगाई। गुजरात के अहमदाबाद में भी काइट फेस्टिवल मनाया जा रहा है। महोत्सव में भाग लेने के लिए देश के 11 राज्यों से 52 और 47 देशों से 143 पतंगबाज पहुंचे हैं। अमित शाह ने अहमदाबाद में पतंग उड़ाई। वहीं, राजस्थान में भी पतंगबाजी का उत्सव मनाया जा रहा है। जयपुर के परकोटा स्थित गोविंद देवजी मंदिर में आज पतंगों की झांकी सजाई गई है। भक्त दर्शन के लिए यहां पहुंच रहे हैं। तमिलनाडु में पोंगल के मौके पर घरों में रंगोली सजाई गई। चेन्नई एयरपोर्ट में लाइटिंग की गई। वहीं बैलों की दौड़ जल्लीकट्टू भी आज से शुरू हो गई। असम में लोग बिहू का त्योहार मना रहे हैं। मध्य प्रदेश में मकर संक्रांति पर्व पर उज्जैन की शिप्रा नदी में बड़ी संख्या में श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाने पहुंच रहे हैं। स्नान के बाद श्रद्धालुओं ने दान-पुण्य किया और भगवान महाकाल का आशीर्वाद भी ले रहे हैं। मकर संक्रांति पर बाबा महाकाल को तिल के उबटन से स्नान कराने के बाद तिल से बने पकवानों का भोग अर्पित किया गया राजस्थान में मकर संक्रांति मनाई जा रही है। इसके साथ जयपुर, सीकर समेत प्रदेश के कई जिलों में मंगलवार सुबह से ही पतंगबाजी शुरू हो गई। जयपुर के परकोटा स्थित गोविंद देवजी मंदिर में आज पतंगों की झांकी सजाई गई है। सुबह से ही लोग दर्शन के लिए यहां पहुंच रहे हैं।
देशभर में बुधवार 25 दिसंबर को क्रिसमस का पर्व मनाया जाएगा। ऐसे में देश के अलग-अलग हिस्सों में क्रिसमस सेलिब्रेशन शुरू चुका है। मेघालय की राजधानी शिलांग के विभिन्न हिस्सों और चर्चों में रंगारंग क्रिसमस कैरोल का आयोजन किया गया। इस मौके पर लोग उत्साह से भरपूर है और पूरे शहर में खुशी का माहौल है। इस अवसर पर घरों, सरकारी कार्यालयों और व्यावसायिक भवनों को रोशनी से सजाया गया। क्रिसमस की पूर्व संध्या पर लोगों को समूहों में घूमते देखा जा सकता है। शिलांग के नोंगपोह में कैथोलिक चर्च ने एक मोबाइल क्रिसमस कैरोल कार्यक्रम का आयोजन किया। वहीं पश्चिम जयंतिया हिल्स जिले के जोवाई में पूरे शहर को एक उत्सवी वंडरलैंड में तब्दील कर दिया गया है। यहाँ के चर्च, सड़कें, घर और सरकारी इमारतों को खूबसूरत रोशनी और जगमगाते सितारों से सजाया गया हैं। शहर के अन्य इलाकों, जैसे लुम्पारियाट और मूकयार्डुप में भी भव्य लाइटिंग की गई है। राज्य के लोग भी इस पर्व का आनंद लेने के लिए बड़ी संख्या में घरों से बाहर निकल आए है सड़कों पर घूमते नजर आए।
नई दिल्ली: नवरात्रि के दौरान माता के भक्त देश-विदेश के अलग-अलग कोनों से वैष्णों देवी के दरबार में पहुंच रहे हैं। श्री माता वैष्णो देवी धाम इस बार शारदीय नवरात्रि के पावन अवसर पर स्वर्ग सा दिखाई दे रहा है। नवरात्रि पर वैष्णो देवी दर्शन को लेकर प्रशासन के खास इंतजाम. कटड़ा में मौजूद डीडी न्यूज़ संवाददाता अमरेन्द्र गुप्ता के साथ विशेष बातचीत के दौरान श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड के सीईओ अंशुल गर्ग ने कहा कि इस बार पूरे नवरात्रि में माता वैष्णो देवी धाम में आने वाले सभी श्रद्धालुओं की यात्रा बेहद खास है क्योंकि हर साल की तरह इस बार भी नवरात्रि पर विशेष तैयारियां की गईं हैं, इसमें श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए आरएफआईडी यात्रा कार्ड, स्पेशल प्रसाद, लंगर व्यवस्था, यात्रा प्रबंधन और सुरक्षा इंतजाम के साथ अन्य आवश्यक सेवाएं शामिल हैं।
10 दिनों तक चलने वाले गणेश उत्सव का समापन गणपति बप्पा के विसर्जन के साथ होता है. गणपति बप्पा की विदाई … गणेश विसर्जन भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को करते हैं. उस दिन अनंत चतुर्दशी होती है. जिन लोगों के घरों पर 10 दिनों के लिए बप्पा विराजते हैं, वे गणेश विसर्जन अनंत चतुर्दशी को करते हैं. लोग गणपति बप्पा को खुशी-खुशी विदा करते हैं और अगले साल फिर आने को कहते हैं. माना जाता है कि गणपति अपने साथ भक्तों के दुखों को लेकर जाते हैं और उनके जीवन को खुशहाली से भर देते हैं. इस साल गणेश विसर्जन 17 सितंबर दिन मंगलवार को है. उस दिन ही अनंत चतुर्दशी मनाई जाएगी. पंचांग के अनुसार, अनंत चतुर्दशी के दिन के लिए आवश्यक भाद्रपद शुक्ल चतुर्दशी तिथि 16 सितंबर सोमवार को दोपहर 3:10 बजे से लेकर 17 अगस्त मंगलवार को दिन में 11 बजकर 44 मिनट तक मान्य है.
गणेश विसर्जन के लिए शुभ चौघड़िया मुहूर्त सुबह का मुहूर्त (चर, लाभ, अमृत): 09:11 ए एम से 01:47 पी एम तक अपराह्न का मुहूर्त (शुभ): 03:19 पी एम से 04:51 पी एम तक सायंकालीन मुहूर्त (लाभ): 07:51 पी एम से 09:19 पी एम रात का मुहूर्त (शुभ, अमृत, चर): 10:47 पी एम से 03:12 ए एम, सितम्बर 18
दिन का शुभ चौघड़िया मुहूर्त चर-सामान्य मुहूर्त: 09:11 ए एम से 10:43 ए एम तक लाभ-उन्नति मुहूर्त: 10:43 ए एम से 12:15 पी एम तक अमृत-सर्वोत्तम मुहूर्त: 12:15 पी एम से 01:47 पी एम तक शुभ-उत्तम मुहूर्त: 03:19 पी एम से 04:51 पी एम तक
7 सितंबर से शुरू होने वाले दस दिवसीय उत्सव के दौरान हर साल लाखों लोग मुंबई से कोंकण के लिए यात्रा करते है। गणेश भक्तों के लिए 342 स्पेशल ट्रेनें. कोंकण जाने के लिए लोगों ने 300 गणपति स्पेशल ट्रेनों की मांग की गई थी, लेकिन भारतीय रेलवे ने भक्तों की सुविधा को देखते हुए 342 ट्रेनों को चलाने का फैसला किया है। ताकि किसी भी भक्त को परेशानी ना उठानी पड़े। ये ट्रेनें 7 सितंबर से ही शुरू कर दी जाएंगी। साथ ही जब तक उत्सव खत्म नहीं होगा। तब तक चलती रहेंगी। हाल ही में रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव ने गुरुवार को मुंबई में बांद्रा टर्मिनस और गोवा में मडगांव के बीच एक द्वि-साप्ताहिक ट्रेन के उद्घाटन को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया है। ये स्पेशल ट्रेन मुंबई के पश्चिमी उपनगरों और तटीय कोंकण क्षेत्र के बीच सीधी कनेक्टिविटी प्रदान करती है। वैष्णव ने इस अवसर पर कहा कि चल रही 12 बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के पूरा होने से मुंबई में उपनगरीय ट्रेन नेटवर्क में काफी सुधार होगा।
भागवत भूषण पंडित प्रदीप मिश्रा के सिर में चोट लगने से उनके मस्ष्कि में सूजन आ गई है। Pradeep Mishra: पंडित प्रदीप मिश्रा घायल, महादेव होली में सिर में लगा नारियल, अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स पर उन्होंने इस बात की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि आष्टा में महादेव होली के दौरान किसी ने नारियल फेंका था, जो उनके सिर में लग गया। इससे उनके मस्तिष्क में सूजन आ गई है। इस वजह से अब वे कुछ दिनों तक कथाएं नहीं करेंगे। डॉक्टरों ने उन्हें आराम की सलाह दी है। पंडित प्रदीप मिश्रा सोमवार को नीमच के मनासा में शिवमहापुराण कथा करने पहुंचे। यहां आकर उन्होंने कहा कि मेरा स्वास्थ्य खराब है, लेकिन मैं सिर्फ आप लोगों से मिलने आया हूं। उन्होंने कहा- ’29 मार्च को आष्टा में महादेव होली खेली गई थी। इस दौरान गुलाल की जगह किसी ने नारियल फेंका जिसके कारण ब्रेन में थोड़ी दिक्कत आ गई। अंदर की तरफ चोट लगने के कारण ब्रेन में सूजन हो गई है। डॉक्टरों ने कहा है कि दिमाग पर ज्यादा जोर नहीं देना है। जब तक डॉक्टर परमिशन नहीं देते हम कथा नहीं कर सकते। गत शुक्रवार को सीहोर जिले के आष्टा में महादेव की होली का आयोजन समिति द्वारा किया गया था। भव्य चल समारोह के दौरान गुरुदेव के सिर में नारियल लगने के कारण अंदरूनी चोटें आई है। पिछले तीन दिनों से वे अस्पताल में भर्ती थे, लेकिन सोमवार से आरंभ होने वाली शिव महापुराण में पहुंचे गुरुदेव ने जैसे ही अपने स्वास्थ्य के विषय में जानकारी दी, वैसे ही पूरे देश के श्रद्धालुओं ने भागवत भूषण मिश्रा के शीघ्र स्वास्थ्य की कामना को लेकर भगवान शिव शंकर से प्रार्थना का सिलसिला शुरू कर दिया। पंडित मिश्रा के सीहोर स्थित कुबेरेश्वरधाम से पूरे विश्व में श्रद्धालु जुड़े हुए हैं और उनके जल्द सेहतमंद होने की प्रार्थना की जा रही है।
Ramadan 2024: इस साल रमजान का महीना 12 मार्च मंगलवार से शुरू हो रहा है। Ramadan 2024 । शुरू हो रहा है रमजान का पवित्र महीना… 10 अप्रैल बुधवार को ये ख़त्म हो जायेगा और इसके बाद ईद उल-फितर मनाई जाएगी। रमजान के दौरान, मुसलमान सुबह से सूर्यास्त तक उपवास करते हैं। रोजा रखने के दौरान भोजन, पेय, धूम्रपान और वैवाहिक संबंधों से परहेज किया जाता है। इस उपवास को आत्मा को शुद्ध करने, आत्म-अनुशासन विकसित करने और कम भाग्यशाली लोगों के लिए सहानुभूति पैदा करने के एक तरीके के रूप में देखा जाता है। यह आध्यात्मिक चिंतन के साधन के रूप में भी कार्य करता है, जिससे मुसलमानों को ईश्वर के साथ अपने रिश्ते पर ध्यान केंद्रित करने, अपनी भक्ति बढ़ाने और पिछले पापों के लिए क्षमा मांगने की अनुमति मिलती है।
रोजे के अलावा, मुसलमान रमजान के दौरान प्रार्थना और कुरान का पाठ करते हैं। कई लोग जरूरतमंद लोगों की मदद करने के लिए दान भी देते हैं, जिसे ज़कात अल-फ़ितर के नाम से जाना जाता है। इसके अलावा परिवार और समुदाय के साथ अपने संबंधों को मजबूत करने के लिए मुस्लमान भोजन का आयोजन करते हैं। मुस्लिम समुदाय सुबह से पहले सहरी और सूर्यास्त के बाद इफ्तार का आयोजन करता है। इसलिए सहरी और इफ्तार के समय का ध्यान रखना जरूरी है। ऐसे में चलिए रमजान के दौरान सहरी और इफ्तार के समय पर एक नजर डाल लेते हैं।
उत्तर प्रदेश (UP) में एसआईटी (Special Investigation Team) जांच में 13000 मदरसे अवैध पाये गए हैं. क्या होते हैं मदरसे, क्या होती है पढ़ाई, कौन देता है इन्हें पैसा? इन मदरसों को बंद करने की सिफारिश की गई है. अवैध पाये गए ज्यादातर मदरसे भारत-नेपाल बॉर्डर पर स्थित हैं. जांच में पाया गया है कि काफी मदरसे ऐसे हैं जो हिसाब-किताब का ब्योरा नहीं दे पाए. एसआईटी को आशंका है कि इन मदरसों का निर्माण हवाला के जरिये मिल रहे धन से किया गया है. कई मदरसों संचालकों ने स्वीकार किया है कि इनका निर्माण खाड़ी देशों से मिले चंदे से किया गया है.
यूपी एसआईटी ने अपनी जांच में पाया कि इन मदरसों में धर्मांतरण (Conversion) की गतिविधियों को बढ़ावा दिया जा रहा था. यह भी आशंका है कि इन मदरसों का इस्तेमाल भारत विरोधी गतिविधियों के लिए भी किया जा रहा हो. बीते सालों में नेपाल सीमा से लगे शहरों के 80 मदरसों में विदेशों से करीब 100 करोड़ रुपये की फंडिंग की बात भी सामने आई थी. बीते 25 सालों में बहराइच, श्रावस्ती ,महाराजगंज और सिद्धार्थ नगर समेत कई जिलों में तेजी से मदरसे बने हैं.
मदरसे आखिर होते क्या हैं?
मदरसा शब्द की उत्तपति अरबिक शब्द ‘डी-आर-एस’ से हुई है। मदरसा शब्द का मतलब होता है, पढ़ाई करने का स्थान। आधुनिक अरब भाषा के अनुसार, मदरसा शब्द का मतलब कई शैक्षिक संस्थानों से भी होता है। जो धर्मनिरपेक्ष और आधुनिक होते हैं। वहीं दक्षिण एशिया में इस शब्द का मतलब उच्च इस्लामिक शिक्षा का केंद्र होता है। जहां छात्रों को इस्लामिक कानून और तकीनक सिखाई जाती है। मदरसे से जिस ज्ञान को हासिल किया जाता है, उसे जरिया कहते हैं। मदरसों की सबसे अहम बात ये है कि यहां मोहम्मद साहब के जीवन और पवित्र कुरान की सीख को अपनी जिंदगी में उतारने की सीख दी जाती है।
ईरान के बगदाद में अबासिद काल में मदरसों की स्थापना की गई थी, जिनका काम ज्ञान का प्रचार प्रसार करना था। दुनिया के सबसे पुराने मदरसे की स्थापना मोरक्को के फेज में 859 में की गई थी। जो आज भी मौजूद है। इसे यूनिवर्सिटी ऑफ अल कारावियान के साथ जोड़ दिया गया है। भारत की राजधानी दिल्ली में बड़ी तादाद में मदरसे मोहम्म बिन तुगलक (1290-1351) के शासनकाल में बनाए गए थे। जहां शिक्षकों को सरकारी खजाने से तनख्वा मिला करती थी।
मदरसों में कौन सी शिक्षा दी जाती है?
यह एक आम धारणा बन गई है कि मदरसों में कट्टरपंथी शिक्षा दी जाती है। हालांकि पुराने जमाने में इन्हें इस्लामिक ज्ञान का प्रतीक कहा जाता था। जहां लोगों को बड़े पैमाने पर शिक्षा दी जाती है। इन मदरसों को धर्मनिरपेक्ष स्वरूप माना जाता था, जहां गैर मुस्लिम समुदाय से ताल्लुक रखने वाले बच्चे भी शिक्षा ग्रहण करने आते थे। 19वीं सदी के आखिर तक इनकी धर्मनिरपेक्षता बरकरार रही थी। लेकिन 1844 से इसमें बदलाव होने लगा। हुआ ये कि मदरसों से पास हुए ग्रेजुएट छात्रों को सरकारी नौकरी दिए जाने पर रोक लग गई। जिससे मुस्लिम समुदाय नाराज हुआ। ये वो समय था जब किसी के लिए भी अंग्रेजी शिक्षा को स्वीकार करना आसान नहीं था। अंग्रेजों ने मुसलमानों की पारंपरिक शिक्षा पर चोट की थी। उन्होंने शिक्षा व्यवस्था को विभाजित कर धार्मिक और गैर धार्मिक श्रेणी में बांट दिया था।
मदरसा व्यवस्था किस तरह चलती है?
मदरसे आम लोगों से मिले दान से चलते हैं, जिसमें सभी छात्रों को मुफ्त शिक्षा प्रदान की जाती है। यहां गांव से लेकर शहर तक के बच्चे आते हैं। इसमें अमीर और गरीब के बीच भेदभाव नहीं होता। जैसे-जैसे समय बदला कुछ मदरसे सरकार से स्वायत्त ही बने रहे जबकि कुछ के राज्य सरकारों के साथ संबंध हो गए। मदरसों में मुंशी, मौलवी, आलिम, काबिल, कामिल, फैजल और मुमताजुल अफजल नाम के डिप्लोमा और डिग्री प्रदान की जाती हैं।
मदरसों का सिलेबस वर्तमान और पहले के विद्वान उलेमाओं के सुझावों के हिसाब से तैयार किया गया है। क्या होते हैं मदरसे, क्या होती है पढ़ाई, कौन देता है इन्हें पैसा? आधुनिक समय में इसमें कंप्यूटर शिक्षा तक शामिल की गई है। इसके अलावा यहां अकीद, दिनायत, कुरान, उर्दू, हिंदी, अंग्रेजी, गणित, भूगोल, विज्ञान, अरबी, पर्शियन, मांटिग, फिलॉसफी, हैत, उरोज, कलाम, मा-अनी-वा-बयान, इतिहास, तफसीर और हदी वा उसूल ए हदीस जैसे विषयों की पढ़ाई होती है। इसके साथ ही मदरसों में विश्वविद्यालयों के द्वारा प्रस्तावित ब्रिज कोर्स भी कराए जाते हैं। इससे मदरसों में पढ़ने वाले छात्रों को मुख्य धारा की उच्च शिक्षा मिलती है।
Varanasi News: धर्म की नगरी काशी में महाशिवरात्रि पर शिव-पार्वती विवाह के उत्सव की रस्म शुरू हो गया है। बाबा श्री काशी विश्वनाथ बनेंगे दूल्हा, बुधवार को विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत आवास पर बाबा के रजत विग्रह का प्रतीक आगमन हुआ। अयोध्या से बाबा विश्वनाथ के विवाह रस्म के लिए रामायणी पं. वैद्यनाथ पांडेय के परिवार से भेजी गई हल्दी संध्या बेला में भगवान शिव को लगाई गई। इस रस्म के दौरान बाबा को खास बनारसी ठंडाई, पान और पंचमेवा का भोग लगाया गया। मंगल गीत के साथ काशी की महिलाओं ने बाबा विश्वनाथ के रजत प्रतिमा को परंपरा के अनुसार हल्दी लगाया। बाबा के तेल-हल्दी की रस्म महंत डॉ. कुलपति तिवारी के सानिध्य में हुई। पूजा अर्चना का विधान उनके पुत्र पं. वाचस्पति तिवारी ने पूर्ण करवाया। ढोलक की थाप और मंजीरे की खनक के बीच शिव-पार्वती के मंगल दाम्पत्य की कामना पर आधारित गीत गाए गए। बाबा विश्वनाथ के हल्दी रस्म के लिए शिवांजलि में वृंदावन से आए भक्तों की टोली ने बाबा के हल्दी के उत्सव के बाबा के समक्ष शिव-पार्वती प्रसंग को नृत्य की भंगिमाओं और भावों के माध्यम से जीवंत किया।
UP Government: उत्तर प्रदेश सरकार ने यूपी में कुछ महीने पहले गैरकानूनी तरीके से चल रहे मदरसों को लेकर एक एसआईटी गठित की थी। यूपी में 13 हजार अवैध मदरसे बंद करनेकी सिफारिश, SIT नेसरकार को सौंपी रिपोर्ट , एसआईटी की टीम ने यूपी सरकार को सौंपी अपनी रिपोर्ट में कहा था कि उसकी जांच में आजमगढ़ जिले के 313 मदरसों में से 219 फर्जी पाए गए हैं। इलाहाबाद HC ने आज़मगढ़ के दो मदरसों की ओर से दायर याचिका खारिज कर दी।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने पिछले साल नवंबर में राज्य सरकार को सौंपी गई विशेष जांच दल (एसआईटी) की रिपोर्ट को रद्द करने से इनकार कर दिया है, जिसमें कहा गया है कि एसआईटी जांच के दौरान आजमगढ़ जिले के 313 मदरसों में से 219 फर्जी पाए गए थे। एसआईटी की रिपोर्ट के अनुसार, ये फर्जी मदरसे केवल कथित तौर पर सरकारी सहायता का गबन करने के लिए कागजों पर अस्तित्व में थे। राज्य अधिकारियों की ओर से प्रस्ताव दिया गया कि इस संबंध में एफआईआर दर्ज की जानी चाहिए. न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेन्द्र ने 6 सितंबर, 2023 को दिए अपने फैसले में आज़मगढ़ के दो मदरसों द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया। यूपी मेंअवैध मदरसों की जांच कर रही एसआईटी नेअपनी रिपोर्ट यूपी सरकार को सौंप दी है। एघ्ऊ नेकरीब १३ हजार अवैध मदरसों को बंद करनेकी सिफारिश की है। इनमेंसेअधिकतर अवैध मदरसेनेपाल सीमा पर मौजूद हैं। एसआईटी नेअपनी रिपोर्ट मेंकई चौंकानेवालेखुलासेकिए हैं। इस रिपोर्ट के बाद बड़ी कार्रवाई की जा सकती है। दरअसल, जिन १३००० मदरसों को बंद करनेकी सिफारिश की गई है। वह अधिकतर नेपाल बॉर्डर सेसटे हुए जिलेहैं। महाराजगंज श्रावस्ती बहराइच समेत ७ जिलेऐसेहैंजहां मदरसों की संख्या ५०० सेभी अधिक बताई जा रही इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने पिछले साल नवंबर में राज्य सरकार को सौंपी गई विशेष जांच दल (एसआईटी) की रिपोर्ट को रद्द करने से इनकार कर दिया है, जिसमें कहा गया है कि एसआईटी जांच के दौरान आजमगढ़ जिले के ३१३ मदरसों में से २१९ फर्जी पाए गए थे। एसआईटी की रिपोर्ट के अनुसार, ये फर्जी मदरसे केवल कथित तौर पर सरकारी सहायता का गबन करने के लिए कागजों पर अस्तित्व में थे। राज्य अधिकारियों की ओर से प्रस्ताव दिया गया कि इस संबंध में एफआईआर दर्ज की जानी चाहिए. न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेन्द्र ने ६ सितंबर, २०२३ को दिए अपने फैसले में आज़मगढ़ के दो मदरसों द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया। इन फर्जी मदरसों को कथित तौर पर आधुनिकीकरण योजना के तहत राज्य अनुदान प्राप्त हुआ था, जिसका उद्देश्य इन मदरसों को विभिन्न विषयों को पढ़ाने के लिए शिक्षक और वित्तीय सहायता प्रदान करना था। राज्य सरकार के वकील ने तर्क दिया कि, मदरसों के खिलाफ विभिन्न शिकायतों की जांच के लिए राज्य में एसआईटी का गठन किया गया था। इसने ३०.११.२०२२ को एक रिपोर्ट प्रस्तुत की जिसे दिनांक १९.१२.२०२२ की बैठक में राज्य सरकार के मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली एक समिति के समक्ष रखा गया है। अधिवक्ता के मुताबिक, याचिकाकर्ता मदरसा सहित विभिन्न मदरसों के खिलाफ विभिन्न कार्रवाई प्रस्तावित की गई, जिसमें एफआईआर दर्ज करना भी शामिल है। मदरसे के पदाधिकारियों के खिलाफ आईपीसी की धारा ४०९, ४२०, ४६७, ४६८ और ४७१ के तहत मामला दर्ज किया गया है। याचिकाकर्ताओं की दलील थी कि मदरसा अधिकारियों को कभी भी एसआईटी द्वारा की गई जांच को स्वीकार करने से पहले कोई अवसर प्रदान नहीं किया गया था।
जैन आचार्य विद्यासागर महाराज के निधन पर पीएम मोदी ने जताया शोक
जैन समुदाय के महावीर आचार्य विद्यासागर महाराज ने 3 दिन के उपवास के बाद समाधि ले ली है। आचार्य विद्यासागर महाराज ने समाधि ली, मध्यप्रदेश में आधे दिन का राजकीय शोक… उन्होंने छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ में चंद्रगिरी पर्वत पर देर रात करीब 2:35 बजे अपना शरीर त्यागा। उन्होंने मौन व्रत भी ले रखा था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज के निधन पर शोक व्यक्त किया है। पीएम मोदी ने आचार्य विद्यासागर महाराज के साथ अपनी कुछ तस्वीरें साझा हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी। सात ही प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी प्रार्थनाएं आचार्य के अनगिनत भक्तों के साथ हैं।
Kashi Vishwanath : काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास की 105वीं बैठक में मंदिर में काम करने वाले पुजारियों के हक में बड़ फैसला लिया गया है। दरअसल, अब मंदिर के मुख्य पुजारी को अब हर महीने 90 हजार रुपये सैलरी मिलेगी। इसके अलावा कनिष्ठ पुजारी को 80 हजार और सहायक पुजारी को 65 रुपये का वेतन दिया जाएगा। श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास ने पुजारी, कर्मचारी और सेवादारों की नियुक्ति की नई सेवा नियमावली तैयार कर ली है। 40 साल बाद बनी सेवा नियमावली देश भर के देवस्थान, मंदिर और ट्रस्ट के लिए नजीर होगी। न्यास ने नियमावली तैयार करके परीक्षण के लिए मंडलायुक्त के पास भेज दिया है। सेवा नियमावली में समय-समय पर कर्मचारियों के पदोन्नति का भी प्रस्ताव दिया गया है। पुजारी, कर्मचारी और सेवादारों को छुट्टियां भी मिल सकेंगी।
शिकायत मिलने पर होगी कार्रवाई
मंदिर के पुजारी, सेवादार और कर्मचारियों की सेवा नियमावली में न्यास ही सर्वेसर्वा होगा। किसी भी पुजारी, सेवादार और कर्मचारी के खिलाफ शिकायत मिलने पर न्यास शासन के नियमानुसार ही कार्रवाई भी कर सकेगा। श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के अध्यक्ष प्रो. नागेंद्र पांडेय ने कहा कि 40 साल बाद श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के अर्चक, कर्मचारी और सेवादारों के लिए सेवा नियमावली बनकर तैयार है। न्यास की बैठक में इसे रखा जाएगा और सहमति बनने के बाद इसे शासन की अनुमति के लिए भेज दिया जाएगा। शासन की मुहर लगते ही इसे लागू करके नए सिरे से भर्ती प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
पूजा संवर्ग के लिए चार श्रेणियां
श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में जल्द ही सेवा नियमावली के आधार पर पुजारी, कर्मचारी और सेवादारों की नियुक्ति की जाएगी। प्रस्तावित नियमावली में पूजा संवर्ग के लिए चार श्रेणियां प्रस्तावित की गई हैं। इसमें पूजक, वरिष्ठ अर्चक, मुख्य अर्चक और मानित अर्चक की चार श्रेणियां बनी हैं। पहले से काम कर रहे निशुल्क शास्त्री को मानित अर्चक के रूप में नियुक्ति देने का प्रस्ताव है। नियुक्तियां मेरिट और साक्षात्कार के आधार पर ही होंगी। इससे पादर्शिता बनी रहेगी। नियुक्ति के समय दो बाहरी विशेषज्ञ भी रहेंगे। संस्कृत एवं वेद के ज्ञाता ही नियुक्ति प्रक्रिया में हिस्सा ले सकेंगे।
भेजा गया मंडलायुक्त के पास
न्यास के सदस्य प्रो. ब्रजभूषण ओझा ने बताया कि कमेटी ने सेवा नियमावली तैयार कर दी है। इसे मंडलायुक्त के पास परीक्षण के लिए भेजा गया है। देश भर के देवस्थान, ट्रस्ट और मंदिरों की सेवा नियमावली का तुलनात्मक अध्ययन भी किया जा रहा है।
18 महीने पहले नियमावली के लिए बनी थी सहमति
18 महीने पहले न्यास की 102वीं बैठक में सेवा नियमावली तैयार करने पर सहमति बनी थी। इसका प्रारूप तय करने के लिए 16 सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया था।
फाइलों में दबे थे कार्यवृत्त
श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर का प्रदेश शासन की ओर से वर्ष 1983 में अधिग्रहण किया गया था। चार दशक में भी सेवा नियमावली न बनने से नियुक्ति, वेतनमान व सेवानिवृत्ति पर मिलने वाली राशि पर सवाल उठते रहे हैं। इसे दूर करने के प्रयास तो कई बार किए गए, लेकिन हर बार कवायद कार्यवृत्त की फाइलों में दबी रह गई।
1983 में लागू हुआ था काशी विश्वनाथ टेंपल एक्ट
भारत के संविधान के अनुच्छेद 201 के तहत 13 अक्तूबर 1983 को काशी विश्वनाथ टेंपल एक्ट लागू किया गया। यूपी विधानमंडल की ओर से पास इस एक्ट को राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद प्रभावी किया गया। यह वर्ष 1983 के एक्ट संख्या 29 के रूप में भी जाना जाता है। इसके जरिये काशी विश्वनाथ मंदिर और उसके विन्यास के समुचित एवं बेहतर प्रशासन की व्यवस्था की गई है। साथ ही, मंदिर से संबद्ध या अनुषांगिक विषयों की व्यवस्था भी की गई है। इस अधिनियम में 13 जनवरी 1984, 5 दिसंबर 1986, 2 फरवरी 1987, 6 अक्तूबर 1989, 16 अगस्त 1997, 13 मार्च 2003 और 28 मार्च 2013 को संशोधन भी हुए हैं।
दान पेटियों में लगभग 8 करोड़ जमा किए गए हैं और लगभग 3.50 करोड़ ऑनलाइन प्राप्त हुए
Ayodhya Ram janmabhoomi Ram Lalla: अयोध्या में रामलला के दर्शन के लिए देशभर से श्रद्धालु राम जन्मभूमि पहुंच रहे हैं। 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद से 11 दिनों में लगभग 25 लाख भक्त राम जन्मभूमि के दर्शन कर चुके हैं। भक्तों ने दिल खोलकर रामलला को दान किया है। अब तक 11 करोड़ से अधिक दाम मिला है। राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के अनुसार, पिछले 10 दिनों में दान पेटियों में लगभग 8 करोड़ जमा हुए हैं। लगभग 3.50 करोड़ ऑनलाइन प्राप्त हुए हैं। ट्रस्ट के कार्यालय प्रभारी प्रकाश गुप्ता ने बताया कि राम मंदिर के गर्भगृह के बाहर दर्शन पथ के पास चार बड़ी दान पेटियां रखी गई हैं, जिनमें श्रद्धालु दान कर रहे हैं। इसके अलावा 10 कम्प्यूटरीकृत काउंटरों पर भी लोग दान करते हैं। इन दान काउंटरों पर मंदिर ट्रस्ट की तरफ से कर्मचारी नियुक्त किए गए हैं। हर दिन काउंटर बंद होने के बाद कर्मचारी प्राप्त दान राशि का हिसाब ट्रस्ट कार्यालय में जमा करते हैं। 14 कर्मचारियों की एक टीम चार दान पेटियों में आए चढ़ावे की गिनती कर रही है, जिसमें 11 बैंक कर्मचारी और तीन मंदिर ट्रस्ट के कर्मचारी शामिल हैं। प्रकाश गुप्ता ने कहा कि दान राशि जमा करने से लेकर उसकी गिनती तक सब कुछ सीसीटीवी कैमरे की निगरानी में किया जाता है। राम मंदिर परिसर में करीब पांच लाख वर्ग फीट में बिजोलिया पत्थरों को बिछाया गया है। यह पत्थर बेहद खास है। मौसम चाहे कोई भी हो, श्रद्धालु आराम से उस पर चल सकेंगे। यह क्षेत्र परिक्रमा क्षेत्र और कुबेर टीला को कवर करेगा। प्रकाश गुप्ता ने कहा कि रामलला के दर्शन के लिए प्रतिदिन 2 लाख से अधिक श्रद्धालु राम मंदिर पहुंच रहे हैं। उन्होंने बताया कि राजस्थान का यह बिजोलिया पत्थर अपनी गुणवत्ता में बहुत खास है क्योंकि यह न तो गर्मियों में ज्यादा गर्म होता है और न ही सर्दियों में ज्यादा ठंडा होता है। यह पत्थर लगभग 1,000 वर्षों तक खराब नहीं होता है, जबकि इसमें पानी सोखने की क्षमता अन्य पत्थरों की तुलना में अधिक है।