राजनीति

सोनिया गांधी राजस्थान से राज्यसभा सांसद

Sonia Gandhi in Jaipur Live News Updates: पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के स्थान पर अब कांग्रेस सोनिया गांधी राजस्थान से राज्यसभा सांसद बनेंगी। नामांकन करने के लिए वे जयपुर पहुंच गईं हैं। करीब 11 बजे सोनिया गांधी विधानसभा पहुंचकर नामांकन करेंगी। सोनिया गांधी ने नामांकन दाखिल कर दिया है। उन्होंने विधानसभा के सचिव नामांकन भरा। उनके नामांकन के लिए 40 प्रस्तावक बनाए गए थे। नामांकन दाखिल करने के बाद सोनिया, राहुल और प्रियंका गांधी वाड्रा विधानसभा से सीधे एयरपोर्ट जाएंगी और दिल्ली के लिए रवाना होंगी।  

महाराष्ट्र के पूर्व सीएम अशोक चव्हाण ने कांग्रेस से दिया इस्तीफा

अशोक चह्वाण ने कांग्रेस से इस्तीफा दिया:विधानसभा अध्यक्ष से मिले, विधायक पद भी छोड़ा; भाजपा जॉइन कर सकते हैं

कांग्रेस पार्टी को बड़ा झटका देते हुए महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण ने सोमवार को पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। ये घटनाक्रम ऐसे समय में हो रहा है जब महाराष्ट्र कांग्रेस के दो वरिष्ठ नेता बाबा सिद्दीकी और मिलिंग देवड़ा कुछ समय पहले कांग्रेस को छोड़ चुके हैं। महाराष्ट्र कांग्रेस कमेटी को अभी अपना इस्तीफा नहीं भेजा है। उन्होंने कल ही महाराष्ट्र कांग्रेस के प्रभारी रमेश चेन्निथला से मुलाकात की थी। कुछ मुद्दे उनके सामने रखे थे। वहीं कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अभी रायपुर में है। चर्चा है कि चव्हाण बीजेपी में शामिल हो सकते हैं। इसके साथ ही अशोक चव्हाण के बीजेपी में भी जाने की अटकलें लगाई जा रही है।

सीएम योगी के बाद अब फडणवीस ने भी की कृष्ण जन्मस्थान की पैरवी


उन्होंने रव‍िवार (11 फरवरी) को कहा कि अयोध्या में ज‍िस तरह से पूरी कानूनी प्रक्रिया के तहत राम मंदिर का निर्माण क‍िया गया है, उसी तरह से श्री कृष्ण के जन्मस्थान का भी विकास होना चाहिए. फडणवीस ने कहा कि चाहे मथुरा हो, काशी हो या फ‍िर अयोध्या, ये सभी हमारे लि‍ए बेहद पवित्र स्थान हैं.  ड‍िप्‍टी सीएम फडणवीस ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि लोग उम्मीद करते हैं क‍ि जैसे अयोध्‍या में प्रभु श्रीराम के मंद‍िर न‍िर्माण क‍िया गया है, वैसे ही मथुरा में भगवान कृष्ण जन्मभूमि का निर्माण भी पूरे सद्भाव और कानून के तहत होना चाह‍िए.  

‘पूरी कानूनी प्रक्र‍िया के तहत हुआ राम मंदिर न‍िर्माण’ 

उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा करते हुए कहा कि उनके नेतृत्व में भगवान राम के मंदिर का न‍िर्माण पूरी कानूनी प्रक्रिया के अंतर्गत क‍िया गया है. फडणवीस ने यह भी कहा क‍ि मथुरा में जहां शाही ईदगाह मस्जिद है, उस जगह पर कुछ हिंदू संगठनों की ओर से भगवान कृष्ण का जन्मस्थान होने का दावा किया है. इस दावे के चलते अब नए सिरे से कृष्ण मंदिर के निर्माण की मांग की जा रही है. 
हिंदूवादी संगठनों का दावा है कि शाही ईदगाह मस्जिद (Shahi Idgah mosque) केशव

देव मंदिर (Kesava Deo temple) की वास्‍तव‍िक स्‍थान पर बनाई गई थी. यह स्‍थान भगवान कृष्ण के जन्मस्थान को चिह्नित करता है. संगठनों का यह भी दावा है क‍ि 17वीं शताब्दी में मुगल बादशाह औरंगजेब के शासनकाल के दौरान भगवान कृष्ण के मंद‍िर को नष्ट कर दिया गया था.

Congress से निकाले जाने पर Acharya Pramod Krishnam ने दी प्रतिक्रिया

कांग्रेस से निष्कासित नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम ने रविवार को अपने निष्कासन पर मीडिया से बात की। Congress से निकाले जाने पर Acharya Pramod Krishnam ने दी प्रतिक्रिया में कहा, ‘मुझे कल रात कई न्यूज चैनलों के माध्यम से ये जानकारी मिली की कांग्रेस पार्टी ने एक चिट्ठी जारी की है, जिसमें उन्होंने कहा है कि पार्टी विरोधी गतिविधियों के कारण आचार्य प्रमोद कृष्णम को 6 साल के लिए पार्टी से निष्कासित किया जाता है। सबसे पहले मैं कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व का आभार व्यक्त करता हूं कि उन्होंने मुझे कांग्रेस से मुक्ति देने का फरमान जारी किया।’ कृष्णम ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए केसी वेणुगोपाल और मल्लिकार्जुन खरगे से पूछा कि उनकी कौन सी गतिविधिया थी, जो पार्टी के विरोध में थीं। भगवान राम का नाम लेना पार्टी विरोधी है?

कांग्रेस ने अनुशासनहीनता के आरोप में शनिवार (11 फरवरी)  को आचार्य प्रमोद कृष्णम को 6 साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया. कांग्रेस से निष्कासित किए जाने के बाद आचार्य प्रमोद कृष्णम ने पहली प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि ‘राम और राष्ट्र’ पर समझौता नहीं किया जा सकता.

आचार्य प्रमोद कृष्णम कांग्रेस में रहते हुए पार्टी विरोधी बयान देते थे. इसके के चलते कांग्रेस ने उन पर यह कार्रवाई की है. हाल ही में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर ‘श्री कल्कि धाम’ के शिलान्यास समारोह के लिए उन्हें आमंत्रित किया था. 

राम मंदिर पर पार्टी लाइन से अलग बयान
प्रमोद कृष्णम ने राम मंदिर में रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में कांग्रेस के शामिल न होने के हाईकमान के फैसले पर सवाल उठाए थे और अपनी ही पार्टी की आलोचना की थी. वहीं, उन्होंने लाल कृष्ण आडवाणी को भारत रत्न दिए जाने के भारत सरकार के फैसले समर्थन किया था. उन्होंने कहा, “लालकृष्ण आडवाणी इतने वरिष्ठ हैं, इतने बुज़ुर्ग हैं. उन्होंने देश की इतनी सेवा की है. उन्हें भारत रत्न मिल रहा है, मैं पीएम मोदी का धन्यवाद करता हूं.”

राज्यसभा से 68 सदस्यों की विदाई

नई दिल्ली, 8 फरवरी (हि.स.)। राज्यसभा ने गुरुवार को फरवरी और मई के बीच सेवानिवृत्त होने वाले सदन के 68 सदस्यों को उनका कार्यकाल पूरा होने पर विदाई दी। राज्यसभा में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सहित कई सदस्यों ने इन्हें अपने विदाई संदेश में शुभकामनाएं दीं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि वे आगे भी राष्ट्र सेवा में कार्य करते रहेंगे। यह सदस्य जाते हुए स्मृति की एक विरासत छोड़कर जा रहे हैं। इस दौरान प्रधानमंत्री ने पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह के योगदान की सराहना की। उन्होंने कहा कि व्हील चेयर पर भी वे विपक्ष के लिए वोट करने आए थे। उन्हें पता था कि उनका पक्ष हार जाएगा लेकिन फिर भी उनके वोट देने से लोकतंत्र मजबूत हुआ है। उनका छह बार का राज्यसभा में योगदान हम सबको सीख देता है।

प्रधानमंत्री ने इस दौरान व्यंग्य भी किया। उन्होंने कहा कि पिछले 10 साल में देश समृद्धि के नए-नए शिखर छू रहा है। एक भव्य-दिव्य वातावरण बना है और उसको नजर ना लग जाए, इसीलिए काला टीका करने का आज प्रयास हुआ है। उन्होंने कहा, “मैं उसके लिए भी खड़गे जी का बहुत धन्यवाद करता हूं। मैं उसका भी स्वागत करता हूं, क्योंकि जब भी अच्छी बात होती है तो काला टीका, नजर ना लग जाए, इसीलिए बहुत जरूरी होता है। ”

रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव, शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, पर्यावरण मंत्री भूपेन्द्र यादव, स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह सहित कई नेताओं का कार्यकाल पूरा होने जा रहा है।

वट वृक्ष हमारा रजिस्टर्ड सिम्बल:विश्व हिंदू परिषद

शरद पवार गुट के नए चुनाव चिह्न पर VHP की आपत्ति

महाराष्ट्र में शरद पवार गुट को अब नया नाम और चुनाव चिन्ह मिल गया है. शरद पवार गुट के नए चुनाव चिह्न पर VHP की आपत्ति चुनाव आयोग ने शरद पवार गुट की पार्टी के नए नाम ‘एनसीपी शरद चंद्र पवार’ को मंजूरी दे दी थी. शरद गुट का चुनाव चिन्ह पेड़ है, जिसे लेकर अब विश्व हिंदू परिषद ने आपत्ति जताई है। विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) ने शरद गुट की नई पार्टी के चुनाव चिन्ह पेड़ को लेकर आपत्ति जताई है। वीएचपी का कहना है कि बरगद का पेड़ उनके संगठन का पंजीकृत प्रतीक है। आपको बता दें कि चुनाव आयोग ने शरद पवार गुट को नई पार्टी का नाम और चुनाव चिह्न तय करने के लिए विकल्प सुझाने के लिए बुधवार शाम तक की समयसीमा दी थी, जिसके बाद उन्होंने अपनी पार्टी के लिए नए नाम पेश किए, जिनमें से एक को चुना जाएगा। शरद पवार बनाम अजित पवार गुट मामले में चुनाव आयोग ने 147 पेज का आदेश दिया है। इस क्रम में आयोग ने दोनों समूहों के सभी बिंदुओं और साक्ष्यों का विश्लेषण किया है। आयोग ने सभी दस्तावेजी सबूतों का विश्लेषण किया है और कहा है कि यह स्पष्ट है कि अजीत के समूह का पार्टी के अलावा पार्टी और संगठन पर भी प्रभुत्व है। उनके ग्रुप के और भी लोग हैं. इस वजह से पार्टी का नाम और सिंबल दोनों अजित गुट को दिया गया है। महाराष्ट्र से छह राज्यसभा सीटों के लिए चुनाव के मद्देनजर शरद पवार गुट को चुनाव संचालन नियम 1961 के नियम 39AA का पालन करने के लिए विशेष छूट दी गई। उनसे बुधवार शाम 4 बजे तक नई पार्टी बनाने के लिए तीन नाम देने को कहा गया है। 

Battle for NCP: सुप्रीम कोर्ट पहुंची NCP के नाम और चुनाव चिन्ह की लड़ाई

Fight For Real NCP: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के चुनाव चिन्ह और दल के नाम की लड़ाई अब सुप्रीम कोर्ट की चौखट पर पहुंच गई है. अजित पवार गुट ने सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दायर की है. इसी के साथ उन्होंने सुनवाई की मांग की है कि क्या शरद पवार गुट असली NCP घोषित किए जाने वाले चुनाव आयोग के आदेश को चुनौती दे रहा है. चुनाव आयोग के फैसले के बाद राजनीतिक हलकों में चर्चा थी कि आज यानी बुधवार को शरद पवार चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख कर सकते हैं. हालांकि उनसे पहले ही अजित पवार गुट सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया और कैविएट दाखिल भी कर दिया. मंगलवार को चुनाव आयोग ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) का नाम और चुनाव चिन्ह ‘घड़ी’ अजित पवार गुट को सौंपने का फैसला सुनाया था. अजित पवार ने NCP के एक धड़े को तोड़कर महाराष्ट्र में सरकार बना ली थी. हालांकि इसका पुराना धड़ा ये दावा करता रहा था कि शरद पवार गुट की पार्टी ही असली NCP है. हालांकि चुनाव आयोग का फैसला अजित पवार के पक्ष में गया. चुनाव आयोग के फैसले की आलोचना करते हुए शरद पवार गुट के नेताओं ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की बात भी कही थी. पाटिल का कहना था, ”शरद पवार जहां भी जाते हैं, NCP उनके साथ जाती है. यह फैसला सही नहीं है. चुनाव आयोग का फैसला शीर्ष अदालत में नहीं टिकेगा, हमें स्थगन मिलने का भरोसा है.” उन्होंने कहा कि 25 साल पहले शरद पवार ने NCP का गठन किया था और 28 राज्यों में अपनी मौजूदगी से अब यह राष्ट्रीय पार्टी बन गई है. पाटिल ने कहा, ‘हालांकि, फैसला केवल विधायकों की संख्या के आधार पर लिया गया है, जो हमारे और शरद पवार के साथ सरासर अन्याय है. हम शीर्ष अदालत का रुख कर रहे हैं और उम्मीद करते हैं कि लोकसभा चुनाव की घोषणा से पहले उसका फैसला आ जाएगा.’

“सोरेन ने जनता की खून पसीने की कमाई लूटकर बनाए बंगले: रविशंकर प्रसाद 

भारतीय जनता पार्टी (BJP) वरिष्ठ नेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद (Ravi Shankar Prasad)  ने गुरुवार को झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Hemant Soren) पर हमला बोलते हुए कहा कि उन्हें आदिवासियों की नहीं, बल्कि लूट की ज्यादा चिंता थी, इसीलिए उन्होंने सत्ता के नशे में चूर होकर जनता के खून-पसीने की कमाई को लग्जरी कारों और आलीसान बंगला बनाने में उड़ा दिया।  रविशंकर प्रसाद ने पार्टी के केन्द्रीय कार्यालय में संवाददाताओं को संबोधित करते हुए सोरेन के समर्थकों द्वारा विपक्षी नेताओं पर द्वेषपूर्ण कार्रवाई करने को लेकर केंद्र सरकार पर लगाए गए आरोपों का जवाब दिया। उन्होंने सोरेन के कार्यकाल में झारखंड में हुए घोटालों के बारे में बताते हुए कहा कि सोरेन ने आम जनता की खून पसीने की कमाई लूटकर लग्जरी गाड़ियां खरीदी और आलीशान बंगले बनाए। उन्होंने कहा, ‘‘झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मौजूदा समय में प्रवर्तन निदेशालय की हिरासत में हैं, लेकिन उनके समर्थक यह झूठा आरोप लगा रहे हैं कि केंद्र सरकार के द्वारा विपक्षी पाटिर्यों को तोड़ने का प्रयास किया जा रहा है और विशेष रूप से आदिवासी नेताओं को प्रताड़ित किया जा रहा है। प्रसाद ने सोरेन सरकार में हुए घोटालों के बारे में कहा कि पहले तो सोरेन ने लूट और भ्रष्टाचार किया और जब कार्रवाई हो रही है तो कह रहे हैं कि एक आदिवासी को तंग किया जा रहा है। अपने समाज की चिंता करते हुए संघर्ष करना अच्छा है, परंतु झारखंड में ‘चिंता कम और लूट अधिक है।’ उन्होंने बताया कि झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री सोरेन के खिलाफ मुख्यत: तीन मामले हैं, जिनमें पहला- जमीन की लूट, दूसरा- अवैध खनन और तीसरा- कोयला खदान में घोटाला। अभी सिर्फ एक मामले में सोरेन के खिलाफ कार्रवाई हुई है और अन्य दो मामलों में इनके खिलाफ कार्रवाई होना बाकी है। ईडी की जांच में 36 लाख रुपए सोरेन के घर से बरामद हुए हैं। जांच में पता चला है कि आम जनता के खून पसीने की कमाई के साथ घोटाले कर सोरेन ने दिल्ली की पॉश कॉलोनी शांति निकेतन में आलीशान घर बनाया है और इस घर से दो लग्जरी कारें (बीएमडब्यू) भी बरामद हुई हैं। 

हेमंत सोरेन हुए गिरफ्तार, भाजपा ने भगोड़ा होने का आरोप लगाया

हेमंत सोरेन हुए गिरफ्तार

भाजपा ने भगोड़ा होने का आरोप लगाया

जमीन घोटाला मामले में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से प्रवर्तन निदेशालय (ED) के अधिकारी पूछताछ कर रहे हैं। प्रदेश में कथित तौर पर राजनीतिक अस्थिरता का माहौल गहराने लगा है। इसी बीच CM हेमंत सोरेन के दिल्ली आवास पर पूछताछ करने पहुंची टीम को सोमवार शाम निराशा हाथ लगी। ईडी के अधिकारी सोमवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से सवाल नहीं कर सके, क्योंकि पूरे दिन इंतजार करने के बावजूद मुख्यमंत्री से मुलाकात नहीं हो सकी।

इस वक्त झारखंड की राजधानी रांची से बड़ी खबर सामने आ रही है, जहां सूत्रों के हवाले से जो जानकारी मिल रही है उसके मुताबिक मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को गिरफ्तार कर लिया गया है. सूत्रों के अनुसार ईडी की टीम ने करीब 7 घंटे की लंबी पूछताछ के बाद सीएम हेमंत सोरेन को गिरफ्तार कर लिया गया है. वहीं हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के बाद सीएम आवास, राजभवन, बीजेपी कार्यालय समेत रांची के अलग-अलग इलाकों में सुरक्षा भी बढ़ा दी गयी है. सूत्रों के अनुसार अब तक के पूछताछ में ED के अधिकारी हेमंत सोरेन के जवाब से संतुष्ट नहीं है. हेमन्त सोरेन ने अब तक के पूछताछ में सिर्फ हा ना में जवाब दिया है. ED के अधिकारियों ने हेमन्त सोरेन से 40 से ज्यादा सवाल पूछ गए हैं. हेमन्त सोरेन कई सवालों को सुनने के बाद ED अधिकारियों पर झल्ला गए. इस बीच रांची के कई इलाकों में धारा 144 लागू है. सीएम हाउस के बाहर भी सुरक्षा बढ़ा दी गई है वहीं माइकिंग भी की जा रही है. हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के बाद उनकी पत्नी यानि कल्पना सोरेन की सीएम बनाने की चर्चा तेज हो गयी है. वहीं कल्पना सोरेन के अलावा चंपई सोरेन के सीएम बनाने की भी बात कही जा रही है. हालांकि जेएमएम प्लान बी पर भी काम कर रहा है. अब जरा प्लान भी के बारे में जानिए. दरअसल हेमंत सोरेन के प्लान भी में डिप्टी सीएम बनाने का भी प्रस्ताव है. सूत्रों से जो जानकारी मिली है उसके मुताबिक प्लान बी में झारखंड में दो उप मुख्यमंत्री होंगे.

ED ने पूछताछ के बाद झारखंड CM को आवास से किया अरेस्ट

जमीन घोटाला मामले में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से प्रवर्तन निदेशालय (ED) के अधिकारी पूछताछ कर रहे हैं। प्रदेश में कथित तौर पर राजनीतिक अस्थिरता का माहौल गहराने लगा है। इसी बीच CM हेमंत सोरेन के दिल्ली आवास पर पूछताछ करने पहुंची टीम को सोमवार शाम निराशा हाथ लगी। ईडी के अधिकारी सोमवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से सवाल नहीं कर सके, क्योंकि पूरे दिन इंतजार करने के बावजूद मुख्यमंत्री से मुलाकात नहीं हो सकी। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से पूछताछ के मामले में समाचार एजेंसी- पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक जमीन घोटाला और मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पूछताछ के लिए प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों ने 12 घंटे से अधिक समय तक सीएम हेमंत का इंतजार किया। इस रिपोर्ट के मुताबिक आधिकारिक सूत्रों ने दावा किया कि सोरेन ‘लापता’ (missing) हैं। हालांकि, परिवार के सदस्य का आरोप है कि हेमंत को बदनाम करने, उनकी स्थिति कमजोर और गैरकानूनी (delegitimise) बनाने के लिए ‘झूठी कहानी’ गढ़ी जा रही है।

पूरे मामले से जुड़ी इन अहम बातों को जानना भी जरूरी-

  • ED के अधिकारियों ने 20 जनवरी को हेमंत सोरेन से रांची में उनके आधिकारिक आवास पर पूछताछ की।
  • नया समन जारी कर 29 या 31 जनवरी को पूछताछ के लिए उपलब्धता की पुष्टि का निर्देश।
  • एजेंसी को भेजे पत्र में पूछताछ की तारीख और समय की पुष्टि नहीं।
  • 31 जनवरी को रांची आवास पर बयान दर्ज कराने की सहमति। ईडी को भेजे ई-मेल में लिखा- 20 जनवरी को सात घंटे की पूछताछ की वीडियो रिकॉर्डिंग अदालत में सुरक्षित तरीके से पेश करने की अपील।
  • 48 वर्षीय सीएम हेमंत झामुमो प्रमुख भी हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि ईडी की कार्रवाई राज्य सरकार के कामकाज को बाधित करने के लिए ‘राजनीतिक एजेंडे से प्रेरित’ है।

ईडी के अधिकारियों ने 12 घंटे तक सीएम का इंतजार किया
पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक ईडी के अधिकारी, दिल्ली पुलिस के जवानों और अधिकारियों के साथ सुबह करीब नौ बजे से ही दक्षिणी दिल्ली में 5/1 शांति निकेतन भवन पहुंचे। रात नौ बजे के बाद भी ईडी के अधिकारी वहां मौजूद रहे। ईडी के अधिकारी रात 8 बजे कुछ देर के लिए परिसर से बाहर निकले। आवास के बाहर खड़ी एक बीएमडब्ल्यू कार की जांच भी की गई।

दिल्ली हवाई अड्डे पर भी निगरानी, इन जगहों पर भी नहीं मिले मुख्यमंत्री
एक सूत्र ने कहा ईडी की टीम मुख्यमंत्री से पूछताछ करने के लिए उनके आवास पर आई थी, लेकिन वह यहां नहीं मिले। ईडी की टीमें दिल्ली में झारखंड भवन और कुछ अन्य स्थानों पर भी गई, लेकिन मुख्यमंत्री नहीं मिले। सूत्रों ने कहा कि ईडी की टीमें सोरेन के लौटने तक आवास पर रहेंगी। अधिकारी दिल्ली हवाई अड्डे पर भी निगरानी रख रहे हैं।

झारखंड के राज्यपाल का सख्त रूख; कहा- सीएम हेमंत को देने ही होंगे सवालों के जवाब
इससे पहले झारखंड के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने भी सख्त संदेश दिया। उन्होंने कहा कि कोई भी शख्स कानून से परे नहीं जा सकता। उन्होंने जमीन घोटाला मामले में ईडी की जांच से जुड़े एक सवाल पर कहा कि आज नहीं तो कल मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को तमाम सवालों के जवाब देने पड़ेंगे। राष्ट्रपति शासन की कयासबाजी पर प्रदेश के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने कहा, राजभवन पूरे हालात पर करीबी नजर बनाए हुए है। राज्यपाल के मुताबिक अभी राष्ट्रपति शासन लगाने की संभावनाओं पर बात करना जल्दबाजी है।

 

कल्पना सोरेन, जो बन सकती है झारखंड की मुख्यमंत्री

CM Hemant Soren: मनी लॉन्ड्रिंग केस में झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन आज ED के सामने पेश होंगे. अगर वे गिरफ्तार हुए उनकी पत्नी कल्पना सोरेन को राज्य की कमान दी जाएगी. दरअसल, सूत्रों के हवाले से खबर आई है कि हेमंत सोरेन ने विधायकों की बैठक में गिरफ्तारी की सूरत में पत्नी को कमान देने की जानकारी दी है. इस महीने की शुरुआत में बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने भी ऐसा ही दावा किया था, लेकिन खुद मुख्यमंत्री ने इसे खारिज कर दिया था. उस समय सोरेन (Hemant Soren) ने निकट भविष्य में अपनी पत्नी के चुनाव लड़ने की संभावना से भी इनकार कर दिया था. कल्पना सोरेन (Kalpana Soren) विधायक नहीं हैं और अगर वह मुख्यमंत्री पद की शपथ लेती हैं तो उन्हें छह महीने के भीतर उपचुनाव जीतकर विधानसभा का सदस्य बनना होगा. इस मामले में एक पेंच ये भी है कि झारखंड विधानसभा का कार्यकाल एक साल से भी कम समय में खत्म हो रहा है, इसलिए उपचुनाव की संभावना को खारिज किया जा सकता है. कल्पना सोरेन कथित तौर पर एक स्कूल चलाती हैं. इसके साथ ही जैविक खेती में भी उनकी रुचि है और वह उसके लिए भी काम करती हैं. उनके पास तीन व्यावसायिक इमारतें हैं, जिनकी कीमत लगभग 5 करोड़ रुपये है. वह महिला एवं बाल सशक्तिकरण  के कार्यक्रमों में भी नियमित रूप से शामिल होती हैं. वह 2022 में तब सुर्खियों में आईं जब पूर्व मुख्यमंत्री रघुबर दास ने हेमंत सोरेन पर अपनी पत्नी के स्वामित्व वाली कंपनी को एक औद्योगिक क्षेत्र में भूखंड आवंटित करने के लिए अपने पद का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया था. सूत्रों के हवाले से खबर है कि जब हेमंत सोरेन ने सहयोगी दलों की बैठक में कल्पना का नाम आगे बढ़ाया तो सभी विधायकों ने हेमंत सोरेन के फैसले में भरोसा दिखाया.

बिहार में सियासी घमासान 

बिहार की राजनीति में आ गया भूचाल !

Bihar Political Crisis : बिहार में सत्ता परिवर्तन को लेकर बीते दो दिनों से चल रहे अटकलों पर विराम लगाया। नीतीश कुमार की अगुवाई वाली JDU की कोर कमेटी की बैठक में RJD से गठबंधन तोड़ने का फैसला लिया गया। बिहार की राजनीति में घटनाक्रम बहुत तेजी से बदलता हुआ दिखाई दे रहा है। बिहार में राजद, जदयू और कांग्रेस की महागठबंधन सरकार फिलहाल वेंटिलेटर पर नजर आ रही है। राजद और जदयू के बीच जबरदस्त तरीके से दूरियां दिखाई दे रही हैं। इन सबके बीच खबर यह है कि नीतीश कुमार भाजपा के साथ मिलकर एक बार फिर से सरकार बना सकते हैं। जानकारी के मुताबिक रविवार सुबह जदयू की बड़ी बैठक होगी। इसके बाद एनडीए की बैठक होगी। सूत्रों के मुताबिक तब नीतीश कुमार अपना इस्तीफा राज्यपाल को सौंपेंगे और साथ ही साथ सरकार बनाने का दावा भी करेंगे। रविवार शाम 4:00 के आसपास मुख्यमंत्री के तौर पर नीतीश कुमार एक बार फिर से शपथ लेंगे। इस बार उनके साथ भाजपा के नेता उपमुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लेंगे।  इसका मतलब साफ है कि रविवार को बिहार में नई सरकार होगी। लेकिन उसके चेहरा नीतीश कुमार रहेंगे। नीतीश कुमार 9वीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। भाजपा विधायक दल की आज बैठक हुई जिसमें तमाम चीजों को लेकर राय ली गई है। बिहार बीजेपी प्रदेश कार्यकारिणी समिति की बैठक पर बीजेपी सांसद राजीव प्रताप रूडी ने कहा कि यह बैठक पटना में हुई, इसमें पार्टी के सभी विधायक, सांसद और वरिष्ठ पदाधिकारी मौजूद रहे। हमने मूल रूप से चर्चा की, कर्पूरी ठाकुर के लिए भारत रत्न के लिए एक प्रस्ताव पारित किया गया, पार्टी ने पीएम मोदी के फैसले की सराहना की। जहां तक राजनीतिक मोर्चे का सवाल है, हम अभी भी घटनाक्रम का इंतजार कर रहे हैं। दूसरी ओर खबर यह है कि नीतीश और भाजपा के बीच 2020 वाले फॉर्मूले पर डील पक्की हो गई है। नीतीश कुमार के साथ भाजपा कोटे से दो उपमुख्यमंत्री शामिल हो सकते हैं। वहीं, स्पीकर का पद भी भाजपा के पास जाएगा। हालांकि राजद खेमा भी पूरी तरीके से सक्रिय है और जोड़-तोड़ की गणित की कोशिश में लगा हुआ है। हालांकि, फिलहाल 8 विधायकों को जुटा पाना लालब यादव के लिए मुश्किल दिखाई दे रहा है। 

बिहार के सियासी घमासान पर अपडेट्स…

  • नीतीश कुमार रविवार को जेडी (यू)-बीजेपी गठबंधन के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ले सकते हैं, जबकि बीजेपी के दिग्गज नेता सुशील मोदी उनके डिप्टी के रूप में लौटेंगे।
  • एएनआई के अनुसार, केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह समेत कई भाजपा कार्यकर्ता नीतीश कुमार को एनडीए में फिर से लेने की अटकलों से नाखुश हैं। 
  • जदयू नेता संजीव कुमार और विधायक गोपाल मंडल ने कहा कि पार्टी कार्यकर्ता नीतीश कुमार के साथ रहेंगे, चाहे वह कोई भी निर्णय लें। संजीव कुमार ने कहा कि अभी तक कुछ भी तय नहीं हुआ है। नीतीश कुमार 18 साल तक मुख्यमंत्री रहे हैं और उनके साथ काम करना हमारे लिए सौभाग्य की बात है।
  • गोपाल मंडल ने दावा किया कि नीतीश कुमार का महागठबंधन में सम्मान नहीं किया गया। उनके साथ दुर्व्यवहार किया जा रहा है। जेडीयू के विधायक एकजुट हैं, इसलिए उन्हें तोड़ना संभव नहीं है। 
  • विकासशील इंसान पार्टी (VIP) के अध्यक्ष मुकेश सहनी ने कहा कि उन्हें कुछ भी पता नहीं है।लेकिन उन्होंने जोर देकर कहा कि महागठबंधन सरकार अभी तक गिरी नहीं है। 
  • राजद विधायक रीतलाल यादव ने कहा कि पार्टी प्रमुख लालू यादव को कोई धोखा नहीं दे सकता, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि राजद बिहार में सत्ता में रहेगा या नहीं। बिहार में मौजूदा राजनीतिक उथल-पुथल के परिणाम की परवाह किए बिना जनता के लिए काम जारी रहेगा।
  • केंद्रीय मंत्री और राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (RLJP) के प्रमुख पशुपति कुमार पारस ने बिहार राजनीतिक संकट के बीच लोगों से 1-2 दिन इंतजार करने को कहा। समय व्यक्ति से अधिक शक्तिशाली है और समय के साथ, राज्य की स्थिति स्पष्ट हो जाएगी।

डिजिटल दुनिया में मदद का नया ठिकाना

क्राउडफंडिंग crowdfunding

इस क्राउडफंडिंग (crowdfunding) के जरिए कांग्रेस पार्टी एक तीर से दो निशाने साधने की कोशिश कर रही है. पहला तो है पैसा. जो साफ साफ नजर आ रहा है लेकिन पार्टी के लिए सबसे अहम है दूसरा सबसे अहम मुद्दा और वो है  public connect. यानि जनता से जुड़ाव. दरअसल, कांग्रेस पार्टी का ये अभियान १८ दिसंबर से शुरू होकर २८ दिसंबर तक चलने वाला है. इसके जरिए पार्टी जनता से ऑनलाइन कनेक्ट करने की कोशिश करेगी लेकिन पार्टी का अभियान सिर्फ १० दिन के बाद ही खत्म नहीं होगा. ऑनलाइन अभियान के बाद पार्टी जमीन पर उतरेगी. कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि अभियान मुख्य रूप से २८ दिसंबर, स्थापना दिवस तक ऑनलाइन रहेगा, जिसके बाद हम जमीनी अभियान शुरू करेंगे, जिसमें कार्यकर्ता घर-घर जाकर दान मागेंगे। हर बूथ में कम से कम दस घरों को टारगेट किया जाएगा और हर घर से कम से कम १३८ रुपये का दान देना शामिल है.


भारत में क्राउडफंडिंग का जिक्र लोग समय-समय पर सुनते रहतेहैं, फिर चाहे वो किसी की मदद के लिए हो या किसी सार्वजनिक कार्यक्रम को बड़े स्तर पर करनेके लिए की गई हो, आज के समय में सोशल मीडिया क्राउडफंडिंग को जमा करनेका एक बड़ा माध्यम बना हुआ है. क्राउड फंडिंग (Crowd funding) किसी समाजिक कार्यों से कोई खास प्रोजेक्ट में आम जनता से पैसे एकत्रित करने की एक

प्रक्रिया है. क्राउड फंडिंग को छोटे छोटे लोगों से दान (्दहaूग्दह) के नाम पर लिया जाता है. क्राउड फंडिंग करनेके लिए आज कल लोग किसी की मदद करनेके लिए सोशल मीडिया का सहारा लेतेहै. सोशल मीडिया के माध्यम से लोग फंड (पैसा) जुटाने के लिए दानदाताओं या निवेशकों को फंड देनेका कारण बताता है. अपनी बातों को वह खुलकर के दानदाताओं के पास रखता है. साथ ही बताया जाता हैकि कैसेइस मुहिम मेंलोग अपना योगदान कर सकतेहै.

दरअसल, क्राउड फंडिंग दो शब्दों सेमिलकर बना है. क्राउड + फंडिंग, क्राउड यानि भीड़ या यूं कहे की बहुत सारेलोग और फंडिंग का मतलब पैसा. हमारे देश मेंहर सामाजिक कार्यके लिए फण्ड इकठ्ठा किया जाया हैया फिर चंदा लिया जाता है. फिर चाहे वो कोई भी धार्मिक कार्य क्यों न हो. क्राउड फंडिंग की मदद से आज कल लोग सड़कों का निर्माण, ग्रामीण क्षेत्र में पुल या सामाजिक कार्य के रूप में भी कर रहे हैं. 

ठ टेक्नोलॉजी से लैस हाईटेक होती इस दुनिया मेंक्राउड फंडिंग भी अब डिजिटाइज़ होती जा रही है. लोग अब इंटरनेट के माध्यम से गरीब और असहाय लोगों के लिए मदद की गुहार लगाते हैं. इंटरनेट के माध्यम से लोग बताए गए बैंक खातों में धन भेज देते हैं. सभी र्‍उध् और वो सभी संस्थान जो लोगों की मदद के लिए काम करते हैं, उन्हें ऑनलाइन बनाये कई प्लेटफार्मपर डोनेशन मिल रहा है. इसलिए क्राउड फंडिंग भी अब डिजिटलाइजेशन हो गई है.

क्राउडफंडिंग कैसे करती है काम…


क्राउडफंडिंग किसी खास प्रोजेक्ट, बिजनेस वेंचर या सामाजिक कल्याण के लिए आम जनता से छोटी-छोटी रकम जुटाने की प्रक्रिया है. इसमें किसी वेबसाइट, aज्ज् या वेब आधारित प्लेटफॉर्म या सोशल नेटवर्किंग का इस्तेमाल किया जाता है. इनके जरिए फंड जुटाने वाला व्यक्ति या संस्था संभावित दानादाताओं या निवेशकों को फंड जुटाने की वजह बताता है और उस मुहिम में आम जनता कैसे योगदान कर सकती हैं. उसका भी पूरा ब्योरा भी दिया जाता है. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने भी अपने क्राउडफंडिंग के लिए वेबसाइट पर पूरा ब्यौरा दिया है. १८ साल से अधिक उम्र के भारतीय इस अभियान के जरिये १३८ रुपये, १,३८० रुपये, १३,८०० रुपये या फिर इससे १० गुने की राशि चंदे के रूप में दे सकते हैं. हालांकि पार्टी महासचिव केसी वेणुगोपाल की मानें तो कांग्रेस का ये अभियान पार्टी की १३८ साल की यात्रा का जश्न है और ये पहल १९२०-२१ में महात्मा गांधी के ऐतिहासिक ‘तिलक स्वराज कोष’ से प्रेरित है. असहयोग आंदोलन के दौरान महात्मा गांधी ने सन १९२१ में बाल गंगाधर तिलक के नाम पर तिलक स्वराज फंड की स्थापना की और पूरे देश से उस फंड में दान देने की अपील की. तिलक की पहली पुण्यतिथि एक जुलाई १९२१ को आ रही थी, इसलिए महात्मा गांधी ने ३० जून तक एक करोड़ रुपए इकट्ठा करने का टारगेट तय किया. देखते ही देखते महात्मा गांधी को पूरे देश से सहयोग मिलने लगा. उस समय एक तरफ बंगाल से २५ लाख रुपये मिले तो दूसरी तरफ बंबई ने तिलक फंड में साढ़े सैंतीस लाख रुपये जमा किए. अब की कांग्रेस आजादी के पहले की नेटवर्किंग और उसी तरह की क्राउड फंडिग का इस्तेमाल करना चाहती है.

लोकप्रिय क्राउडफंडिंग वेबसाइटें

पूंजी तक पहुंच बनाना और जुटाना किसी भी कंपनी के विकास की कुंजी है। बड़े, अधिक स्थापित निगमों के लिए निवेशकों से धन जुटाना या अपने ऋणदाताओं से अतिरिक्त ऋण लेना आसान हो सकता है। हालाँकि, कुछ व्यवसायों को ऐसी बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है जो उनके विकास को रोक सकती हैं। यह विशेष रूप से छोटी कंपनियों और स्टार्टअप के लिए सच है, जहां क्राउडफंडिंग काम आती है। क्राउडफंडिंग ने उद्यमियों के लिए निवेश के लिए पैसे वाले किसी भी व्यक्ति से सैकड़ों हजारों या लाखों डॉलर जुटाने का अवसर पैदा किया है । यह ऐसे किसी भी व्यक्ति को एक मंच प्रदान करता है जिसके पास अपने विचारों को प्रतीक्षारत निवेशकों के सामने पेश करने का विचार है।

धन प्राप्त करने वाली अधिक मनोरंजक परियोजनाओं में से एक एक ऐसे व्यक्ति से थी जो एक नई आलू सलाद रेसिपी बनाना चाहता था। उनका धन उगाहने का लक्ष्य त्र्१० था, लेकिन उन्होंने ६,९११ समर्थकों से त्र्५५,००० से अधिक जुटाए। निवेशक सैकड़ों परियोजनाओं में से चयन कर सकते हैं और कम से कम त्र्१० का निवेश कर सकते हैं। क्राउडफंडिंग साइटें जुटाई गई धनराशि के एक प्रतिशत से राजस्व उत्पन्न करती हैं।

 

क्राउडफंडिंग का पहला उदाहरण…

क्राउडफंडिंग का पहला उदाहरण १९९७ में दर्ज किया गया था जब यूनाइटेड किंगडम के एक संगीत समूह ने प्रशंसकों से एक संगीत कार्यक्रम के लिए धन जुटाया था। आर्टिस्टशेयर, जो पहली क्राउडफंडिंग साइट थी, तीन साल बाद लॉन्च की गई थी। लगभग एक दशक बाद, यह कंपनियों के लिए पूंजी जुटाने का एक प्रमुख स्रोत बन गया। जब क्राउडफंडिंग प्लेटफॉर्म पहली बार लोकप्रिय हुए तो वे काफी हद तक अनियमित थे। लेकिन समय के साथ चीजें बदल गईं, क्योंकि संयुक्त राज्य अमेरिका सहित कई देशों ने कुछ प्रकार के क्राउडफंडिंग पर प्रतिबंध लगाना शुरू कर दिया। ये प्रतिबंध इस पर लागू होते हैं कि नए व्यवसाय को कौन वित्तपोषित कर सकता है और उन्हें कितना योगदान करने की अनुमति है। हेज फंड निवेश पर प्रतिबंधों के समान , इन नियमों का उद्देश्य अपरिष्कृत या गैर-धनी निवेशकों को उनकी बहुत अधिक बचत को जोखिम में डालने से बचाना है। क्योंकि बहुत से नए व्यवसाय विफल हो जाते हैं, उनके निवेशकों को अपना मूलधन खोने का उच्च जोखिम का सामना करना पड़ता है।

 कई क्राउडफंडिंग परियोजनाएं पुरस्कार-आधारित हैं। इसका मतलब यह है कि निवेशकों को किसी नए उत्पाद के लॉन्च में भाग लेने या अपने निवेश के लिए उपहार प्राप्त करने का मौका मिल सकता है। उदाहरण के लिए, बेकन वसा से बने नए साबुन का निर्माता अपने प्रत्येक निवेशक को एक निःशुल्क बार भेज सकता है। गेमर्स के लिए वीडियो गेम एक लोकप्रिय क्राउडफंडिंग निवेश है, जिन्हें अक्सर पुरस्कार के रूप में गेम की अग्रिम प्रतियां मिलती हैं।

क्राउडफंडिंग के प्रकार

इस शब्द के दो सबसे पारंपरिक उपयोग किसी उत्पाद या सेवा को दुनिया में लाने की चाहत रखने वाली स्टार्टअप कंपनियों और किसी प्रकार की आपात स्थिति का अनुभव करने वाले व्यक्तियों द्वारा किए गए क्राउडफंडिंग के प्रकार को दर्शाते हैं। प्राकृतिक आपदा, भारी चिकित्सा व्यय, या घर में आग लगने जैसी किसी अन्य दुखद घटना से प्रभावित कई व्यक्तियों को क्राउडफंडिंग प्लेटफार्मों के कारण वित्तीय राहत की राशि मिली है, जो अन्यथा उन्हें नहीं मिल पाती, हालाँकि, हाल के वर्षों में, पैट्रियन और सबस्टैक जैसे कुछ क्राउडफंडिंग प्लेटफार्मों ने कलाकारों, लेखकों, संगीतकारों या पॉडकास्टरों सहित रचनात्मक लोगों को आय का एक स्थिर स्रोत प्राप्त करके अपने रचनात्मक कार्य को बनाए रखने का एक तरीका प्रदान करने के लिए क्राउडफंडिंग की पहुंच का विस्तार किया है। .

किकस्टार्टर , इंडिगोगो और गोफंडमी जैसी क्राउडफंडिंग वेबसाइटें सैकड़ों हजारों लोगों को आकर्षित करती हैं जो अगली बड़ी चीज बनाने या समर्थन करने की उम्मीद करते हैं।

गोफंडमी : उदइल्ह्श सबसे बड़ा क्राउडफंडिंग प्लेटफॉर्म है। २०१० में उदइल्ह्श की स्थापना के बाद से, साइट ने २०० मिलियन से अधिक दानदाताओं के माध्यम से २५ बिलियन डॉलर से अधिक जुटाए हैं। उदइल्ह्श उन व्यक्तियों के लिए सबसे लोकप्रिय साइट है जो चिकित्सा व्यय या आपदा जैसे घर में आग, प्राकृतिक आपदा, या अप्रत्याशित आपातकालीन व्यय से उबरना चाहते हैं। स्टार्ट-अप कंपनियाँ किकस्टार्टर का उपयोग करती हैं।

 

किक: किकस्टार्टर एक और लोकप्रिय विकल्प है। २००९ में स्थापित, प्लेटफ़ॉर्म ने लगभग २५०,००० परियोजनाओं को सफलतापूर्वक वित्त पोषित किया है, जिसमें सभी किकस्टार्टर परियोजनाओं में ७.६ बिलियन डॉलर से अधिक का वादा किया गया है। पूंजी जुटाने और बड़े दर्शकों तक पहुंचने की उम्मीद रखने वाले महत्वाकांक्षी व्यवसायों के लिए किकस्टार्टर सबसे लोकप्रिय क्राउडफंडिंग साइट है। वास्तव में, उदइल्ह्श के विपरीत, किकस्टार्टर का उपयोग केवल ऐसे प्रोजेक्ट बनाने के लिए किया जा सकता है जिन्हें दूसरों के साथ साझा किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त, किकस्टार्टर का उपयोग किसी दान या उद्देश्य के लिए धन जुटाने के लिए नहीं किया जा सकता है, परियोजनाएं इक्विटी, राजस्व साझाकरण, या निवेश के अवसरों जैसे प्रोत्साहन की पेशकश नहीं कर सकती हैं, न ही किसी परियोजना में साइट की निषिद्ध वस्तुओं की सूची शामिल हो सकती है जैसे ‘कोई भी आइटम दावा करना किसी बीमारी या स्थिति का निदान, इलाज, उपचार या रोकथाम करने के लिए,’ राजनीतिक धन उगाही, ड्रग्स या शराब, या कोई प्रतियोगिता, कूपन, जुआ और रैफ़ल।

 

इंडिगोगो: इंडीगोगो की शुरुआत एक क्राउडफंडिंग साइट के रूप में हुई थी, शुरुआत में इसका ध्यान विशेष रूप से स्वतंत्र फिल्मों के लिए धन जुटाने पर था, लेकिन २००८ में लॉन्च होने के एक साल बाद इसने किसी भी श्रेणी से प्रोजेक्ट स्वीकार करना शुरू कर दिया। इंडीगोगो को किकस्टार्टर की तुलना में कम सख्त और अधिक लचीले मंच के रूप में देखा जाता है , क्योंकि यह समर्थकों को इस पर नियंत्रण देता है कि वे निश्चित या लचीले मॉडल चाहते हैं या नहीं – यह संभवतः दो क्राउडफंडिंग प्लेटफार्मों के बीच सबसे महत्वपूर्ण अंतर है। किकस्टार्टर अभियान के फंडिंग लक्ष्य तक पहुंचने के बाद ही फंड जारी करता है, जबकि इंडिगोगो प्रचारक को आनुपातिक फंडिंग प्राप्त करने की अनुमति देता है , या तब तक इंतजार करता है जब तक उनका लक्ष्य पूरा नहीं हो जाता। एक प्रचारक के रूप में, लचीली फंडिंग के साथ जाना आसान और कम जोखिम भरा हो सकता है, जैसे कि फंड आते ही प्राप्त करना। हालाँकि, जुटाई गई राशि की परवाह किए बिना, प्रचारकों को अभी भी किए गए किसी भी वादे को पूरा करना होगा। एक समर्थक के लिए, निश्चित फंडिंग अधिक आकर्षक होती है क्योंकि यह बहुत कम जोखिम से जुड़ी होती है। क्राउडफंडिंग प्लेटफ़ॉर्म शुल्क ५ज्ञ् से १२ज्ञ् तक होता है। क्राउडफंडिंग प्लेटफ़ॉर्म चुनने से पहले दंडात्मक शुल्क संरचनाओं पर ध्यान दें।

 

क्राउडफंडिंग के फायदे और नुकसान

किसी स्टार्ट-अप कंपनी या व्यक्ति के लिए क्राउडफंडिंग का सबसे स्पष्ट लाभ निवेशकों/समर्थकों के एक बड़े और अधिक विविध समूह तक पहुंच प्रदान करने की क्षमता है। सोशल मीडिया की सर्वव्यापकता के साथ, क्राउडफंडिंग प्लेटफॉर्म व्यवसायों और व्यक्तियों के लिए अपने दर्शकों को बढ़ाने और उन्हें आवश्यक फंडिंग प्राप्त करने का एक अविश्वसनीय तरीका है।

इक्विटी-आधारित क्राउडफंडिंग की लोकप्रियता बढ़ रही है क्योंकि यह स्टार्टअप कंपनियों को उद्यम पूंजी निवेशकों पर नियंत्रण छोड़े बिना धन जुटाने की अनुमति देता है। कुछ मामलों में, यह निवेशकों को उद्यम में इक्विटी स्थिति अर्जित करने का अवसर भी प्रदान करता है। संयुक्त राज्य अमेरिका में, प्रतिभूति और विनिमय आयोग (एसईसी) इक्विटी-आधारित क्राउडफंडिंग को नियंत्रित करता है।

 

नुकसान

क्राउडफंडिंग के संभावित नुकसान में क्राउडफंडिंग का ‘सहारा लेने’ से आपको या आपकी कंपनी की प्रतिष्ठा को होने वाली संभावित क्षति, क्राउडफंडिंग साइट से जुड़ी फीस और, कम से कम कुछ प्लेटफार्मों पर, यदि आप अपने फंडिंग लक्ष्य तक नहीं पहुंचते हैं, तो कोई भी वित्त शामिल है। जो गिरवी रखा गया है वह आपके निवेशकों को वापस कर दिया जाएगा और आपको कुछ भी नहीं मिलेगा।

यदि फंडिंग लक्ष्य पूरा नहीं होता है तो गिरवी रखी गई फाइनेंसिंग निवेशकों को वापस कर दी जाती है स्टार्ट-अप कंपनी की प्रतिष्ठा को नुकसान हो सकता है

 क्राउडफंडिंग के उदाहरण

किकस्टार्टर पर क्राउडफंडेड किए गए कई उत्पाद और व्यवसाय बहुत सफल और आकर्षक प्रयास बन गए। उदाहरण के लिए, वर्चुअल रियलिटी हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर उत्पादों में विशेषज्ञता वाली एक अमेरिकी कंपनी ओकुलस वीआर को साइट के माध्यम से वित्त पोषित किया गया था। २०१२ में, संस्थापक पामर लक्की ने वीडियो गेमिंग के लिए डिज़ाइन किए गए वर्चुअल रियलिटी हेडसेट को डेवलपर्स के लिए उपलब्ध कराने के लिए धन जुटाने के लिए एक किकस्टार्टर अभियान शुरू किया। अभियान ने त्र्२.४ मिलियन की क्राउडफंडिंग की, जो त्र्२५०,००० के मूल लक्ष्य से १० गुना अधिक है।

मार्च २०१४ में, मेटा ( श्EऊA ) ने त्र्२.३ बिलियन नकद और स्टॉक में ध्म्ल्त्ल्े न्न्R का अधिग्रहण किया।

किकस्टार्टर अभियानों की मदद से सफलता हासिल करने वाली कंपनी का एक और उदाहरण एम३डी है, जो दो दोस्तों द्वारा स्थापित एक कंपनी है जो छोटे ३डी प्रिंटर बनाती है । डेविड जोन्स और माइकल अरमानी ने २०१४ में क्राउडफंडिंग साइट पर अपने माइक्रो ३डी प्रिंटर के लिए ३.४ मिलियन डॉलर जुटाए।

अप्रैल २०१९ में, क्रिटिकल रोल, एक साप्ताहिक लाइव-स्ट्रीम टेबलटॉप रोलप्लेइंग गेम, जिसमें प्रमुख आवाज अभिनेताओं का एक समूह शामिल था, ने अपने नवीनतम एनिमेटेड विशेष ‘द लीजेंड ऑफ वोक्स माकिना’ के लिए केवल २४ घंटों में त्र् ४.७ मिलियन जुटाए। किसी अन्य २०१९ किकस्टार्टर अभियान ने अपनी संपूर्ण ३०- से ६०-दिन की अवधि में इतनी राशि नहीं जुटाई।

दान के आधार पर संचालित क्राउडफंडिंग के लिए, कंपनी को निवेशकों को वापस भुगतान करने की आवश्यकता नहीं है। हालाँकि कई कंपनियाँ शुरुआती समर्थकों व्ाâे लिए प्रोत्साहन की पेशकश करती हैं जैसे उत्पाद की अग्रिम प्रति।

२०१७ में, ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने क्राउड-सोर्स्ड फंडिंग के लिए एक विधायी ढांचा प्रदान करने के लिए २००१ निगम अधिनियम में संशोधन किया। न्यूनतम दो साल के ऑपरेटिंग ट्रैक रिकॉर्ड के साथ नाइजीरिया में एक कंपनी के रूप में शामिल सभी सूक्ष्म लघु और मध्यम उद्यम शेयर, डिबेंचर, या ऐसे अन्य निवेश साधन जारी करने के बदले में क्राउडफंडिंग पोर्टल के माध्यम से धन जुटाने के पात्र हैं, जैसा कि आयोग कर सकता है। डिजिटल युग ने क्राउडफंडिंग को बढ़ावा दिया है, जो संगठनों और व्यक्तियों के लिए लोगों के एक बड़े समूह से (बड़ी मात्रा में) पूंजी इकट्ठा करने का एक अनूठा तरीका है। पूंजी चाहने वालों के लिए, यह एक बेहतरीन पिच विकसित करने और उदइल्ह्श या किकस्टार्टर जैसी क्राउडफंडिंग साइट पर लक्ष्य निर्धारित करने जैसा है। बड़े दान वांछनीय हो सकते हैं, लेकिन यह अक्सर छोटे दान होते हैं जो जुड़ते हैं और पूंजी चाहने वालों को अपने लक्ष्य तक पहुंचने की अनुमति देते हैं।