उत्तरकाशी में निर्माणाधीन टनल का एक हिस्सा १२ नवंबर को दिवाली की सुबह ढह गया था. इससे ४१ मजदूर टनल में फंस गए. घटना के तुरंत बाद बचाव अभियान शुरू कर दिया गया, लेकिन ड्रिलिंग में बाधाओं के कारण रेस्क्यू में देरी हो रही है. मजदूरों तक पहुंचने के लिए कुल ८६ मीटर वर्टिकल ड्रिलिंग की जाएगी और इसमें चार दिन का समय लगेगा. २०० से ज्यादा लोगों की रेस्क्यू टीम (Rोम्ल ध्ज्ीaूग्दह)दिन-रात काम में लगी है. लेकिन अब तक कोई कामयाबी नहीं मिल पाई है. मजदूरों तक पहुंचने के लिए ८६ मीटर की वर्टिकल ड्रिलिंग जारी है. इसमें अब तक ३० मीटर की वर्टिकल ड्रिलिंग (न्न्ीूग्म्aत् Drग्त्त्ग्हु) की जा चुकी है. वहीं, सोमवार (२७ नवंबर) से मैनुअली हॉरिजॉन्टल ड्रिलिंग भी शुरू हो गई. इसके लिए रैट माइनर्स को बुलाया गया है, जो हाथ से खुदाई करेंगे. पतले से पैसेज में अंदर जाकर ड्रिल करने वाले मजदूरों को रैट माइनर्स कहते हैं. वहीं, टनल में फंसे मजदूरों को मनोबल भी टूटने लगा है. ऐसे में डॉक्टरों बारी-बारी से उनसे बात कर रहे हैं, ताकि वो किसी ट्रॉमा में न चले जाएं.
साइट पर २४ घंटे २ साइकियाट्रिस्ट समेत ५ डॉक्टरों की एक टीम तैनात की गई है, जो फंसे हुए मजदूरों से दो शिफ्ट में बात कर रही है. सुबह ९ बजे से ११ बजे तक और शाम ५ बजे से ८ बजे तक मजदूर अपने मन की स्थिति डॉक्टरों के साथ शेयर कर रहे हैं. बात करने के लिए मजदूरों को पाइप के जरिए एक माइक भेजा गया है. साथ ही, टनल में फंसे हुए मजदूरों के परिवार के सदस्यों को उनसे जब चाहें बात करने की परमिशन दी गई है. प्रशासन ने मजदूरों के परिवारों के लिए टनल के बाहर कैंप लगाया है.
मजदूरों को उनके परिवार से भी कराई जा रही बात
टनल के अंदर फंसे मजदूर सबा अहमद के भाई नैय्यर अहमद ने समाचार एजेंसी झ्ऊघ् के हवाले से कहा, ‘ड्रिलिंग में आ रही बाधाओं के कारण रेस्क्यू ऑपरेशन में देरी हो रही है. इसलिए डॉक्टरों और साइकियाट्रिस्ट ने मेरे भाई की काउंसिलिंग की. टनल के बाहर कैंप के पास कंस्ट्रक्शन कंपनी के इंतजाम किए गए कमरे में रह रहे नैय्यर ने कहा कि वह अपने भाई से दिन में दो बार बात करते हैं. इस दौरान वह यह भी सुनिश्चित करते हैं कि सबा की पत्नी और तीन बच्चे भी उनसे बात कर पाए. परिवार बिहार के भोजपुर में रहता है.
नैय्यर ने कहा, ‘हम उन्हें प्रेरित करते रहते हैं. हम कभी भी कठिनाइयों और बाधाओं के बारे में बात नहीं करते हैं, बल्कि उन्हें बताते हैं कि वे जल्द ही बाहर आ जाएंगे.’
वहीं, सिल्क्यारा की तरफ से फंसी ऑगर मशीन को सोमवार सुबह काटकर बाहर निकाल लिया गया. रविवार २६ नवंबर शाम से इसे प्लाज्मा कटर से काटा जा रहा था. पूरी रात यह काम चला. भारतीय सेना के कोर ऑफ इंजीनियर्स और मद्रास सैपर्स की यूनिट इस काम में जुटी थी.
इस बीच टनल में रेस्क्यू ऑपरेशन का जायजा लेने पीएम नरेंद्र मोदी के विशेष सचिव पीके मिश्रा, गृह सचिव अजय के भल्ला और उत्तराखंड के मुख्य सचिव एसएस संधू भी पहुंचे.
सिल्क्यारा टनल में पानी के रिसाव का खतरा बढ़ गया है. शनिवार को टनल के मुहाने के पास से ही पानी निकलता नजर आया. पानी के साथ मिट्टी के गीले होने पर टनल में मलबा धंसने की आशंका भी जताई गई थी. हालांकि, स्थिति अब नियंत्रण में है.
इस बीच रेस्क्यू के काम में जुटे कर्मचारियों ने स्ट्रेचर को ड्रिल किए गए मलबे में डालकर मजदूरों को बाहर निकालने का अभ्यास किया. बताया जा रहा है कि अंदर फंसे मजदूरों को स्ट्रेचर की मदद से ही बाहर निकाला जाएगा.
बता दें कि सिलक्यारा सुरंग में १२ दिन से फंसे ४१ श्रमिकों का तनाव दूर करने के लिए बचाव दल ने उन्हें ‘बोर्ड गेम’ लूडो और ताश उपलब्ध कराने की योजना बनाई है. अधिकारियों ने यह जानकारी दी. श्रमिकों को निकालने के अभियान में कई व्यवधान आ रहे हैं. गुरुवार देर रात सुरंग के मलबे के बीच से पाइप डालने के काम को रोकना पड़ा क्योंकि जिस प्लेटफॉर्म पर ड्रिलिंग मशीन टिकी हुई है, उसमें दरारें दिखने के बाद ड्रिलिंग रोक दी गई थी.
कुछ दिन पहले ही रेस्क्यू ऑपरेशन के बीच आने वाली रुकावट को दूर करने और मजदूरों को जल्दी बाहर निकालने के लिए दिल्ली से कुछ विशेषज्ञ भी उत्तरकाशी पहुंचे , जो किसी तरह की बाधा में मदद करेंगे. एनडीआरएफ और एसडीआरएफ के जवान पहले पाइप से टनल में जाएंगे और वहां से ज्यादा कमज़ोर मज़दूर या जिनकी उम्र थोड़ी ़ज्यादा है, उनको पहले बाहर निकालने की योजना है.
घटनास्थल पर एंबुलेंस भी तैनात हैं, जिससे सुंरग से निकाले जाने के बाद मज़दूरों को अस्पताल ले जाने की तैयारी है. जिसके लिए चिन्यालीसौड़ में एक सामुदायिक भवन में ४१ बेड वाला एक विशेष अस्पताल भी तैयार किया गया है. और टनल से लेकर अस्पताल तक ग्रीन कॉरिडोर तैयार किया गया है यानी हर स्तर पर मज़दूरों को सुरक्षित बचाने की तैयारियां हैं. उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी कल शाम से उत्तरकाशी में मौजूद हैं.
आपको बता दें कि सुरंग में करीब ५७ मीटर में मलबा गिरा हुआ है, जिसकी दूसरी तरफ़ मज़दूर फंसे हुए हैं. ८०० मीटर के लोहे के पाइप मलबे के बीच से डाले जा रहे हैं और जब ये दूसरी ओर पहुंच जाएंगे तो इसके भीतर से मज़दूरों को निकाल लिया जाएगा. व्हील वाले स्ट्रेचर के जरिए मजदूरों को निकाला जाएगा. मजदूरों को स्ट्रेचर्स पर लिटा कर बाहर खींचे जाने की तैयारी है.