इंफ्रास्ट्रक्चर

शिवाजी महाराज की प्रतिमा गिरने का मामल में कंसल्टेंट और ठेकेदार चेतन पाटिल गिरफ्तार…

महाराष्ट्र के कोल्हापुर में छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति गिरने के मामले में सिंधुदुर्ग पुलिस ने स्ट्रक्चरल कंसल्टेंट और ठेकेदार चेतन पाटिल को गिरफ्तार किया है। चेतन को आज सिंधुदुर्ग लाया जाएगा। चेतन पाटिल को गुरुवार रात कोल्हापुर में उसके रिश्तेदार के घर से गिरफ्तार किया गया। चेतन ने पहले दावा किया था कि वह प्रोजेक्ट के स्ट्रक्चरल कंसल्टेंट नहीं थे। इधर, महाराष्ट्र कला निदेशालय के डायरेक्टर राजीव मिश्रा का कहना है कि हमने सिर्फ 6 फीट के लिए परमिशन दी थी। नौसेना ने बिना बताए इसकी ऊंचाई 35 फीट कर दी। 26 अगस्त को छत्रपति शिवाजी महाराज की 35 फीट ऊंची प्रतिमा गिरने के बाद सिंधुदुर्ग पुलिस स्टेशन में FIR दर्ज की गई थी। इसमें ठाणे के मूर्तिकार जयदीप आप्टे का नाम भी शामिल था।

महाराष्ट्र कला निदेशालय के डायरेक्टर राजीव मिश्रा का कहना है कि उन्होंने केवल 6 फीट की मूर्ति लगाने की परमिशन दी थी। इसके लिए मूर्तिकार ने मिट्टी का मॉडल दिखाया था। मंजूरी मिलने के बाद नौसेना ने निदेशालय को यह नहीं बताया कि मूर्ति 35 फीट ऊंची होगी। न ही यह बताया गया कि इसमें स्टील की प्लेटों का इस्तेमाल किया जाएगा। स्टेट PWD ने नौसेना को 2.44 करोड़ रुपए ट्रांसफर किए थे। नौसेना ने मूर्तिकार और सलाहकार नियुक्त किए और डिजाइन फाइनल होने के बाद इसे निदेशालय को मंजूरी के लिए भेजा गया। बाद में ऊंचाई बढ़ा ली होगी। मिश्रा ने कहा कि अब से कलाकारों और मूर्तिकारों को प्रतिमा स्थापित होने के बाद निदेशालय से अंतिम मंजूरी लेने के लिए कहा जाना चाहिए, न कि केवल मिट्टी के मॉडल के आधार पर। मंजूरी के लिए यह एक शर्त होनी चाहिए।

Cabinet: दिल्ली मेट्रो के दो नए कॉरिडोर को मंजूरी, 8400 करोड़ रुपये होंगे खर्च

Cabinet: केंद्रीय कैबिनेट ने दिल्ली मेट्रो के दो नए कॉरिडोर को मंजूरी दे दी है। इन पर 8400 करोड़ रुपये खर्च होंगे। केंद्र सरकार के मंत्रिमंडल की बैठक के बाद बुधवार को केंद्रीय सूचना व प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने इसकी जानकारी दी। Cabinet: दिल्ली मेट्रो के दो नए कॉरिडोर को मंजूरी, 8400 करोड़ रुपये होंगे खर्च, उन्होंने बताया है कि पहला कॉरिडोर लाजपत नगर से साकेत जी ब्लॉक के बीच होगा। इसकी लंबाई 8.4 किलोमीटर होगी। वहीं, दूसरा कॉरिडोर इंद्रलोक से इंद्रप्रस्थ के बीच होगा जिसकी लंबाई 12.4 किलोमीटर होगी। इन दोनों कॉरिडॉर का काम मार्च 2029 तक पूरा कर लिया जाएगा।

केंद्रीय मंत्री ने बताया कि लाजपत नगर से साकेत के बीच बनने वाला मेट्रो ब्लॉक सिल्वर, मेजेंटा, पिंक और वायलट लाइन्स को जोड़ेगा। इस पर आठ स्टेशन होंगे और यह पूरी तरह से एलिवेटेड होगा।केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने बताया कि इंद्रलोक और इंद्रप्रस्थ के बीच बनने वाले 12.377 किलोमीटर के कॉरिडोर के जरिए ग्रीन लाइन का एक्सटेंशन किया जाएगा। इसके यात्रियों को रेड, यलो, एयरपोर्ट लाइन, मेजेंटा, वॉयलट और ब्लू लाइन से इंटरचेंज करने की सुविधा मिलेगी। इस कॉरिडोर के जरिए हरियाणा के बहादुरगढ़ रीजन के लोगों को बेहतर कनेक्टिविटी मिलेगी।

पीएम मोदी आज अरुणाचल में सेला सुरंग परियोजना का करेंगे उद्घाटन

    13000 फीट की ऊंचाई पर बने इस टनल से चीन बॉर्डर तक आर्मी मूवमेंट फास्ट हो जाएगा. इससे एलएसी पर सेना को एक बढ़त मिलेगी. यह टनल सभी मौसम में कनेक्टिविटी प्रदान करेगा. प्रधानमंत्री मोदी ने इस सुरंग की आधारशिला फरवरी 2019 में रखी थी.

    ईटानगर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज शनिवार को अरुणाचल प्रदेश को बड़ी सौगात देने जा रहे हैं। पीएम मोदी आज अरुणाचल में सेला सुरंग परियोजना का करेंगे उद्घाटन, अधिकारियों ने बताया कि पीएम मोदी राज्य के तवांग जिले में महत्वपूर्ण सेला सुरंग का उद्घाटन करेंगे।

    अधिकारियों के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अरुणाचल प्रदेश में पश्चिम कामेंग जिले के बैसाखी में एक समारोह में करीब 20 विकास परियोजनाओं की आधारशिला रखेंगे और सुरंग को देश को समर्पित करेंगे। इसके बाद वह असम के लिए रवाना हो जाएंगे। 825 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित सेला सुरंग परियोजना में दो सुरंगें और 8.780 किमी लंबी सड़क शामिल है। सुरंगों और लिंक सड़कों समेत परियोजना की कुल लंबाई करीब 12 किमी है।

    दो सुरंगों में से, पहली 980 मीटर लंबी सिंगल-ट्यूब सुरंग है। दूसरी 1.5 किमी लंबी है, जिसमें आपात स्थिति के लिए एक एस्केप ट्यूब है। एक अधिकारी ने कहा, ”सेला-चारबेला रिज से होकर गुजरने वाली और न्यू ऑस्ट्रियन टनलिंग मेथड (एनएटीएम) से निर्मित यह सुरंग 13 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित है। यह सुरंग दुनिया की सबसे लंबी द्वि-लेन सुरंग होगी।”

    अधिकारी ने कहा कि असम के तेजपुर को अरुणाचल प्रदेश के तवांग से जोड़ने वाली सड़क पर यह सुरंग तवांग क्षेत्र के लिए हर मौसम में कनेक्टिविटी प्रदान करेगी। वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के निकट होने के कारण सेला सुरंग रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है।

    इसकी खुदाई 13 हजार 800 फीट सेला दर्रे के नीचे की गई है, जो तवांग जिले को अरुणाचल प्रदेश के बाकी हिस्सों से जोड़ता है। यह अक्सर बर्फबारी और भूस्खलन के कारण बंद रहता है। सुरंग पूरे साल तवांग और चीन की सीमा से लगे अन्य क्षेत्रों तक पहुंच प्रदान करेगी, जिससे भारतीय सेना को भी काफी मदद मिलेगी। पीएम मोदी आज अरुणाचल में सेला सुरंग परियोजना का करेंगे उद्घाटन , अधिकारी ने बताया कि सुरंग के अंदर कई तरह के सुरक्षा उपाय किए गए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस प्रोजेक्ट की नींव फरवरी 2019 में रखी थी। कोरोनावायरस महामारी समेत कई कारणों के चलते सुरंग के काम में देरी हुई।

    Cabinet Decisions: 12343 करोड़ की लागत से रेलवे की 6 मल्टी ट्रैकिंग प्रोजेक्ट्स को मंजूरी

    Cabinet Decisions: 12343 करोड़ की लागत से रेलवे की 6 मल्टी ट्रैकिंग प्रोजेक्ट्स को मंजूरी रेलवे ट्रैक्स पर कंजेशन को दूर करने के साथ ट्रैफिक को बढ़ाने के लिए मोदी सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की आर्थिक मामलों की कमिटी की बैठक में भारतीय रेलवे की छह मल्टी ट्रैकिंग प्रोजेक्ट्स को मंजूरी दे दी है. इन मल्टी ट्रैकिंग प्रोजेक्ट्स के जरिए रेलवे ट्रैक पर रेल यात्रा को युगम बनाने में मदद मिलेगी, लॉजिस्टिक्स कॉस्ट कम होगी, ऑयल इंपोर्ट कम होगा साथ ही प्रदूषण पर भी लगाम लगाने में मदद मिलेगी. 

    गुरुवार 8 फरवरी को पीएम मोदी की अध्यक्षता में सीसीईए (Cabinet Committee on Economic Affairs) की बैठक हुई. इस बैठक में रेल मंत्रालय के 6 प्रोजेक्ट्स को मंजूरी दे दी है जिसपर 12,343 करोड़ रुपये की लागत आएगी. इन प्रोजेक्ट्स की पूरी फंडिंग केंद्र सरकार करेगी. भारतीय रेलवे के सबसे व्यस्त सेक्शन पर मल्टी ट्रैकिंग प्रस्ताव के जरिए रेलवे ट्रैक्स पर कंजेशन को घटाने के साथ ऑपरेशन को बेहतर करने में मदद मिलेगी.    

    सरकार ने प्रेस रिलीज जारी कर बताया कि ये 6 मल्टी ट्रैकिंग प्रोजेक्ट्स 6 राज्यों राजस्थान, असम, तेलंगाना, गुजरात, आंध्र प्रदेश और नागालैंड के 18 जिलों को कवर करेगा जिससे रेलवे के मौजूदा नेटवर्क में 1020 किलोमीटर का इजाफा होगा और 3 करोड़ मैन-डेज (Man-Days) के बराबर इन राज्यों के लोगों को रोजगार मिल सकेगा.

    टेंशन बनी टनल…

    टेंशन बनी टनल...

    तेजी से चल रहा बचाव अभियान

    उत्तराखंड के जोशीमठ में घरों में आई दरारें और उनका दर्द आज पूरी दुनिया देख रही है. यह सबक न केवल उत्तराखंड बल्कि पूरी दुनिया के लिए भी हैकि प्रकृति से छेड़छाड़ का नतीजा क्या हो सकता है. जानकार कह रहे हैं कि यह गनीमत हैकि अभी आफत जोशीमठ के कुछ घरों मेंही आई है. जबकि भविष्य में उत्तराखंड में चल रही जल विद्युत समेत अन्य परियोजनाओं में अगर इसी तरह सेप्रकृति का दोहन किया गया, तो हालात बेहद खतरनाक होंगे. उत्तराखंड में ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेलमार्गहो या फिर अन्य दूसरी परियोजनाएं जिनको इंसानों की सहूलियत के लिए केंद्र और राज्य सरकारें बना रही हैं, कहीं सहूलियत की जगह टेंशन ना बन जाएं.

    उत्तरकाशी में निर्माणाधीन टनल का एक हिस्सा १२ नवंबर को दिवाली की सुबह ढह गया था. इससे ४१ मजदूर टनल में फंस गए. घटना के तुरंत बाद बचाव अभियान शुरू कर दिया गया, लेकिन ड्रिलिंग में बाधाओं के कारण रेस्क्यू में देरी हो रही है. मजदूरों तक पहुंचने के लिए कुल ८६ मीटर वर्टिकल ड्रिलिंग की जाएगी और इसमें चार दिन का समय लगेगा. २०० से ज्यादा लोगों की रेस्क्यू टीम (Rोम्ल ध्ज्ीaूग्दह)दिन-रात काम में लगी है. लेकिन अब तक कोई कामयाबी नहीं मिल पाई है. मजदूरों तक पहुंचने के लिए ८६ मीटर की वर्टिकल ड्रिलिंग जारी है. इसमें अब तक ३० मीटर की वर्टिकल ड्रिलिंग (न्न्ीूग्म्aत् Drग्त्त्ग्हु) की जा चुकी है. वहीं, सोमवार (२७ नवंबर) से मैनुअली हॉरिजॉन्टल ड्रिलिंग भी शुरू हो गई. इसके लिए रैट माइनर्स को बुलाया गया है, जो हाथ से खुदाई करेंगे. पतले से पैसेज में अंदर जाकर ड्रिल करने वाले मजदूरों को रैट माइनर्स कहते हैं. वहीं, टनल में फंसे मजदूरों को मनोबल भी टूटने लगा है. ऐसे में डॉक्टरों बारी-बारी से उनसे बात कर रहे हैं, ताकि वो किसी ट्रॉमा में न चले जाएं.

    साइट पर २४ घंटे २ साइकियाट्रिस्ट समेत ५ डॉक्टरों की एक टीम तैनात की गई है, जो फंसे हुए मजदूरों से दो शिफ्ट में बात कर रही है. सुबह ९ बजे से ११ बजे तक और शाम ५ बजे से ८ बजे तक मजदूर अपने मन की स्थिति डॉक्टरों के साथ शेयर कर रहे हैं. बात करने के लिए मजदूरों को पाइप के जरिए एक माइक भेजा गया है. साथ ही, टनल में फंसे हुए मजदूरों के परिवार के सदस्यों को उनसे जब चाहें बात करने की परमिशन दी गई है. प्रशासन ने मजदूरों के परिवारों के लिए टनल के बाहर कैंप लगाया है. 

    मजदूरों को उनके परिवार से भी कराई जा रही बात

    टनल के अंदर फंसे मजदूर सबा अहमद के भाई नैय्यर अहमद ने समाचार एजेंसी झ्ऊघ् के हवाले से कहा, ‘ड्रिलिंग में आ रही बाधाओं के कारण रेस्क्यू ऑपरेशन में देरी हो रही है. इसलिए डॉक्टरों और साइकियाट्रिस्ट ने मेरे भाई की काउंसिलिंग की. टनल के बाहर कैंप के पास कंस्ट्रक्शन कंपनी के इंतजाम किए गए कमरे में रह रहे नैय्यर ने कहा कि वह अपने भाई से दिन में दो बार बात करते हैं. इस दौरान वह यह भी सुनिश्चित करते हैं कि सबा की पत्नी और तीन बच्चे भी उनसे बात कर पाए. परिवार बिहार के भोजपुर में रहता है.

    नैय्यर ने कहा, ‘हम उन्हें प्रेरित करते रहते हैं. हम कभी भी कठिनाइयों और बाधाओं के बारे में बात नहीं करते हैं, बल्कि उन्हें बताते हैं कि वे जल्द ही बाहर आ जाएंगे.’

    वहीं, सिल्क्यारा की तरफ से फंसी ऑगर मशीन को सोमवार सुबह काटकर बाहर निकाल लिया गया. रविवार २६ नवंबर शाम से इसे प्लाज्मा कटर से काटा जा रहा था. पूरी रात यह काम चला. भारतीय सेना के कोर ऑफ इंजीनियर्स और मद्रास सैपर्स की यूनिट इस काम में जुटी थी.

    इस बीच टनल में रेस्क्यू ऑपरेशन का जायजा लेने पीएम नरेंद्र मोदी के विशेष सचिव पीके मिश्रा, गृह सचिव अजय के भल्ला और उत्तराखंड के मुख्य सचिव एसएस संधू भी पहुंचे.

    सिल्क्यारा टनल में पानी के रिसाव का खतरा बढ़ गया है. शनिवार को टनल के मुहाने के पास से ही पानी निकलता नजर आया. पानी के साथ मिट्टी के गीले होने पर टनल में मलबा धंसने की आशंका भी जताई गई थी. हालांकि, स्थिति अब नियंत्रण में है.

    इस बीच रेस्क्यू के काम में जुटे कर्मचारियों ने स्ट्रेचर को ड्रिल किए गए मलबे में डालकर मजदूरों को बाहर निकालने का अभ्यास किया. बताया जा रहा है कि अंदर फंसे मजदूरों को स्ट्रेचर की मदद से ही बाहर निकाला जाएगा. 

    बता दें कि सिलक्यारा सुरंग में १२ दिन से फंसे ४१ श्रमिकों का तनाव दूर करने के लिए बचाव दल ने उन्हें ‘बोर्ड गेम’ लूडो और ताश उपलब्ध कराने की योजना बनाई है. अधिकारियों ने यह जानकारी दी. श्रमिकों को निकालने के अभियान में कई व्यवधान आ रहे हैं. गुरुवार देर रात सुरंग के मलबे के बीच से पाइप डालने के काम को रोकना पड़ा क्योंकि जिस प्लेटफॉर्म पर ड्रिलिंग मशीन टिकी हुई है, उसमें दरारें दिखने के बाद ड्रिलिंग रोक दी गई थी. 

    कुछ दिन पहले ही रेस्क्यू ऑपरेशन के बीच आने वाली रुकावट को दूर करने और मजदूरों को जल्दी बाहर निकालने के लिए दिल्ली से कुछ विशेषज्ञ भी उत्तरकाशी पहुंचे , जो किसी तरह की बाधा में मदद करेंगे. एनडीआरएफ और एसडीआरएफ के जवान पहले पाइप से टनल में जाएंगे और वहां से ज्यादा कमज़ोर मज़दूर या जिनकी उम्र थोड़ी ़ज्यादा है, उनको पहले बाहर निकालने की योजना है.

    घटनास्थल पर एंबुलेंस भी तैनात हैं, जिससे सुंरग से निकाले जाने के बाद मज़दूरों को अस्पताल ले जाने की तैयारी है. जिसके लिए चिन्यालीसौड़ में एक सामुदायिक भवन में ४१ बेड वाला एक विशेष अस्पताल भी तैयार किया गया है. और टनल से लेकर अस्पताल तक ग्रीन कॉरिडोर तैयार किया गया है यानी हर स्तर पर मज़दूरों को सुरक्षित बचाने की तैयारियां हैं. उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी कल शाम से उत्तरकाशी में मौजूद हैं.

    आपको बता दें कि सुरंग में करीब ५७ मीटर में मलबा गिरा हुआ है, जिसकी दूसरी तरफ़ मज़दूर फंसे हुए हैं. ८०० मीटर के लोहे के पाइप मलबे के बीच से डाले जा रहे हैं और जब ये दूसरी ओर पहुंच जाएंगे तो इसके भीतर से मज़दूरों को निकाल लिया जाएगा. व्हील वाले स्ट्रेचर के जरिए मजदूरों को निकाला जाएगा. मजदूरों को स्ट्रेचर्स पर लिटा कर बाहर खींचे जाने की तैयारी है.

    बचाव अभियान हाइलाइट्स...

    उत्तराखंड के उत्तरकाशी में सुरंग में १० दिन से फंसे ४१ मजदूरों को निकलने के लिए बचाव अभियान चल रहा है. इन्हें निकालने के लिए अलग-अलग तीन प्लान पर काम काम किया जा रहा है. इस संबंध में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सदस्य लेफ्टिनेंट जनरल सैयद अता हसनैन और केंद्रीय सड़क और परविहन मंत्रालय के सचिव अनुराग जैन ने मीडिया से बातचीत करते हुए अहम बातें बताई हैं. इसमें यह भी है कि तीन अलग अलग प्लान में २ दिन, १५ दिन या फिर ३५ दिन तक का समय लग सकता है. राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सदस्य ले. जनरल (रि.) सैयद अता हसनैन ने कहा…

    • सुरंग में फंसे इन मजदूरों को बचाने के लिए पांच मोर्चे पर एक साथ प्रयास किये जा रहे हैं.
    •  क्षैतिज ड्रिल करने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा क्योंकि चट्टान की संरचना लम्बवत ड्रिल करने में चुनौती पेश कर रही है.
    • नयी छह इंच चौड़ी पाइपलाइन का उपयोग फंसे हुए मजदूरों को गर्म भोजन और दवा उपलब्ध कराने में किया जाएगा.
    • अभी मजदूरों को खाद्य सामग्री चार इंच चौड़ी पाइपलाइन के जरिए मुहैया की जा रही है.
    • फंसे हुए मजदूरों के साथ बेहतर संचार करने के लिए ६ इंच चौड़ी पाइपलाइन के जरिये उपकरण भी भेजा जाएगा.
    •  एनडीआरएफ के दल बचाव अभियान के दौरान उत्पन्न होने वाली किसी भी अकस्मात स्थिति से निपटने के लिए स्थल पर अभ्यास कर रहे हैं.
    • सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के सचिव अनुराग जैन ने कहाष्ठ
    • –  मौजूदा परिस्थितियों में क्षैतिज ड्रिल करना दूसरा सर्वश्रेष्ठ विकल्प है.
    • यदि कोई दिक्कत नही आई तो दो से ढाई दिन में हम सफल हो जाएंगे.
    • एंडोस्कोपिक कैमरे से सुरंग के अंदर दृश्य कैप्चर किए गए
    • उत्तराखंड के उत्तरकाशी में एनडीआरएफ, आईटीबीपी, सेना के इंजीनियर, एसडीआरएफ, अग्निशमन और आपातकालीन सेवाएं, बीआरओ और भारत सरकार की अन्य तकनीकी एजेंसियां जैसी एजेंसियां काम कर रही
    • ३-४ अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञ भी साइट पर आए हैं. सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि जहां भी हमें विशेषज्ञों के बारे में जानकारी है, वे विशेषज्ञ आए हैं और सलाह के लिए उपलब्ध हैं  ष्ठ वहां पर्याप्त जगह है अंदर जहां मजदूर फंसे हुए हैं. राशन, दवा और अन्य जरूरी चीजें कंप्रेसर के जरिए उस जगह पहुंचाई जा रही हैं..’
    • घ्Aइ के विमान से उपकरण मंगाए
    • आज भारतीय वायुसेना ने राउरकेला से देहरादून के लिए १८ टन अतिरिक्त भार लेकर उड़ान भरी. बेंगलुरु से विशेषज्ञ उपकरण भी मंगाए जा रहे हैं.

    टनल को लेकर विशेषज्ञों की राय...

    देहरादून: उत्तराखंड के जोशीमठ में घरों में आई दरारें और उनका दर्द आज पूरी दुनिया देख रही है. यह सबक न केवल उत्तराखंड बल्कि पूरी दुनिया के लिए भी है कि प्रकृति से छेड़छाड़ का नतीजा क्या हो सकता है. जानकार कह रहे हैं कि यह गनीमत हैकि अभी आफत जोशीमठ के कुछ घरों मेंही आई है. जबकि भविष्य में उत्तराखंड में चल रही जल विद्युत समेत अन्य परियोजनाओं में अगर इसी तरह सेप्रकृति का दोहन किया गया, तो हालात बेहद खतरनाक होंगे. उत्तराखंड में ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेलमार्गहो या फिर अन्य दूसरी परियोजनाएं जिनको इंसानों की सहूलियत के लिए केंद्र और राज्य सरकारें बना रही हैं, कहीं सहूलियत की जगह टेंशन ना बन जाएं.

    चमोली में अचानक से यह सब नहीं हुआ. चमोली बचाओ संघर्ष समिति बीते १८ सालों से इस लड़ाई को लड़ रही है. घरों में आई दरारेंकोई आज की नहीं हैं, बल्कि सालों से इस क्षेत्र में घरों में दरारें आती रही हैं.लेकिन आप सोचिए कि शहर के नीचेसेजा रही सुरंग और दुर्गम पहाड़ों पर बन रहे बहु मंजिले घर, होटल का दबाव इतना बढ़ गया कि जिसको हिमालय के पर्वत भी सहन नहीं कर पा रहेहैं.

    इसके साथ ही ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेल लाइन हो या फिर ऑल वेदर रोड के तहत बन रही उत्तराखंड में तमाम सड़कें जिनके लिए आनेवाले समय में और भी पहाड़ों का सीना चीरा जाएगा खतरा बढ़ा सकती हैं. आपको जानकर हैरानी होगी कि आनेवाले ५ सालों में उत्तराखंड देश का ऐसा पहला पर्वतीय राज्य होगा, जहां पर सबसे अधिक टनल होंगी. यही टनल अब उत्तराखंड की भौगोलिक स्थिति को बेहतर तरीके से जाननेवाले और वैज्ञानिकों के लिए टेंशन बन रही हैं. वैज्ञानिक चिंतित हैं कि जिस तरह से पर्वतों को खोद करके उनमें निर्माण हो रहेहैं, वह भविष्य के लिए ठीक नहीं है. रेल लाइन का ७० प्रतिशत हिस्सा पहाड़ों से गुज रेगा: उत्तराखंड में ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेल मार्गमें ऋषिकेश से लेकर कर्णप्रयाग तक लगभग १२ स्टेशन बनाए जा रहे हैं. इनमें १७ सुरंगों का निर्माण किया जा रहा है. इसमेंकोई दो राय नहीं है  कि केंद्र सरकार की योजना उत्तराखंड के लिए पर्यटन के लिहाज से आर्थिकी में मील का पत्थर साबित होगी. लेकिन भविष्य में इसके परिणाम क्या होंगे, इस बात की चिंता अब सभी को सताने लगी है. मौजूदा रेल परियोजना में आप इसी से खतरे का अंदाजा लगा सकते हैं कि लगभग १२६ किलोमीटर का सफर तय करनेवाली ट्रेन ७०ज्ञ् पहाड़ों के नीचे से होती हुई अपनी मंजिल पर पहुंचा करेगी. उत्तराखंड में ही देश की दूसरे नंबर की सबसे लंबी टनल बनाई जा रही है, जिसकी लंबाई लगभग १४ किलोमीटर होगी. इसका निर्माण देवप्रयाग सेशुरू होकर जनासू तक होगा.

    १२६ किलोमीटर की ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेल परियोजना का काम बहुत तेजी से चल रहा है. ५० किलोमीटर की सुरंग अब तक तैयार कर ली गई हैं. हालांकि रेल मंत्रालय सेजुड़े अधिकारी तमाम बार यही बात कहते रहे हैं कि उत्तराखंड में बन रही इस परियोजना में सभी वैज्ञानिक पहलुओं का अध्ययन करके ही काम किया जा  रहा है.

    टनल निर्माण में ब्लास्टिंग है खतरे का कारण: नॉर्वे जैसे देश में भी पहाड॰ियों से ही रेल और सड़क मार्गकी कनेक्टिविटी सालों से चल रही है. लिहाजा उत्तराखंड में बन रही इस महत्वपूर्ण परियोजना में किसी तरह की कोई दिक्कत ना हो उसका भी ध्यान रखा जा रहा है. लेकिन सवाल यह खड़ा होता हैकि जिस तरह सेजोशीमठ मेंहालात बन रहेहैं, इस योजना के तहत भी पहाड़ों के नीचे ब्लास्टिंग करके कई तरह के कामों को पूरा किया जा रहा है. भविष्य में इसके क्या परिणाम होंगे, इसका जवाब किसी के पास नहीं है.

    उत्तराखंड के प्रसिद्ध पर्यावरणविद् और द् टिहरी बांध आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाने वाले स्वर्गीय सुंदरलाल बहुगुणा गु के पुत्र राजीव नयन बहुगुणा भी इस परियोजना को बेहद घातक बता रहे हैं. राजीव नयन बहुगुणा गु कहतेहैं कि उत्तराखंड में सड़क और रेल मार्गकी आपाधापी में जिस तरह से काम किए जा रहे हैं, वह एक अदृश्य खतरा है. ये खतरे अभी शायद किसी को दिखाई नहीं दे रहेहैं. लेकिन आनेवाले समय में इनके परिणाम बेहद खतरनाक होंगे.

    इस परियोजना के तहत जल्दबाजी के चक्कर मेंअंधाधुंध विस्फोट पहाड़ों के अंदर किए जा रहेहैं. ऐसा नहीं हैकि पहाड़ी में अगर ऋषिकेश मेंविस्फोट किया जाएगा तो उसका असर सिर्फ उसी जगह पर होगा. इन तीव्र गति के विस्फोट का असर ४० से ५० किलोमीटर दूर भी होता है. राजीव कहते हैं कि विस्फोट की जगह और भी दूसरे उपाय हो सकते हैं.

    ६०० साल पहलेमाधो सिंह भंडारी की बनाई सुरंग अभी भी सुरक्षित: बहुगुणा गु बतातेहैंकि उत्तराखंड के मलेथा मेंही माधो सिंह भंडारी नेजो सुरंग बनाई थी, उसमें आज तक किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं आई. वह इसलिए क्योंकि उस सुरंग में किसी तरह का विस्फोट नहीं किया गया था. बल्कि पूरी सुरंग को मैनुअली ही बनाया गया था. गौरतलब है कि करीब ६०० साल पहले महान योद्धा माधो सिंह भंडारी पहाड़ का सीना चीर दो किमी लंबी सुरंग बनाकर अपने गांव तक नदी का पानी लाए थे. यह सुरंग अपने आप में आधुनिकतम इंजीनियरिंग का अद्भुत नमूना है. आज तक ये सुरंग सुरक्षित है. 

    जोशी कहतेहैंकि उत्तराखंड में माइक्रो प्रोजेक्ट लगाए जा सकते हैं, जो उत्तराखंड के पहाड़ों और पर्यावरण के लिए सही हैं. ऐसा नहीं हैकि पहाड़ों में आप कुछ भी गतिविधि कर लो और कह दो कि ये तो पहाड़ हैं. ये पहाड़ वैसे पहाड़ नहीं हैं, जैसा इनको सोच कर बोझ लादा जा रहा है. हमें सभी बातों का ध्यान और खास कर उत्तराखंड में घटी पूर्वकी घटनाओं का भी ध्यान रखना होगा. नहीं तो ये विकास हमें विनाश की तरफ ले जायेगा और हमें उन हालातों से फिर शायद ही कोई तकनीक बचा पाए.

    उत्तराखंड मेंक्या हैंये परियोजनाएं: एं आपको बता दें उत्तराखंड मेंहाल ही मेंदेहरादून दिल्ली मार्ग पर एक बड़ी टनल का निर्माण किया गया है. इसके साथ ही टिहरी जिलेमेंभी पहाड़ों को खोद कर सड़क के लिए टनल बनाई गई. जिसके बाद वहां भी उस वक्त भूधंसाव की घटना हुई थी. साथ ही उत्तरकाशी में एक टनल के साथ साथ मौजूदा समय में उत्तराखंड में रेल मार्गके लिए १७ सुरंग बनाई जा रही हैं. येरेल मार्ग १२६ किलोमीटर का होगा जिसमें १२ स्टेशन, १७ सुरंग और ३५ पुल बनाए जा रहेहैं. इसके साथ ही चमोली जिलेमेंगौचर भट्ट नगर और सिवाई मेंरेलवेस्टेशन भी बननेहैं. यहां अप्रोच रोड, रेल और रोड ब्रिज बनानेका काम चल रहा है.

     

    वैदिक थीम पार्क का भूमिपूजन फिल्म अभिनेत्री हेमा मालिनी व उत्तर मुंबई भाजपा सांसद गोपाल शेट्टी की मौजूदगी मे संपन्न

    वैदिक थीम पार्क का भूमिपूजन फिल्म अभिनेत्री हेमा मालिनी वा उत्तर मुंबई भाजपा सांसद गोपाल शेट्टी की मौजूदगी मे संपन्न

    भूमि भूमाफियाओ के कब्जे से जमीन मुक्त करवाकर वैदिक थीम पार्क की रखी नीव

    मुंबई (फिरोज सिद्दीकी) देश के विभिन्न राज्यों मे हुए विधानसभा चुनावों मे कांग्रेस मुक्त भारत हुए है, ठीक उसी तर्ज पर आज मलाड की सरकारी रिक्त पड़े साढ़े छ: एकड़ भूमि पर अवैध रूप से भूमाफिया कब्जा कर भंगार के बड़े बड़े गाले खड़े कर दिए थे! जिसको लेकर उत्तर मुंबई भाजपा सांसद गोपाल शेट्टी ने भूखंड भूमाफियाओ के अनधिकृत कब्जे से ना सिर्फ मुक्त करवाया बल्की सरकारी जमीन को मुंबई मनपा को सुपुर्द कर वैदिक थीम पार्क की शक्ल मे भूमिपूजन फिल्म अभिनेत्री हेमा मालिनी मौजूदगी मे संपन्न करवाया !

    कहा जाता हैं कि सांसद गोपाल शेट्टी ने अपने कार्यकाल में सदैव नागरिकों के हित में ऐसे अवैध रूप से चल रहे कारोबार को जड़ से उखाड़ फेंक वाकर बड़े बड़े उद्यान,व्यामशाला जैसे प्रकल्प निर्माण कर सरकार को सुपुर्द कर जनहित के लिए लोकार्पण किए हैं। दूसरी ओर मीडिया से बातचीत करते हुए सांसद गोपाल शेट्टी ने कहा की इस भूखंड के साथ और ऐसे २० भूखंड की यादि मैने महापालिका को दी है। जिस पर नागरिकों के लिए मैं प्रकल्प निर्माण कार्य करने की मंशा रखता हूं।

    वहीं भूमिपूजन कार्यक्रम मे फिल्म अभिनेत्री , भाजपा नेता सांसद हेमा मालिनी , समाजसेविका अमृता फडणवीस , मुंबई भाजपा अध्यक्ष एड.आशीष शेलार के कर कमलों से वैदिक थीम पार्क का भूमिपूजन हुआ है।

    वैदिक थीम पार्क की विशेषता क्या है
    पर्यावरण की दृष्टि से अति आवश्यक और उपयोगी ऐसे मियावाकी जंगल का निर्माण इस थीम पार्क में होगा। इस अवसर पर सांसद हेमा मालिनी ने सांसद गोपाल शेट्टी के कार्यों की भूरी भूरी प्रशंसा की और मुंबई के लिए ऐसे ऑक्सीजन देने वाले उद्यान निर्माण के लिए धन्यवाद किए।

    कार्यक्रम में सांसद गोपाल शेट्टी,सांसद हेमा मालिनीजी, वि. एड.आशीष शेलार, वि.योगेश सागर, भाजपा मुंबई सचिव डॉ.योगेश दुबे,युनुस खान, विनोद शेलार, उत्तर मुंबई अध्यक्ष गणेश खनकर, मुंबई महानगर पालिका के अधिकारी गण, माजी नगरसेवक गण, भाजपा के पदाधिकारी, अनेक समाज सेवी संस्था के प्रतिनिधि और हजारों नागरिक उपस्थित थे।