
सर्दियों का मौसम आते ही पूरे देश में हरी सब्जियों की एक नई बहार सी आ जाती है। बाजार में सरसों, पालक, मेथी, बथुआ जैसे कई साग मिलने लगते हैं, जो न सिर्फ स्वाद में लाजवाब होते हैं बल्कि सेहत के लिए भी बहुत फायदेमंद मानें जाते हैं। इस साग का नाम है नोनी का साग। नोनी साग की पत्तियां काफी हद तक घास की तरह दिखाई देती हैं। पूर्वी उत्तर भारत, बिहार, असम और पश्चिम बंगाल के कुछ हिस्सों में नोनी साग बहुत ही चांव से खाया जाता है।
नोनी साग की पत्तियों में पर्याप्त में फ्लेवोनॉयड्स, प्रोटीन, सेपोनिन और टैनिन कंपाउंड पाए जाते हैं। इसके अलावा नोनी साग विटामिन ए, विटामिन बी, विटामिन सी, विटामिन डी और विटामिन ई जैसे कई पोषक तत्व पाए जाते हैं।
नोनी साग में अच्छी मात्रा में फाइबर पाया जाता है। फाइबर पाचन संबंधी समस्याओं को दूर करने में मदद करता है। नियमित तौर पर नोनी साग खाने से आंतों की सफाई होती है, जिससे पेट दर्द, कब्ज जैसी समस्याओं से राहत मिलती है।
नोनी साग में एंटी इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं, जो गठिया में होने वाले दर्द और सूजन से राहत दिलाने में मदद कर सकते हैं। गठिया के रोगियों को सप्ताह में २ से ३ बार नोनी साग का सेवन करने की सलाह दी जाती है।
नोनी साग की पत्तियों में प्रचुर मात्रा में प्रोटीन पाया जाता है। इसके अलावा ये स्कोपोलिटिन कंपाउंड होता है, जो ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने में मदद करता है। जिन लोगों को ब्लड प्रेशर अचानक लो या हाई हो जाता है उन्हें नियमित तौर पर नोनी साग खाने की सलाह दी जाती है।
भारत में ज्यादातर महिलाओं में प्रेगनेंसी के दौरान आयरन की कमी देखी जाती है। प्रेगनेंसी में आयरन की पूर्ति करने में भी नोनी साग काफी मददगार साबित हो सकता है। इतना ही नहीं नई मां अगर नोनी साग का सेवन करें तो उसके दूध में वृद्धि होती है।
नोनी साग का सेवन आप दाल में पकाकर कर सकते हैं। इसके अलावा नोनी साग को आप के पकोड़े, सब्जी और पराठे बनाकर खा सकते हैं।
