
गणेश चतुर्थी का महत्व
गणेश चतुर्थी हिंदू धर्म का प्रमुख पर्व है। इसे विनायक चतुर्थी भी कहते हैं। यह दिन भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। गणेश जी को विघ्नहर्ता, बुद्धिदाता और मंगलकर्ता कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन उनकी पूजा करने से घर-परिवार में सुख-समृद्धि आती है और जीवन से सभी बाधाएँ दूर होती हैं।
📜 पौराणिक कथा
शिवपुराण और गणेश पुराण के अनुसार, माता पार्वती ने स्नान करते समय अपने शरीर के उबटन से गणेश जी को बनाया और उन्हें द्वार पर प्रहरी के रूप में खड़ा कर दिया। जब भगवान शिव आए, तो गणेश जी ने उन्हें भीतर प्रवेश नहीं करने दिया। क्रोधित होकर शिव ने उनका मस्तक काट दिया। बाद में माता पार्वती के अनुरोध पर शिव ने हाथी का सिर लगाकर गणेश को पुनर्जीवित किया और उन्हें सर्वप्रथम पूज्य देवता का स्थान दिया।
🕯️ पूजा विधि
- प्रातः स्नान कर घर के पूजा स्थल को साफ करें।
- मिट्टी/मूर्ति स्वरूप में गणेश जी को स्थापित करें।
- शुद्ध जल, गंगाजल से अभिषेक करें।
- गणपति को दूर्वा (हरी घास), मोदक, लाल फूल, और सिंदूर चढ़ाएँ।
- गणेश जी के प्रिय मंत्रों का जाप करें।
- दिनभर व्रत-उपवास कर शाम को आरती करें।
✨ विशेष मंत्र
- “ॐ गण गणपतये नमः”
- “वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥”
🎉 पर्व का आयोजन
- महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक और आंध्रप्रदेश में इस उत्सव का विशेष महत्व है।
- बड़े-बड़े पंडालों में भव्य प्रतिमाएँ स्थापित होती हैं।
- सांस्कृतिक कार्यक्रम, भजन-कीर्तन और शोभा यात्राएँ आयोजित होती हैं।
- 10 दिनों तक गणेशोत्सव मनाने के बाद अनंत चतुर्दशी पर विसर्जन होता है।



