देश-विदेश

 पटाखा फैक्ट्री में धमाके से हरदा में हाहाकार; 11 लोगों की मौत, 150 से ज्यादा घायल, मालिक फरार

MP Harda Firecracker Factory Blast : मध्य प्रदेश के हरदा में पटाखा फैक्टरी में मंगलवार सुबह ब्लास्ट के बाद आग लग गई। हादसे में कई लोगों के मारे जाने और घायल होने की सूचना है। आग पर काबू पाने की कोशिशें जारी हैं। मध्य प्रदेश के हरदा में मगरदा रोड स्थित बैरागढ़ रेहटा में पटाखा फैक्टरी में मंगलवार सुबह आग लग गई। इसके बाद भयानक विस्फोट होने लगे। ब्लास्ट इतने तेज थे कि आसपास की इमारतों को भी उन्होंने हिला दिया। आग ने आसपास के घरों को भी अपनी चपेट में ले लिया। 11 लोगों की मौत हो गई है। इसमें नौ लोगों के मारे जाने की पुष्टि सीएमएचओ ने की है। यह आंकड़ा और भी बढ़ सकता है। 90 से अधिक घायल हैं। 17 गंभीर घायलों को इलाज के लिए इंदौर, भोपाल और नर्मदापुरम भेजा गया है। ब्लास्ट होने का सिलसिला थम नहीं रहा था, जिससे राहत एवं बचाव कार्य प्रभावित हुए। एंबुलेंस से घायलों को अस्पताल पहुंचाया जा रहा है। आग लगने के समय 30 से अधिक मजदूर फैक्टरी में काम कर रहे थे। घायलों और मृतकों में बच्चों और महिलाओं के होने की भी आशंका व्यक्त की जा रही है। शुरुआती जानकारी के अनुसार यह पटाखा फैक्टरी राजू अग्रवाल की है। ब्लास्ट इतने भीषण थे कि आसपास के मकान गिर गए।  

मध्य प्रदेश के हरदा में मगरदा रोड स्थित बैरागढ़ रेहटा में पटाखा फैक्टरी में मंगलवार सुबह आग लग गई। इसके बाद भयानक विस्फोट होने लगे। ब्लास्ट इतने तेज थे कि आसपास की इमारतों को भी उन्होंने हिला दिया। आग ने आसपास के घरों को भी अपनी चपेट में ले लिया। 11 लोगों की मौत हो गई है। इसमें नौ लोगों के मारे जाने की पुष्टि सीएमएचओ ने की है। यह आंकड़ा और भी बढ़ सकता है। 90 से अधिक घायल हैं। 17 गंभीर घायलों को इलाज के लिए इंदौर, भोपाल और नर्मदापुरम भेजा गया है। 

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने हरदा ब्लास्ट को लेकर आपात बैठक बुलाई। साथ ही मंत्री उदय प्रताप सिंह के साथ वरिष्ठ अधिकारियों को हरदा रवाना होने के निर्देश दिए। मृतकों के परिजनों को चार-चार लाख रुपये की सहायता राशि देने की घोषणा की है। उन्होंने यह भी कहा कि हादसे में मारे गए लोगों के परिवार की जिम्मेदारी सरकार उठाएगी। उनके बच्चों की पढ़ाई-लिखाई का खर्च भी सरकार ही उठाएगी। वहीं, आसपास के सात जिलों से फायर ब्रिगेड और एंबुलेंस हरदा पहुंच गई हैं। भोपाल से गए अधिकारियों ने भी मोर्चा संभाल लिया है। हरदा हादसे को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने छिंदवाड़ा के प्रवास कार्यक्रम को रद्द कर दिया है।

ब्लास्ट होने का सिलसिला थम नहीं रहा था, जिससे राहत एवं बचाव कार्य प्रभावित हुए। एंबुलेंस से घायलों को अस्पताल पहुंचाया जा रहा है। आग लगने के समय 30 से अधिक मजदूर फैक्टरी में काम कर रहे थे। घायलों और मृतकों में बच्चों और महिलाओं के होने की भी आशंका व्यक्त की जा रही है। शुरुआती जानकारी के अनुसार यह पटाखा फैक्टरी राजू अग्रवाल की है। ब्लास्ट इतने भीषण थे कि आसपास के मकान गिर गए।  

प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति ने जताया दुख 
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी घटना पर दुख जताया है। राष्ट्रपति ने कहा कि हरदा में आग लगने से अनेक लोगों की मृत्यु होने का समाचार अत्यंत दुखद है। मैं शोक संतप्त परिवारों के प्रति गहन संवेदना व्यक्त करती हूं। घायल हुए लोगों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करती हूं। मोदी ने कहा कि जो घायल हुए हैं, उनके जल्द से जल्द सेहतमंद होने की कामना करता हूं। स्थानीय प्रशासन सबको मदद पहुंचा रहा है। प्रधानमंत्री राष्ट्रीय आपदा कोष से प्रत्येक मृतक के रिश्तेदार को दो-दो लाख रुपये और घायलों को 50-50 हजार रुपये की आर्थिक सहायता की घोषणा की है।

₹2000 Note: 2 हजार के नोटों को लेकर RBI का बड़ा खुलासा, अभी भी लोगों के पास हैं 8,897 करोड़

₹2000 Note RBI Withdrawal Update: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 2 हजार के नोटों को लेकर बड़ा खुलासा किया है। पिछले साल 19 मई को रिजर्व बैंक ने 2 हजार के नोटों को प्रचलन से बाहर कर दिया था। तब से इन नोटों को वापस लिया जा रहा है। लेकिन अभी भी तमाम ऐसे लोग हैं जो 2 हजार के नोटों के घरों में रखे गए हैं। आरबीआई का कहना है कि 97 फीसदी नोट बैंकों को वापस मिल चुके हैं। लेकिन 8,897 करोड़ रुपए के नोट अभी भी जनता के पास हैं।  

2 हजार के कितने नोट चलन में थे?
रिजर्व बैंक ने 19 मई, 2023 को एक गाइडलाइन जारी करते हुए 2 हजार के नोटों को प्रचलन से बाहर कर दिया था। हालांकि सहूलियत यह दी थी कि ये नोट वैद्य मुद्रा बने रहेंगे। नोटों को बैंकों में जमा करने के लिए तारीख भी दी गई। आखिरी तारीख 7 अक्टूबर 2023 थी। इसके तहत नोटों को बैंक में जमा या बदल सकते हैं। यह सुविधा देश के सभी बैंकों में मौजूद थी। बैंक खाते में भी नोट स्वीकार किए जा रहे हैं। 

धोखाधड़ी से बचने की दी सलाह
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को अपनी चेतावनी दोहराई। लोगों से केवाईसी (अपने ग्राहक को जानें) अपडेट के रूप में छिपी धोखाधड़ी का शिकार होने से बचने के लिए सावधानी बरतने का आग्रह किया।

पाकिस्तान में आतंकी हमला: चोडवान थाने पर ग्रेनेड फेंका, 10 पुलिसकर्मियों की मौत, 6 घायल

Terrorist Attack on Chodwan Police Station in Pakistan: पाकिस्तान से बड़ी खबर है। 8 फरवरी को होने वाले आम चुनाव से 3 दिन पहले खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के दरबार शहर के एक पुलिस स्टेशन पर आतंकी हमला हुआ है। डॉन के मुताबिक, डेरा इस्माइल खान के चोडवान पुलिस स्टेशन पर सोमवार देर रात हुए हमले में 10 पुलिसकर्मी शहीद हो गए, जबकि छह घायल हो गए। क्षेत्रीय पुलिस अधिकारी (RPO) नासिर महमूद ने हताहतों की संख्या पुष्ट की है। फिलहाल हमले की जिम्मेदारी किसी आतंकी संगठन ने नहीं ली है। 

 

Bharat Ratna: लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न सम्मान

भाजपा के संस्थापक चेहरों में से एक लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न देने का एलान किया गया है। खुद पीएम मोदी ने एक्स पर पोस्ट कर इसकी घोषणा की। प्रधानमंत्री ने पोस्ट में कहा कि भारत के विकास में उनका योगदान स्मरणीय है। उनका जीवन जमीनी स्तर पर काम करने से शुरू होकर देश के उप-प्रधानमंत्री के तौर पर काम करते हुए चला। पीएम मोदी ने एक्स पर पोस्ट में कहा, “मैं यह साझा कर के काफी खुश हूं कि श्री लालकृष्ण आडवाणी जी को भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा। मैंने उनसे बात की और उन्हें इस सम्मान को दिए जाने पर बधाई दी। वह हमारे समय के सबसे बड़े और सम्मानित जननेता रहे हैं। भारत के विकास में उनका योगदान स्मरणीय है। उनका जीवन जमीनी स्तर पर काम करने से शुरू होकर देश के उप-प्रधानमंत्री के तौर पर काम करते हुए चला। उन्होंने गृह मंत्री और सूचना-प्रसारण मंत्री के तौर पर काम करते हुए भी खुद को दूसरों से अलग किया। उनके संसदीय हस्तक्षेप हमेशा अनुकरणीय रहे हैं और समृद्ध अंतर्दृष्टि से भरे रहे हैं।

भारत खरीदेगा 31 MQ-9B सशस्त्र ड्रोन

मोदी के यूएस दौरे में मिल सकता है अमेरिकी MQ-9B ड्रोन

हाल ही में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हुई एक बैठक में डिफेंस एक्विज़िशन कॉउंसिल (रक्षा अधिग्रहण परिषद) ने अमेरिकी कंपनी जनरल एटॉमिक्स से सशस्त्र एमक्यू 9 बी ड्रोन की ख़रीद को मंज़ूरी दी. अमेरिका ने बृहस्पतिवार को 3.99 अरब अमेरिकी डॉलर की अनुमानित लागत पर भारत को 31 एमक्यू-9बी सशस्त्र ड्रोन की बिक्री को मंजूरी दे दी.  इससे समुद्री मार्गों में मानवरहित निगरानी और टोही गश्त के जरिये वर्तमान और भविष्य के खतरों से निपटने के लिए भारत की क्षमता को बढ़ेगी.  इस ड्रोन सौदे की घोषणा जून 2023 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ऐतिहासिक राजकीय यात्रा के दौरान की गई थी.  रक्षा सुरक्षा सहयोग एजेंसी (डीएससीए) ने यहां एक बयान में कहा, ‘‘विदेश विभाग ने 3.99 अरब अमेरिकी डॉलर की अनुमानित लागत पर एमक्यू-9बी एयरक्राफ्ट और संबंधित उपकरणों को भारत सरकार को बेचने को मंजूरी देने का निर्णय लिया है. ”

एजेंसी ने कहा कि उसने बृहस्पतिवार को कांग्रेस को इस संभावित बिक्री के बारे में सूचित करते हुए आवश्यक प्रमाणीकरण दे दिया है.  एजेंसी ने कहा, ‘‘इस प्रस्तावित बिक्री से अमेरिका-भारत के रणनीतिक संबंधों को मजबूती मिलेगी और हिंद-प्रशांत तथा दक्षिण एशियाई क्षेत्र में आर्थिक प्रगति का मार्ग प्रशस्त होगा. ” इसने कहा, ‘‘प्रस्तावित बिक्री से परिचालन के समुद्री मार्गों में मानवरहित निगरानी और टोही गश्त को सक्षम बनाकर वर्तमान और भविष्य के खतरों से निपटने की भारत की क्षमता में सुधार होगा. ”

भारत अपने सशस्त्र बलों की निगरानी क्षमताओं को बढ़ाने के लिए, विशेष रूप से चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर, लंबे समय तक संचालिल होने वाले ड्रोन खरीद रहा है.  तीन अरब अमेरिकी डॉलर के सौदे के तहत, भारत को 31 अत्याधुनिक ड्रोन (यूएवी) मिलेंगे.  उनमें से 15 ‘सी-गार्जियन’ ड्रोन नौसेना को मिलेंगे, जबकि थलसेना और वायुसेना को आठ-आठ ‘स्काई-गार्डियन’ ड्रोन मिलेंगे.  डीएससीए ने इस बात की सराहना कि भारत ने अपनी सेना के आधुनिकीकरण के प्रति प्रतिबद्धता प्रदर्शित की है.  इसने कहा कि भारत को इन सेवाओं को अपने सशस्त्र बलों में शामिल करने में कोई कठिनाई नहीं होगी.

भारतीय रिजर्व बैंक ने Paytm पेमेंट्स बैंक पर लगाया प्रतिबंध?

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बुधवार को पेटीएम पेमेंट्स बैंक को 29 फरवरी, 2024 के बाद अपने खातों या वॉलेट में नई राशि जमा करना स्वीकार करना बंद करने का आदेश दिया. पेटीएम पेमेंट्स बैंक देश की सबसे बड़ी पेमेंट फर्मों में से एक पेटीएम (Paytm) का हिस्सा है. आरबीआई की ओर से बताया गया है कि 29 फरवरी के बाद पेटीएम नई जमा राशि नहीं ले सकेगा. वह क्रेडिट लेनदेन की सुविधा, यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) सुविधा सहित फंड ट्रांसफर करने की सुविधा नहीं दे सकेगा.  आरबीआई के चीफ जनरल मैनेजर योगेश दयाल ने एक बयान में कहा, “29 फरवरी, 2024 के बाद किसी भी ग्राहक खाते, प्रीपेड साधन, वॉलेट, फास्टैग, एनसीएमसी कार्ड आदि में कोई और जमा या क्रेडिट लेनदेन या टॉप अप की, किसी भी ब्याज, कैशबैक या रिफंड के अलावा इजाजत नहीं दी जाएगी. “  बयान में कहा गया है कि पेटीएम के ग्राहक बचत बैंक खातों, चालू खातों, प्रीपेड साधन, फास्टैग, नेशनल कॉमन मोबिलिटी कार्ड आदि सहित अपने खातों से शेष राशि की निकासी कर सकेंगे. उन्हें उनकी उपलब्ध शेष राशि बिना किसी प्रतिबंध के दी जाएगी. आरबीआई ने मार्च 2022 में पेटीएम पेमेंट्स बैंक से नए ग्राहकों को जोड़ना बंद करने के लिए कहा था. उसने यह कदम व्यापक प्रणाली ऑडिट रिपोर्ट और बाहरी ऑडिटरों की अनुपालन सत्यापन रिपोर्ट के बाद उठाया.  इन रिपोर्टों से पेमेंट बैंक में लगातार नियमों के गैर-अनुपालन और सामग्री पर्यवेक्षण से जुड़ी चिंताएं सामने आईं थीं. रिजर्व बैंक ने कहा कि पेटीएम पेमेंट्स बैंक के खिलाफ कार्रवाई बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 35ए के तहत की गई.

पेटीएम ने कहा, ‘‘ओसीएल एक भुगतान कंपनी के रूप में विभिन्न भुगतान उत्पादों पर विभिन्न बैंकों (सिर्फ पेटीएम पेमेंट्स बैंक नहीं) के साथ काम करती है. प्रतिबंध से ओसीएल ने अन्य बैंकों के साथ काम करना शुरू कर दिया. अब हम योजनाओं में तेजी लाएंगे और पूरी तरह से अन्य बैंक साझेदारों की ओर बढ़ेंगे. भविष्य में ओसीएल केवल अन्य बैंकों के साथ काम करेगा, पीपीबीएल के साथ नहीं.”

पेटीएम पेमेंट्स बैंक की करीब सभी सेवाएं 29 फरवरी के बाद बंद करने के आरबीआई के आदेश से कंपनी के वार्षिक परिचालन लाभ पर 300-500 करोड़ रुपये का असर पड़ने की आशंका है. पेटीएम ने कहा है कि, ‘‘इस कदम से कंपनी की वार्षिक कर पूर्व आय पर 300-500 करोड़ रुपये का असर पड़ने की आशंका है. हालांकि कंपनी को उम्मीद है कि वह अपनी लाभप्रदता में सुधार के पथ पर आगे बढ़ती रहेगी.”

Budget 2024-25: बजट में ग्रामीण इलाकों के लिए बड़ा तोहफा

5 साल में बनाए जाएंगे 2 करोड़ घर

Interim Budget 2024-25: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman ) ने आज 1 फरवरी को छठवां बजट पेश किया। लोकसभा चुनाव-2024 से पहले नरेंद्र मोदी सरकार का ये आखिरी अंतरिम बजट है।

Interim Budget 2024-25: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman ) ने आज 1 फरवरी को छठवां बजट पेश किया। लोकसभा चुनाव-2024 से पहले नरेंद्र मोदी सरकार का ये आखिरी अंतरिम बजट है। बजट भाषण के दौरान निर्मला सीतारमण ने प्रधानमंत्री आवास योजना ( PM Awas Yojana) को लेकर बड़ी घोषणा की है। संसद में अंतरिम बजट पेश करते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि, अगले 5 साल में ग्रामीण इलाकों में 2 करोड़ और घर बनाए जाएंगे। निर्मला सीतारमण ने कहा कि, कोरोना के बाद भी हमने इसपर काम करना जारी रखा है।

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, ”कोविड के कारण चुनौतियों के बावजूद, पीएम आवास योजना (ग्रामीण) का काम जारी रहा है। पीएम आवास योजना ग्रामीण के तहत अब तक हमने 3 करोड़ घर बनाने का काम पूरा किया है। आने वाले पांच सालों में हम 2 करोड़ और घर बनाएंगे।”

Budget 2024-25 Highlights:

बजट 2024 की अहम बातें संसद में अंतरिम बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, ‘जुलाई में पूर्ण बजट में हमारी सरकार विकसित भारत के लक्ष्य का विस्तृत रोडमैप प्रस्तुत करेगी।’ केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, इस बार इनकम टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया गया है। यानी इस बार आयरकरदाताओं को कोई राहत नहीं है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि तीन नए रेल कॉरिडोर शुरू होंगे। निर्मला सीतारमण ने कहा, तीन प्रमुख आर्थिक रेलवे कॉरिडोर लागू किए जाएंगे। पहला ऊर्जा, खनिज और सीमेंट कॉरिडोर। दूसरा, पोर्ट कनेक्टिविटी कॉरिडोर और तीसरा उच्च यातायात घनत्व कॉरिडोर। ये भी पढ़ें- Budget 2024: मोदी सरकार ने टैक्स स्लैब में नहीं किया कोई बदलाव वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि, ट्रेनों के परिचालन में सुधार किया जाएगा। माला-भाड़ा परियोजना को भी विकसित किया जाएगा। वहीं 40 हजार नॉर्मल रेल डिब्बों को वंदे भारत में बदला जाएगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि, लखपति दीदी को बढ़ावा दिया जाएगा। हमने अब तक 1 करोड़ महिलाओं को लखपति दीदी बनाया है। अब हमने 2 करोड़ से बढ़ाकर इसे 3 करोड़ का करने का फैसला लिया है।

Budget 2024-25: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बजट में क्या-क्या है खास…

Budget 2024-25: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बजट में क्या-क्या है खास...

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बृहस्पतिवार को संसद में Budget 2024-25: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बजट  पेश करते हुए कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था में पिछले 10 साल में गहरा सकारात्मक परिवर्तन देखा गया है। सीतारमण ने अपने चुनाव पूर्व बजट में कहा कि भारत के लोग आशा और विकल्पों के साथ भविष्य की ओर देख रहे हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने किसानों, महिलाओं, युवाओं और सबसे गरीब आबादी को सशक्त बनाने पर प्रमुख ध्यान देने के साथ अंतरिम बजट 2024-25 पेश कर दिया है। सीतारमण ने कहा कि सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता गरीब, महिलाएं, किसान और युवा हैं। यह व्यापक रूप से उम्मीद की गई थी कि सरकार किसानों की आय बढ़ाने, महिलाओं को सशक्त बनाने और युवाओं के लिए अधिक नौकरियां पैदा करने पर ध्यान केंद्रित करेगी। इस साल लोकसभा के चुनाव होने हैं इसलिए अंतरिम बजट पेश किया गया। नई सरकार के गठन के जुलाई में पूर्ण बजट पेश किया जाएगा। इसलिए सरकार की ओर से बड़े ऐलान से परहेज किया गया है। 

Income Tax Slab: वित्त वर्ष 2024-25 में क्या होगा इनकम टैक्स स्लैब और टैक्स रेट्स!

Income Tax Slab 2024-25: अंतरिम बजट पेश किया जा चुका है. और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट में इनकम टैक्स स्लैब रेट्स में कोई बदलाव नहीं किया है. ऐसे में हर टैक्सपेयर्स के मन में ये सवाल होगा कि वित्त वर्ष 2024-25 में में इनकम टैक्स रेट्स क्या होगा. नई इनकम टैक्स रिजीम हो या पुरानी इनकम टैक्स रिजीम दोनों ही टैक्स व्यवस्था में टैक्स रेट्स में कोई बदलाव नहीं किया गया है. फिलहाल यही टैक्स स्लैब मान्य होगा. ये संभव है कि नई सरकार जब जुलाई में वित्त वर्ष 2024-25 के लिए पूर्ण बजट पेश करे तो टैक्स स्लैब में बदलाव किया जा सकता है. पर फिलहाल अप्रैल 2024 से नए टैक्स स्लैब के आधार पर टैक्सपेयर्स को टैक्स बचाने की प्लानिंग करनी होगी नई टैक्स रिजीम के तहत 2024-25 के लिए इनकम टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया गया है ऐसे में नई टैक्स रिजीम के तहत टैक्स रेट्स इस प्रकार होगा. नए टैक्स रिजिम में 7 लाख रुपये तक जिनकी आय है उन्हें कोई टैक्स नहीं देना होता है. सरकार 25,000 रुपये का टैक्स रिबेट देती है. नई इनकम टैक्स व्यवस्था के तहत अब 3 लाख रुपये तक की आय पर कोई टैक्स नहीं है. 3 – 6 लाख वाले स्लैब में 5 फीसदी,  6 – 9 लाख रुपये तक के स्लैब पर 10 फीसदी, 9 – 12 लाख रुपये तक के स्लैब पर 15 फीसदी, 12 – 15 लाख रुपये तक के स्लैब पर 20 फीसदी और 15 लाख रुपये से ज्यादा आय पर 30 फीसदी इनकम टैक्स देना होता है. ओल्ड टैक्स रिजीम के इनकम टैक्स स्लैब पर नजर डालें तो पुरानी टैक्स व्यवस्था में 2.50 लाख रुपये तक के इनकम पर टैक्स छूट है. 2.50 से 5 लाख रुपये तक के आय पर 5 फीसदी, 5 – 10 लाख रुपये तक के इनकम पर 20 फीसदी और 10 लाख रुपये से ज्यादा के आय पर 30 फीसदी टैक्स देना होता है. पुरानी टैक्स व्यवस्था में 5 लाख रुपये तक जिनकी आय है उन्हें कोई टैक्स नहीं चुकाना होता है. 2.50 से 5 लाख रुपये तक के इनकम पर 5 फीसदी के दर से जो 12500 रुपये का जो टैक्स बनता है सरकार उसपर रिबेट देती है. नए वित्त वर्ष में टैक्सपेयर्स पर जो भी टैक्स बनेगा उन्हें एजुकेशन और हेल्थ सेस के रूप में कुल टैक्स के रकम पर 4 फीसदी सेस भी देना होगा. और जिन टैक्सपेयर्स की टैक्सबेल आय 50 लाख रुपये से ज्यादा है उन्हें टैक्स पर 10 फीसदी अलग से सरचार्ज देना होगा. 

बजट की बड़ी बातें

– वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बृहस्पतिवार को संसद में अंतरिम बजट पेश करते हुए कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था में पिछले 10 साल में गहरा सकारात्मक परिवर्तन देखा गया है। सीतारमण ने अपने चुनाव पूर्व बजट में कहा कि भारत के लोग आशा और विकल्पों के साथ भविष्य की ओर देख रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने समावेश के सभी पहलुओं का ध्यान रखा। वित्त मंत्री ने कहा कि संरचनात्मक सुधारों, जन-समर्थक कार्यक्रमों और रोजगार के अवसरों ने अर्थव्यवस्था को नई ताकत देने में मदद की। 

– सीतारमण ने कहा कि सरकार 2047 तक भारत को एक विकसित देश बनाने की दिशा में काम कर रही है। सीतारमण ने अंतरिम बजट 2024-25 पेश करते हुए कहा कि ‘‘अन्नदाता’’ (किसानों) के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य समय-समय पर और उचित रूप से बढ़ाया गया है। उन्होंने जोर देकर कहा कि सरकार के लिए सामाजिक न्याय एक प्रभावी तथा आवश्यक ‘मॉडल’ है। वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार प्रणालीगत असमानताओं को दूर करने पर ध्यान केंद्रित कर रही है। 

– वित्त मंत्री ने कहा कि देश में 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन मिलने से उनकी भोजन संबंधी चिंताएं खत्म हो गयी हैं। उन्होंने लोकसभा में अंतरिम बजट पेश करते हुए कहा कि 2014 में जब मोदी सरकार सत्ता में आई, तो भारत भारी चुनौतियों का सामना कर रहा था और सरकार ने सही तरीके से चुनौतियों पर काबू पाया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले साल नवंबर में कहा था कि उनकी सरकार गरीब आबादी के लिए मुफ्त राशन योजना को पांच साल के लिए बढ़ाएगी।

– वित्त मंत्री ने कहा कि पिछले 10 साल में 25 करोड़ लोगों को बहुआयामी गरीबी से मुक्ति मिली है। उन्होंने लोकसभा में अंतरिम बजट पेश करते हुए कहा कि गरीबी से निपटने के पिछली सरकारों के नजरिये से बेहद मामूली परिणाम मिले। सीतारमण ने कहा कि अब पारदर्शिता के आधार पर सभी पात्र नागरिकों को लाभ हस्तांतरित किए जाते हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के जरिये परिवर्तनकारी सुधारों की शुरुआत की जा रही है। सरकार वृद्धि को प्रोत्साहित करने के लिए अगली पीढ़ी के सुधार करेगी और अगले पांच साल अभूतपूर्व वृद्धि वाले होंगे। 

– सीतारमण ने कहा कि आयकर स्लैब में कोई बदलाव नहीं। प्रत्यक्ष और परोक्ष कर की दरों में कोई बदलाव नहीं किया जा रहा। वित्त वर्ष 2024-25 में 30.80 लाख करोड़ रुपये की कुल प्राप्तियां (उधारी को छोड़कर) रहने का अनुमान है। उन्होंने कहा कि कर रिटर्न की प्रक्रिया में लगाने वाला समय 2014 में 93 दिन से घटकर अब 10 दिन रह गया है, रिफंड तेजी से किया गया। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार आकांक्षी जिलों और ब्लॉकों के तेजी से विकास में राज्यों की मदद करने को तैयार है। उन्होंने कहा कि सरकार 2014 से पहले के वक्त के आर्थिक कुप्रबंधन पर श्वेतपत्र लेकर आएगी। 

– देश ग्रामीण आवास योजना के तहत तीन करोड़ घरों का लक्ष्य हासिल करने के करीब है और अगले पांच साल में दो करोड़ घरों का निर्माण किया जाएगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बृहस्पतिवार को अंतरिम बजट पेश करते हुए यह जानकारी दी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस महीने की शुरुआत में वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये प्रधानमंत्री जनजाति आदिवासी न्याय महा अभियान (पीएम-जनमन) के तहत ग्रामीण आवास योजना के एक लाख लाभार्थियों को 540 करोड़ रुपये की पहली किस्त जारी की थी। सीतारमण ने कहा कि सरकार पात्र मध्यम वर्ग को अपना घर खरीदने या बनाने के लिए एक आवासीय योजना शुरू करेगी। 

– वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में अंतरिम बजट पेश करते हुए कहा कि वित्त वर्ष 2024-25 में राजकोषीय घाटा चालू वित्त वर्ष के 5.8 प्रतिशत के मुकाबले सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 5.1 प्रतिशत रहने का अनुमान है। वित्त मंत्री ने कहा कि वित्त वर्ष 2024-25 के लिए कर प्राप्तियां 26.02 लाख करोड़ रुपये का अनुमान है। उन्होंने बताया कि वित्त वर्ष 2023-24 में राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 5.8 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जो पहले के अनुमान 5.9 प्रतिशत से कम है। उन्होंने कहा कि हमारे लिए GDP का अर्थ गवर्नेंस, परफॉर्मेंस और डेवलपमेंट है। 

– वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बृहस्पतिवार को देश में दूध और दुग्ध (डेयरी) उत्पादन बढ़ाने की योजना की घोषणा की। वित्त मंत्री ने कहा कि भारत दुनिया में सबसे बड़ा दूध उत्पादक है, लेकिन उत्पादकता कम है। भारत का दूध उत्पादन 2022-23 में चार प्रतिशत बढ़कर 23.05 करोड़ टन हो गया। उन्होंने यह भी कहा कि तिलहन उत्पादन के लिए आत्मनिर्भरता के लिए एक रणनीति विकसित की जाएगी।

– वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बृहस्पतिवार को कहा कि पीएम किसान योजना के तहत 11.8 करोड़ किसानों को वित्तीय सहायता प्रदान की गई है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) दुनिया की सबसे बड़ी प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) योजनाओं में से है। पीएम-किसान योजना के तहत सरकार तीन समान मासिक किस्तों में प्रति वर्ष 6,000 रुपये का वित्तीय लाभ प्रदान करती है। यह पैसा देशभर के किसान परिवारों के बैंक खातों में ‘डीबीटी’ के जरिये डाला जाता है।

– वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बृहस्पतिवार को लोकसभा में अंतरिम बजट पेश करते हुए कहा कि दुनिया के विभिन्न हिस्सों में युद्ध और संघर्षों के कारण वैश्विक स्थिति अधिक जटिल और चुनौतीपूर्ण होती जा रही है। रूस-यूक्रेन संघर्ष और इजराइल-हमास युद्ध ने वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला को बाधित कर दिया है, जिससे व्यापार प्रभावित हुआ है। वित्त मंत्री ने कहा कि नई वैश्विक व्यवस्था उभर रही है और भारत ने ईंधन और उर्वरक की कीमतों में बढ़ोतरी की वैश्विक चुनौतियों का सफलतापूर्वक सामना किया है। 

Budget 2024-25: लगातार छठा बजट पेश करेंगी वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण

Budget 2024: लगातार छठा बजट पेश करेंगी वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक फरवरी को लगातार छठा बजट  2024-25 पेश करेंगी। इसके साथ ही उनके नाम कई रिकॉर्ड दर्ज होंगे। वह लगातार पांच पूर्ण बजट और एक अंतरिम बजट पेश कर पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के क्लब में शामिल हो जाएंगी। सीतारमण पहली पूर्णकालिक महिला वित्त मंत्री हैं, जो जुलाई 2019 से अब तक पांच पूर्ण बजट पेश कर चुकी हैं। पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने सर्वाधिक 10 बार बजट पेश किए थे।

वित्त मंत्री का कार्यक्रम और कितने बजे संसद में पेश किया जाएगा बजट 2024-25

 

    • गुरुवार की सुबह 8 बजकर 15 मिनट पर वित्त मंत्री सबसे पहले बजट 2024 तैयार करने वाली अपनी टीम के साथ फोटो सेशन में हिस्सा लेंगी।
    • सुबह 8 बजकर 45 मिनट पर वित्त मंत्री महामहिम राष्ट्रपति से मुलाकात कर बजट की मंजूरी लेंगी।
    • गुरुवार की सुबह 9 बजकर 15 मिनट पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण संसद पहुंचेंगी।
    • सुबह 10 बजे कैबिनेट की बैठक होगी जिसमें बजट को मंजूरी दी जाएगी।
    • सुबह 11 बजे वित्त मंत्री संसद में वर्ष 2024 का अंतरिम बजट पेश करेंगी। इस वर्ष आम चुनाव होने हैं। आम चुनाव की प्रक्रिया पूरी होने के बाद नई सरकार संभवतः जुलाई महीने में पूर्ण बजट पेश करेगी
 

इस रिपोर्ट की मानें तो वर्ष बजट 2024-25 के दौरान जीडीपी में सात प्रतिशत तक बढ़ोतरी रह सकती है। इस रिपोर्ट में ही जानकारी दी गई है कि आर्थिक सर्वेक्षण को आम चुनाव के बाद पूर्ण बजट में ही पेश किया जाएगा।

बता दें कि भारत का पहला आर्थिक सर्वे वर्ष 1950-51 के दौरान पेश किया गया था। वर्ष 1964 के बाद से ही आर्थिक सर्वेक्षण और आम बजट को साथ में पेश किया जाने लगा है। हालांकि इस वर्ष आम चुनाव होने के कारण केंद्र सरकार आर्थिक रिपोर्ट लाई है, जिसमें बीते 10 वर्षों का ब्यौरा दिया गया है। इस रिपोर्ट में ही भारतीय अर्थव्यवस्था के भविष्य पर भी रौशनी डाली गई है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि आगामी तीन वर्षों मे ही भारत 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बन जाएगा। वर्ष 2030 तक देश सात ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनेगा। वर्ष 2030 तक भारत सात ट्रिलियन इकोनॉमी भी बनेगा। दस साल पहले भारत 1.9 लाख करोड़ डॉलर के जीडीपी के साथ दुनिया की 10वीं बड़ी अर्थव्यवस्था था। 

वित्त मंत्रालय ने जताया अनुमान
वित्त मंत्रालय ने कहा है कि महामारी के असर और वृहद-आर्थिक असंतुलन एवं खंडित वित्तीय क्षेत्र वाली अर्थव्यवस्था की विरासत के बावजूद भारत वित्त वर्ष 2023-24 में 3.7 लाख करोड़ डॉलर की अनुमानित जीडीपी के साथ पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था है। मंत्रालय ने कहा, ‘‘10 साल की यह यात्रा ठोस एवं क्रमिक दोनों तरह के कई सुधारों से गुजरी है। उन्होंने देश की आर्थिक प्रगति में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इन सुधारों ने आर्थिक मजबूती भी दी है जिसकी देश को भावी अप्रत्याशित वैश्विक झटकों से निपटने के लिए जरूरत होगी।’’ इसी के साथ मंत्रालय ने कहा कि अगले तीन वर्षों में भारत के पांच लाख करोड़ डॉलर के जीडीपी के साथ दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की उम्मीद है। 

समीक्षा रिपोर्ट के मुताबिक, ‘‘सरकार ने वर्ष 2047 तक ‘विकसित देश’ बनने का एक बड़ा लक्ष्य रखा है। सुधारों की यात्रा जारी रहने पर इस लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है।’’ समीक्षा रिपोर्ट कहती है, ‘‘घरेलू मांग की ताकत ने पिछले तीन वर्षों में अर्थव्यवस्था को सात प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर दी है। वित्त वर्ष 2024-25 में वास्तविक जीडीपी वृद्धि सात प्रतिशत के करीब रहने की संभावना है। वर्ष 2030 तक वृद्धि दर के सात प्रतिशत से अधिक रहने की काफी गुंजाइश है।’’

हालांकि, मंत्रालय ने समीक्षा में पाया कि हालिया एवं भावी संरचनात्मक सुधारों के बल पर भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर के लिए भू-राजनीतिक संघर्षों का बढ़ा जोखिम चिंता का सबब बन सकता है। इसके मुताबिक, ‘‘मुद्रास्फीति अंतर और विनिमय दर के संबंध में उचित धारणाओं के अनुरूप भारत अगले छह-सात साल में (2030 तक) सात लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की आकांक्षा कर सकता है।’’ मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन ने समीक्षा रिपोर्ट की भूमिका में कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था कोविड के बाद अपने पुनरुद्धार को कायम रखने के लिए संघर्ष कर रही है और आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान जैसे कुछ झटके 2024 में भी लौट आए हैं। अगर ये झटके कायम रहते हैं तो दुनियाभर में व्यापार प्रवाह, परिवहन लागत, आर्थिक उत्पादन और मुद्रास्फीति को प्रभावित करेंगे।

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Republic Day Parade 2024: गणतंत्र दिवस परेड में दिखा महिला शक्ति और शौर्य का अद्भुत प्रदर्शन

Republic Day Parade 2024: गणतंत्र दिवस परेड में दिखा महिला शक्ति और शौर्य का अद्भुत प्रदर्शन

इस बार गणतंत्र दिवस परेड में शक्ति और शौर्य का अद्भुत प्रदर्शन देखने को मिलेगा जिसमें महिला शक्ति अहम भूमिका निभा रही है। इसकी झलक मंगलवार को परेड की फुल ड्रेस रिहर्सल में दिखाई दी। अब 26 जनवरी को प्रदर्शन किया जाएगा। पहली बार दिल्ली पुलिस की महिला जवान सेना की महिला अधिकारियों और चिकित्सकीय सेवा से जुड़ीं महिला कर्मियों का दस्ता परेड करता नजर आया।

पहली बार Republic Day Parade 2024 में दिल्ली पुलिस की महिला जवान, सेना की महिला अधिकारियों और चिकित्सकीय सेवा से जुड़ीं महिला कर्मियों का दस्ता परेड करता नजर आया। इसी तरह सांस्कृतिक कार्यक्रम में पहली बार 1,500 महिला लोक नृत्य कलाकार अपने नृत्य से लोगों को तालियां बजाने पर मजबूर किया। बीएसएफ, सीआइएसफ और अन्य अर्धसैनिक बलों की महिला जवानों ने हैरतअंगेज करतब दिखाएं। इसके ठीक पीछे देशभर के अलग-अलग हिस्सों से 15 सौ से अधिक नृत्यांगनाओं का एक दल होगा। जो देश की विविधता से सभी को परिचित कराएगा। आगामी गणतंत्र दिवस समारोह को लेकर सुरक्षा के बेहद खास बंदोबस्त किए गए हैं। इस बार सबसे अधिक चौकसी बरती जा रही है। मंगलवार को कड़ी सुरक्षा के बीच कर्तव्य पथ से लेकर लाल किला तक फुल ड्रेस रिहर्सल कर गणतंत्र दिवस की तैयारी परखी गई। पुलिस अधिकारी का कहना है कि दिल्ली पुलिस पिछले एक माह से अधिक समय से रक्षा एवं गृह मंत्रालय समेत सभी केंद्रीय एजेंसियों व अर्धसैनिक बलों के साथ सुरक्षा तैयारी में जुटी है।

रिहर्सल के कारण नई दिल्ली, मध्य और उत्तरी जिले में परेड मार्ग एवं डमी वीआइपी के आवागमन वाले रूटों पर पुलिसकर्मी तैनात कर दिए गए। कई रूटों को डायवर्ट कर दिया गया, आम लोगों के लिए बंद कर दिया गया था। डमी प्रधानमंत्री व राष्ट्रपति समेत अन्य वीआइपी के कारकेड के साथ भी रिहर्सल की गई। सुबह करीब नौ बजे से कर्तव्य पथ पर परेड शुरू हुई। दिल्ली पुलिस, अर्धसैनिक बलों, आर्मी, नेवी, एनसीसी, कोस्ट गार्ड व एयरफोर्स ने कर्तव्य पथ से लेकर लाल किला तक परेड की। दोपहर एक बजे तक रिहर्सल चली। इस दौरान राज्यों की झांकियां निकाली गईं और आर्मी, सीमा सुरक्षा बल व एयरफोर्स ने हैरतअंगेज करतब दिखाए। वायु सेना के विमानों ने आसमान में कलाबाजी की।

Airbus A350 900 Air India: एयर इंडिया ने शुरू की देश की पहली एयरबस A350 900 उड़ान

Airbus A350 900 Air India: देश की फेमस एयरलाइनों में से एक एयर इंडिया(Air India) ने भारत की पहली एयरबस उड़ान शुरू कर दी है। एयर लाइन ने सोमवार को बेंगलुरु से देश की पहली एयरबस A350 900 उड़ान शुरू की। TOI की एक रिपोर्ट के अनुसार, निजी विमानन कंपनी एयर इंडिया ने सोमवार को बेंगलुरु के केम्पेगौड़ा अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे से मुंबई के लिए पहला एयरबस ए350 उड़ान शुरू की। यह देश का पहला ऐसा विमान है, जिसमें 297 यात्री सवार थे। आने वाले दिनों में एयर इंडिया की योजना बेंगलुरु, चेन्नई, दिल्ली, हैदराबाद और मुंबई में भी इस प्रकार की उड़ाने शुरू करने की है। एक आधिकारिक बयान के अनुसार, एयरलाइन एयर इंडिया ने सोमवार सुबह 7 बजकर 5 मिनट पर KIA से देश की पहली कमर्शियल उड़ान शुरू की। इस विमान यानि Airbus A350 900 की क्षमता 316 यात्रियों की है, जिसमें 297 लोग बैठकर मुंबई के लिए उड़ान भरे। बताया गया कि शुरू में Airbus A350 900 को घरेलू मार्गों पर संचालित किया जाएगा। इस दौरान बेंगलुरु, चेन्नई, दिल्ली, हैदराबाद और मुंबई के यात्री इस विमान में यात्रा कर सकेंगे। TOI के अनुसार, Airbus A350 900 में 316 सीटों के साथ तीन कैटेगरी का केबिन कॉन्फिगरेशन है, जिसमें फुल-फ्लैट बेड के साथ 28 निजी बिजनेस सुइट्स, अतिरिक्त लेगरूम और अन्य सुविधाओं के साथ 24 प्रीमियम इकोनॉमी सीटे और 264 बड़ी इकोनॉमी सीटें हैं। विमान की सभी सीटों पर इन-फ्लाइट मनोरंजन के लिए एचडी स्क्रीन भी हैं। बताया गया कि ये विमान अन्य विमानों की तुलना में 20 फीसदी अधिक ईंधन कुशल हैं। ये ईंधन उत्सर्जन को कम करते हैं और टिकाऊ संचालन सुनिश्चित करते हैं। मिली जानकारी के अनुसार, Airbus A350 900 मंगलवार को छोड़कर हर दिन उड़ान भरेगी। यह सुबह बेंगलुरु से मुंबई के लिए उड़ान भरेगी।

प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण योजना

प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण योजना

देश के सरकारी स्कूलों के बच्चों को ५ वर्ष तक मुफ्त भोजन

केंद्र सरकार द्वारा पीएम पोषण शक्ति निर्माण योजना के जरिये शिक्षा में ‘सोशल और जेंडर गैप’ समाप्त करने में मदद मिलेगी। सरकार द्वारा इस योजना को आरंभ करने का मुख्य लक्ष्य है कि बच्चों की उपस्थिति स्कूलों में बड़े और उन्हें बेहतर शिक्षा पोषण का विकास हो। इस योजना के माध्यम से स्कूल में पढ़ने वाले विद्यार्थी आत्मनिर्भर भी बनेंगे जिससे उन्हें किसी कठिनाइयों का सामना नहीं करना पड़ेगा। इस योजना से स्कूलों में गरीब छात्रों की उपस्थिति बढ़ेगी और उनके शिक्षा और पोषण का विकास होगा।  पीएम पोषण शक्ति निर्माण योजना को आरंभ करने का मुख्य उद्देश्य है कि सरकारी स्कूलों के बच्चों को पोषण सुनिश्चित किया जा सके ताकि स्कूलों में गरीब छात्रों की उपस्थिति बढ़ें।

  1. केंद्र सरकार द्वारा Pradhanmantri Poshan Shakti Nirman Yojana  का शुभारंभ किया गया है। इस योजना के माध्यम से प्राथमिक कक्षाओं में स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को पोषण युक्त भोजन उपलब्ध करवाया जाएगा। अब तक सरकार द्वारा मिड डे भोजन योजना संचालित की जा रही थी। जिसके माध्यम से बच्चों को भोजन उपलब्ध करवाया जाता था। अब इस योजना को प्रधानमंत्री शक्ति निर्माण योजना में समाहित किया जाएगा। २९ सितंबर २०२१ को इस योजना को मंजूरी प्रदान कर दी गई है। इस योजना के माध्यम से स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को केवल भोजन देने के स्थान पर पोषक तत्वों से भरपूर भोजन उपलब्ध करवाया जाएगा। जिसके लिए हरी सब्जियां एवं प्रोटीन युक्त भोजन मेनू में शामिल किया जाएगा। इस योजना को आरंभ करने का निर्णय केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में २८ सितंबर २०२१ को लिया गया। इस योजना के माध्यम से देश के ११.२ लाख सरकारी एवं सहायता प्राप्त स्कूलों के ११.८ करोड़ बच्चों को आने वाले ५ वर्षो तक पोषण युक्त भोजन उपलब्ध करवाया जाएगा।

प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण योजना का बजट

पोषण शक्ति निर्माण योजना के संचालन पर १.३१ लाख करोड रुपए खर्च किए जाएंगे। केंद्र सरकार द्वारा इस योजना के संचालन के लिए ५४०६१.७३ करोड़ रुपए प्रदान किए जाएंगे एवं राज्यों का योगदान ३१७३३.१७ करोड़ रुपए का होगा। केंद्र पोषक अनाज खरीदने के लिए अतिरिक्त ४५,००० करोड़ों प्रदान करेगा। इसके अलावा पहाड़ी राज्यों में इस योजना के संचालन के लिए ९०ज्ञ् खर्च केंद्र सरकार द्वारा वहन किया जाएगा एवं १०ज्ञ् खर्च राज्य सरकार द्वारा वहन किया जाएगा। इस योजना के माध्यम से देश भर में सरकारी एवं सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में प्राथमिक कक्षाओं के छात्रों को भोजन उपलब्ध करवाया जाएगा। इस योजना को वर्ष २०२१-२२ से २०२५-२६ तक संचालित किया जाएगा। राज्य सरकारों से भी यह आग्रह किया गया है कि रसोइयों, खाना पकाने वाले सहायकों को डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के माध्यम से मानदेय प्रदान किया जाए। स्कूलों को भी डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के माध्यम से राशि उपलब्ध करवाई जाएगी

पोषण शक्ति निर्माण योजना की पात्रता एवं महत्वपूर्ण दस्तावेज

  1. सरकारी एवं सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों के माध्यम से इस योजना का लाभ प्रदान किया जाएगा।
  2. आधार कार्ड
  3. राशन कार्ड
  4. निवास प्रमाण पत्र
  5. आय का प्रमाण
  6. आयु का प्रमाण
  7. पासपोर्ट साइज फोटोग्राफ
  8. मोबाइल नंबर
  9. यदि आप प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण योजना का लाभ उठाना चाहते हैं तो आपको कोई आवेदन करने की आवश्यकता नहीं है।
  10. इस योजना का लाभ आपको आपके विद्यालय के माध्यम से प्रदान किया जाएगा।
  11. जिससे कि देश का प्रत्येक बच्चा पोषण युक्त भोजन प्राप्त कर सके।
  12. यह योजना बच्चों के जीवन स्तर में सुधार लाने में भी कारगर साबित होगी।

PM पोषण शक्ति निर्माण योजना पर
२० हजार करोड़ खर्च करती है सरकार...

Pradhanmantri Poshan Shakti Nirman Yojana के तहत सरकार बच्चों को पोषण युक्त भोजन देती है. यानी स्कूल में पढ़नेवालेबच्चों को सिर्फ भोजन नहीं उसके बदले पोषक तत्वों से भरपूर भोजन उपलब्ध करवाना है. सरकार इसके मेन्यू में हरी सब्जियां, फल और प्रोटीन युक्त भोजन को शामिल करती है. न्यूज एजेंसी एएमआई के मुताबिक, केन्द्र सरकार पीएम पोषण योजना के तहत हर साल २०,००० करोड़ रुपये खर्च करती है. इस योजना जो पहले मिड-डे मील योजना के नाम सेभी जानी जाता था. इस योजना के तहत सरकार देश भर के सरकारी स्कूलों और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में पढ़नेवाले करीब १२ करोड़ से अधिक बच्चे को पोषण युक्त भोजन कराती है. पीएम पोषण योजना केन्द्र के तहत पहली कक्षा से लेकर आठवीं कक्षा तक के बच्चों को शामिल किया गया है. इस योजना में ५ साल से लेकर ११ साल की उम्र के करीब १२ करोड़ बच्चेलाभान्वित हैं. योजना का लाभ देश के ११.२० लाख स्कूलों में पढ़ रहे बच्चे जिसमें बाल वाटिका के २२.६ लाख बच्चे, प्राथमिक से ७.२ करोड़ बच्चे और उच्च प्राथमिक से ४.६ करोड़ बच्चे शामिल हैं,  गौरतलब है कि केंद्र सरकार स्कूली बच्चों को लेकर कई योजनाओं का क्रियान्वयन कर रही है. इसी कड़ी में पीएम पोषण योजना भी है. इस योजना के पीछे सरकार का मकसद है बच्चों मेंकुपोषण को दूर करना, और उन्हें पोषण युक्त भोजन देना. योजना के माध्यम से सरकार प्राथमिक कक्षाओं में पढ़नेवालेबच्चों को पोषण युक्त भोजन देती है. यानी स्कूल में पढ़नेवाले बच्चों को सिर्फ भोजन नहीं उसके बदलेपोषक तत्वों से भरपूर भोजन उपलब्ध करवाना है.Pm Poshan Shakti Nirman Yojana का मुख्य उद्देश्य बच्चों में कुपोषण को दूर करना है. इसके लिए उन्हेंपोषण युक्त भोजन उपलब्ध कराना है. बच्चों को प्रोटीन, विटामिन और मिनरल युक्त भोजन कराया जाए जिससेबच्चों मेंकुपोषण न घर करे. इस योजना को साल २०२५ से २६ तक संचालित किया जाएगा. तब तक कक्षा एक से लेकर कक्षा आठ तक के बच्चों की थाली में पोषणयुक्त भोजन परोसा जाएगा. 

प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण योजना का खास मकसद हैकि बच्चों का संतुलित विकास हो. खास कर गरीब और सरकारी स्कूल में पढ़नेवाले बच्चों मेंकुपोषण की समस्या न हो और उनका ग्रोथ बेहतर हो. इसके लिए केन्द्र सरकार नेप्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण योजना शुरू की है. पोषण आहार के लिए किसी तरह का शुल्क नहीं लगता है. बच्चों को स्कूलों में मुफ्त भोजन मिलता है. योजना का मकसद यही हैकि बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ भोजन भी मिले ताकि वेआगेचलकर आत्मनिर्भर और सशक्त बनें.

‘वन बेल्ट वन रूट’ प्रोजेक्ट पर विभिन्न देशों में संकट के बादल

अमेरिका की टक्कर में खुद को खड़ा करने की कोशिश में चीन ने बेल्ट एंड रोड इनिसिएटिव यानी बीआरआई के जरिए दुनिया के कई देशों में करोड़ों डॉलर के प्रोजेक्ट शुरू किए थे। बीआरआई प्रोजेक्ट के दस साल पूरे हो गए हैं। अप्रâीका से एशिया तक फैले और अरबों डॉलर के निवेश को देखते हुए, पिछले कुछ वर्षों में इसकी आलोचना भी हुई है। बीआरआई की १०वीं वर्षगांठ पर बीजिंग में हो रहे सम्मेलन में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और हंगरी के प्रधानमंत्री विक्टर ओर्बन पहुंचे हैं। अफगानिस्तान की तालिबान सरकार भी इसमें शामिल होगी। इस प्रोजेक्ट को लेकर चीन ने बड़े बड़े दावे किए थे। लेकिन इस परियोजना पर जिस तरह से चीन ने पैसा बहाया है, उसे वैसा फायदा हुआ नहीं है।

एससीओ शिखर सम्मेलन के दौरान बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) परियोजना का भारत ने विरोध जताया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस महत्वाकांक्षी परियोजना को लेकर बीजिंग पर निशाना साधते हुए कहा कि संपर्वâ परियोजनाएं महत्वपूर्ण हैं, लेकिन अन्य देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करना भी जरूरी है. शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी ने कहा, ‘किसी भी क्षेत्र की प्रगति के लिए मजबूत संपर्वâ महत्वपूर्ण है. बेहतर कनेक्टिविटी न केवल आपसी व्यापार को बढ़ाती है, बल्कि आपसी विश्वास को भी बढ़ावा देती है. हालांकि, इन प्रयासों में एससीओ चार्टर के बुनियादी सिद्धांतों को बनाए रखना जरूरी है, विशेष रूप से सदस्य देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करना जरूरी है’.
चीन, भारत, रूस, पाकिस्तान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान और अब ईरान यानी सभी एससीओ सदस्य देश वर्चुअल शिखर सम्मेलन के अंत में बीआरआई के पक्ष में दिखे, लेकिन भारत ने इससे इंकार कर दिया. दरअसल पीएम मोदी ने भारत ने बीआरआई का समर्थन करने वाले न्यू दिल्ली डिक्लेरेशन के पैराग्राफ पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया. ये चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की पसंदीदा परियोजना है. २०२३ की न्यू दिल्ली डिक्लेरेशन के बीआरआई पैराग्राफ में कहा गया है, ‘चीन की ‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव’ (बीआरआई) पहल के लिए अपने समर्थन की पुष्टि करता है. इसके तहत कजाकिस्तान गणराज्य, किर्गिज गणराज्य,पाकिस्तान, रूसी संघ, ताजिकिस्तान गणराज्य और उजबेकिस्तान गणराज्य इस परियोजना को संयुक्त रूप से लागू करने के लिए चल रहे काम पर ध्यान देते हैं. इसमें यूरेशियन इकोनॉमिक यूनियन और बीआरआई के निर्माण को जोड़ने के प्रयास शामिल हैं.
लेकिन बीआरआई परियोजना के बारे में ऐसा क्या है जो भारत को परेशान करता है? भारत इस पहल का विरोध क्यों कर रहा है, जबकि शी जिनपिंग इस बुनियादी ढांचा परियोजना को क्षेत्रीय सहयोग और व्यापार और निवेश में सुविधा बता रहे हैं. पहले समझते हैं कि बीआरआई क्या है.

बीआरआई क्या है?
बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव को न्यू सिल्क रोड भी कहा जाता है. इसकी शुरुआत २०१३ में चीन के शी जिनपिंग ने की थी. यह प्रोजेक्ट बुनियादी ढांचे के जरिए पूर्वी एशिया और यूरोप को जोड़ने के लिए तैयार की गई एक पहल है. ये परियोजना अप्रâीका, ओशिनिया और लैटिन अमेरिका में शुरू हुई है, इससे चीन के आर्थिक और राजनीतिक प्रभाव में काफी विस्तार हुआ है. पहले इसे ‘वन बेल्ट, वन रोड’ पहल भी कहा जाता था, लेकिन अब इसे बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव का नाम मिला है. यूरोपीय बैंक के अनुसार, बीआरआई में भूमि मार्ग और समुद्री मार्ग शामिल है. भूमि मार्ग चीन को दक्षिण पूर्व एशिया, दक्षिण एशिया, मध्य एशिया, रूस और यूरोप से जोड़ता है और बाद में चीन के तटीय क्षेत्रों को दक्षिण पूर्व और दक्षिण एशिया, दक्षिण प्रशांत, पश्चिम एशिया, पूर्वी अप्रâीका और यूरोप से जोड़ता है.
इस मेगा परियोजना की
लागत कितनी है?
द गार्जियन में छपी २०१८ की एक रिपोर्ट में इस परियोजना की लागत १ ट्रिलियन से ज्यादा आंकी गई थी, हालांकि अलग-अलग अनुमान हैं कि आज तक कितना पैसा खर्च किया गया है. एक विश्लेषण से पता चला है कि चीन ने इस पहल के लिए २१० अरब डॉलर से ज्यादा का निवेश किया है, जो एशिया में किसी भी परियोजना में निवेश की गई योजना में सबसे ज्यादा है. बेल्ट एंड रोड का मतलब यह भी है कि चीनी कंपनियां दुनिया भर में निर्माण कार्य में लगी हुई हैं. यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि बीआरआई शी जिनपिंग की पसंदीदा परियोजना है और इसे एशियाई राष्ट्र में अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जा रहा है. अभी तक चीनी अधिकारियों ने ये भी नहीं बताया है कि को भी इस परियोजना में क्या शामिल है. जो कई तरह के संदेह पैदा करता है.
भारत बीआरआई का प्रतिरोधी क्यों है?

जब से यह परियोजना शुरू हुई है और देशों ने इसके लिए हस्ताक्षर करना शुरू किया है, भारत ने नियमित रूप से इसका विरोध किया है. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी बुनियादी ढांचा परियोजना पर चिंता व्यक्त की है. बीआरआई को लेकर भारत की सबसे बड़ी चिंता ये है कि इसकी एक महत्वपूर्ण शाखा, चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) से शुरू होती है. ये गलियारा चीन के शिनजियांग उइघुर स्वायत्त क्षेत्र में काशगर से पाकिस्तान के दक्षिण-पश्चिम बलूचिस्तान में ग्वादर बंदरगाह तक जाती है. उसके बाद ये गिलगित बाल्टिस्तान में पाकिस्तान के कब्जे वाले भारतीय क्षेत्र में प्रवेश करता है. इसके अलावा निवेश परियोजना में पाकिस्तान के राष्ट्रीय राजमार्ग ३५ काराकोरम राजमार्ग का नवीनीकरण भी शामिल है. इसे चीन-पाकिस्तान मैत्री राजमार्ग भी कहा जाता है. इस परियोजना में नियंत्रण रेखा (एलओसी) के उत्तर में गिलगित को स्कर्दू से जोड़ने वाले राजमार्ग का नवीनीकरण भी शामिल है.
भारत का दृढ़ मत है कि यह परियोजना संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन करती है. भारत इस बात को लेकर भी चिंतित है कि यह परियोजना क्षेत्र में चीन की रणनीतिक उपस्थिति को बढ़ाती है. उसे यह भी डर है कि इस तरह की पहल से देश बीजिंग के कर्जदार हो जाएंगे.
अक्टूबर २०२१ में चीन में भारतीय दूतावास में द्वितीय सचिव प्रियंका सोहोनी ने कहा था, ‘जहां तक चीन के बीआरआई का सवाल है, हम इससे विशिष्ट रूप से प्रभावित हैं. तथाकथित चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) को एक प्रमुख परियोजना के रूप में शामिल करना भारत की संप्रभुता का उल्लंघन है.
पिछले साल विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा था, ‘हमने सीपीईसी परियोजनाओं में तीसरे देशों की प्रस्तावित भागीदारी को प्रोत्साहित करने पर रिपोर्ट देखी है. किसी भी पार्टी द्वारा इस तरह की कोई भी कार्रवाई सीधे तौर पर भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का उल्लंघन करती है.
नवंबर २०२२ में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीन के तत्कालीन प्रधानमंत्री ली क्विंग की मेजबानी में एससीओ की डिजिटल बैठक में परियोजना पर भारत की असहमति जताई थी. उन्होंने तब कहा था, ‘कनेक्टिविटी परियोजनाओं को सदस्य राज्यों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करना चाहिए और अंतर्राष्ट्रीय कानून का सम्मान करना चाहिए’.
चीन ने २०१३ में जिस ‘वन बेल्ट वन रोड’ (ध्NE ँEथ्ऊ ध्NE Rध्AD) परियोजना की शुरुआत की थी, अब वह कठघरे में खड़ी हो रही है. चीन ने ध्ँध्R को एशिया, यूरोप और अप्रâीका से जोड़ने वाली परियोजना के रूप में प्रचारित किया. तीन ख़रब अमरीकी डॉलर इस पर झोंक दिए. वह सेंट्रल एशिया, दक्षिणी-पूर्वी एशिया और मध्य-पूर्व में अपना दबदबा बढ़ाना चाहता है. चीन दुनिया का बड़ा मैन्युफैक्चरिंग हब है और उसे अपने उत्पाद बेचने के लिए बड़े बाजार की तलाश है. लेकिन, जिस आधार पर ध्ँध्R का विरोध शुरू हुआ है, उसका आधार कुछ और ही है. चीन ने अपने पड़ोसी देशों से आधारभूत ढांचा खड़ा करने के नाम पर समझौता किया, लेकिन उसने इसके एवज में इतना महंगा कर्ज उन देशों पर थोप दिया कि ध्ँध्R उन्हें बोझ लगने लगी.
जब ये देश क़र्ज़ चुकाने में नाकाम हो गए तो उनके प्राकृतिक संसाधनों का ज़बरदस्त दोहन किया. एशिया का एक छोटा सा देश लाओस जिसकी अर्थव्यवस्था ९००० करोड़ रुपये के आसपास है. चीन ने यहां पर रेलवे और हाईवे के निर्माण के लिए ५००० करोड़ का निवेश किया है. इसी के साथ अब इस देश की कुल अर्थव्यवस्था के ५२ फीसदी हिस्से पर चीन का कब्ज़ा हो चुका है.
चीन, पाकिस्तान, अमेरिका, अर्थव्यवस्था, भारत
शी जिनपिंग की सबसे महत्वाकांक्षी परियोजना एशिया, अप्रâीका और यूरोप को जोड़ने के मकसद से शुरू हुई थी. हाल के दिनों में चीन की इस असलियत का खुलासा दुनिया के कई ‘थिंक टैंक’ ने किया है और इसी का नतीजा है कि कई देशों ने राष्ट्रपति शी जिनपिंग के इस महत्वाकांक्षी इंप्रâास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट को रद्द कर दिया है. मलेशिया ने चीन समर्थित चार परियोजनाओं को रद्द कर दिया. ये चारों परियोजनाएं २३ अरब डॉलर की थीं. महातिर मोहम्मद को चीन विरोधी कहा जाता है. जानकार चीन के इन प्रोजेक्टों के रद्द होने के पीछे मलेशिया में सत्ता परिवर्तन बता रहे है. चीन के बैंकों के उच्च दर वाला ब्याज वहां की सरकार को रास नहीं आ रहा है और उन्हें अपनी अर्थव्यवस्था के लिए खतरा महसूस हो रहा है.
चीनी कर्ज़ का डर म्यांमार को भी सता रहा है. हाल ही में म्यांमार के वित्तमंत्री ने चीनी परियोजनाओं के आकार को बहुत हद तक सीमित करने का फैसला लिया है. उन्होंने कहा कि पड़ोसी देशों से उन्हें सबक मिला है कि ़ज्यादा कर्ज़ कई बार अच्छा नहीं होता है. म्यांमार के क्याऊकप्यु में चीन विशेष आर्थिक क्षेत्र बनाने वाला है. यह हिन्द महासागर में है और १० अरब डॉलर का प्रोजेक्ट है. यह प्रोजेक्ट चीन के वन बेल्ट वन रोड का हिस्सा है. थाईलैंड ३००० करोड़ के प्रोजेक्ट को स्थगित कर चुका है. रेलवे और हाईवे की योजनाओं में निवेश के रास्ते चीनी क़र्ज़ इस छोटे से देश में गहरी पैठ बना चुका था.
थाईलैंड की सबसे बड़ी दिक्कत चीनी क़र्ज़ की अपारदर्शी शर्तें थीं, जिसका डर उसे लगातार सता रहा था. एक और एशियाई देश उ़ज्बेकिस्तान ने चीनी क़र्ज़ को अपनी अर्थव्यवस्था के लिए चुनौती बता डाला. दरअसल इस देश के ऊपर कुल विदेशी क़र्ज़ का ७४ज्ञ् हिस्सा चीन का है जो इनकी परेशानियों को बढ़ाने के लिए काफी था. पाइपलाइन और रेलवे प्रोजेक्ट को स्थगित करने में उ़ज्बेकिस्तान ने ज़रा भी देर नहीं लगायी और साथ में चीनी सरकार को एक कड़ा सन्देश भी दिया.
हाल के दिनों में पाकिस्तान और चीन का लव अफेयर पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बना हुआ है. चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर के तहत चीन ५५ अरब डॉलर का निवेश करने वाला है जिसमें ग्वादर पोर्ट को भी विकसित किया जाना है. चीन का इसके राजस्व पर ९१ फ़ीसदी अधिकार होगा और ग्वादर अथॉरिटी पोर्ट को महज ९ फ़ीसदी मिलेगा. ज़ाहिर है अप्रत्यक्ष रूप से पाकिस्तान के पास ४० सालों तक ग्वादर पर नियंत्रण नहीं रहेगा. पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पिछले कई वर्षों से अमेरिकी राहत पैकेज पर टिकी हुई थी, लेकिन हाल के वर्षों में अमेरिका की सख्ती ने चीन को उसके करीब लाने का काम किया है. लेकिन जानकार इस डील को चीन के पक्ष में एकतरफा जाते हुए देख रहे हैं.
दरअसल चीन का मुख्य मकसद बलूचिस्तान के प्राकृतिक संसाधनों का दोहन और भारत की दक्षिण एशिया में घेरेबंदी है. ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक चीन की सरकार कैश रिज़र्व के मामले में आज पूरी दुनिया में सबसे ऊपर है. जिसके पास लगभग ८०० लाख करोड़ की नगद राशि है. चीन ने लगातार चार दशकों तक १० ज्ञ् से ज्यादा की ऱफ्तार से विकास करने के बाद इस मुकाम को हासिल किया है. चीन की अर्थव्यवस्था आज पूरे विश्व में दूसरे स्थान पर है और इसने चीनी अर्थव्यवस्था की महत्वाकांक्षाओं को कई गुना बढ़ा दिया है.
अमेरिकी बादशाहत को चुनौती देना अब चीन की फितरत बन चुका है. चीन ने पूरी दुनिया में आधुनिक साम्राज्यवाद की एक नयी तस्वीर पेश की है जिसका शिकार एशिया और अप्रâीका के छोटे देश बन रहे हैं. चीनी महत्वाकांक्षा को देखते हुए उसे आधुनिक युग का ब्रिटेन कहने में कोई संकोच नहीं होना चाहिए. ध्ँध्R को लेकर भारत पहले ही ऐतराज जता चुका है. शुरुआत चीन और पाकिस्तान के बीच बन रहे चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (ण्झ्Eण्) को लेकर हुई. यह सड़क पाक-अधिकृत कश्मीर से होकर बनाई जा रही है. भारत इसे विवादित क्षेत्र मानता है, और यहां सड़क बनाए जाने का विरोध कर रहा है. भारत की आपत्तियों को चीन नजरअंदाज करता आया है.हाल के दिनों में जिस तरह से कई देशों ने चीन के ध्ँध्R प्रोजेक्ट को रद्द किया है उसने चीनी महत्वाकांक्षाओं के ऊपर एक गहरा प्रश्न चिन्ह लगाया है. अगर चीन और उसके क़र्ज़ की हक़ीक़त इसी तरह दुनिया के सामने आती रही तो ‘वन बेल्ट वन रोड’ के तहत आने वाले प्रोजेक्ट और उनके उद्देश्यों का हिन्द महासागर में डूबना तय है.
सिर्पâ श्रीलंका ही नहीं चीन ने १४७ से ज्यादा देशों के साथ अपने वित्तीय और राजनीतिक प्रभाव का फायदा उठाने की पहल में लगभग एक ट्रिलियन डॉलर का निवेश किया है. कम आय वाले देशों की आर्थिक स्थिति गंभीर है और इस परियोजना के बाद बदतर होने के कगार पर है. डेटा चिंताजनक है कम आय वाले देशों पर २०२२ में चीन के ऋण का ३७ज्ञ् बकाया है, जबकि बाकी दुनिया के लिए यही ऋण २४ज्ञ् है. इस परीयोजना में शामिल ४२ देशों पर चीन का कर्जा हो चुका है. एडडेटा और बीआरआई के आंकड़ों के अनुसार, सड़क-रेल-बंदरगाह-भूमि बुनियादी ढांचे के वित्तपोषण के लिए चीनी वैश्विक परियोजनाएं इसमें शामिल सभी देशों के लिए ऋण का एक प्रमुख स्रोत रही हैं. इसमें पाकिस्तान ७७.३ अरब डॉलर के ऋण के साथ सबसे आगे है. इसके बाद अंगोला (३६.३ अरब डॉलर), इथियोपिया (७.९ अरब डॉलर), केन्या (७.४ अरब डॉलर) और श्रीलंका (७ अरब डॉलर) का कर्जदार है.
मालदीव के वित्त मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, २०२२ की पहली तिमाही के अंत तक मालदीव का कर्ज बढ़कर ६.३९ अरब डॉलर हो गया. यह मालदीव के सकल घरेलू उत्पाद का ११३ज्ञ् है. कर्ज की वजह चीन की परियोजना है. चीन ने मालदीव में सिनामाले पुल और एक नए हवाई अड्डे जैसी बुनियादी परियोजनाओं को वित्त पोषित किया गया था.
बांग्लादेश पर बीजिंग के कुल विदेशी ऋण का ६ज्ञ् बकाया है, यानी लगभग ४ बिलियन डॉलर का कर्जा है. ढाका अब आईएमएफ से ४.५ अरब डॉलर के पैकेज की मांग कर रहा है. जिबूती और अंगोला पर पर भी बड़ा बोझ है क्योंकि ऋण सकल राष्ट्रीय आय (जीएनआई) के ४०ज्ञ् से ज्यादा है. लाओस और मालदीव दोनों पर जीएनआई ( उrदे Naूग्दहaत् घ्हम्दस) का ३०ज्ञ् ऋण बोझ है . अप्रâीका पर बीजिंग का १५० बिलियन डॉलर से ज्यादा का बकाया है. जाम्बिया भी चीनी बैंकों के लगभग ६ बिलियन डॉलर के साथ ऋण चुका रहा है.
पाकिस्तान, श्रीलंका और बांग्लादेश आईएमएफ से राहत की मांग कर रहे हैं. चीन की बेल्ट एंड रोड परियोजना में अपारदर्शी वित्तपोषण शैली अपनाई गई है. इस वजह से कम से कम १० कम आय वाले देशों में ऋण ज्यादा हो गया है.
बता दें कि पिछली श्रीलंकाई सरकार चीन की तरफ ज्यादा झुकी हुई थी, वो भारत के खिलाफ थी. श्रीलंका में सरकार बदली जो भारत को लेकर थोड़ा नर्म है, अब बीजिंग ने आईएमएफ और पेरिस क्लब दोनों हवाला देकर ऋण चुकौती पर १० साल की रोक पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया है.
चीनी एक्जिम बैंक केवल दो साल की मोहलत की पेशकश कर रहा है, इसका प्रतिरोध श्रीलंका में हो रहा है.
पाकिस्तान के साथ भी ऐसा ही है. अधिकांश बीआरआई अनुबंधों को जनता से गुप्त रखा गया है. ताकि चीनी बैंकों से बिजली-सड़क-बंदरगाह बुनियादी ढांचे के वित्तपोषण में उच्च ब्याज दरों का खुलासा न हो.

मुट्ठी में चांद

 भारत के इतिहास में सुनहरे अक्षरों में लिखा जाएगा जहां आज हिंदुस्तान ने चांद को अपने नाम कर लिया है. भारत के चंद्रयान 3 ने चांद पर सफल लैंडिंग कर ली है जहां हिंदुस्तान चंद्रमा के दक्षिणी छोर पर लैंडिंग करने वाला पहला देश बन चुका है. चंद्रयान-1 और चंद्रयान-2 के बाद चंद्रयान-3 की ये सफलता भारत के लिए बेहद मायने रखती हैं. जहां आज दुनिया के इतिहास में भारत ने अपना नाम सुनहरे अक्षरों में दर्ज़ करवा लिया है. ये पल सभी भारतीयों के लिए गर्व से भरा हुआ है जो पिछले कई दिनों से इस मून मिशन की सफलता को लेकर प्रार्थना कर रहे थे. बुधवार को सभी भारतीयों की दुआओं का असर देखने को मिला और चंद्रयान 3 ने चाँद पर सफल लैंडिंग कर ली. गौरतलब है कि इससे पहले 2019 में चंद्रयान 2 पूरी तरह से सफल नहीं हो पाया था. सॉफ्ट लैंडिंग ना हो पाने की वजह से चंद्रयान 2 फेल हो गया था जिसकी कमी देश को पिछले चार सालों से खल रही थी. लेकिन चार साल बाद चाँद पर भारत ने तिरंगा लहरा दिया है और सॉफ्ट लैंडिंग के साथ ही ये मिशन सफल हो गया है. जिसकी लैंडिंग के साथ ही पूरे देश में ख़ुशी का माहौल देखने को मिल रहा है.

जैसे ही 23 अगस्त, 2023 के इस महत्वपूर्ण दिन पर दुनिया की निगाहें आसमान की ओर टिकी हैं, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) एक ऐतिहासिक उपलब्धि के कगार पर खड़ा है। चंद्रयान-3 मिशन चंद्रमा के रहस्यमय और अज्ञात दक्षिणी ध्रुव को छूने के लिए तैयार है, यह प्रत्याशा और आश्चर्य का दिन है। जबकि मिशन आधुनिक अंतरिक्ष अन्वेषण के चरम का प्रतिनिधित्व करता है, यह प्राचीन भारतीय ज्ञान की गहराई में जाने के लिए दिलचस्प है जिसने सदियों से चंद्रमा के चारों ओर एक खगोलीय टेपेस्ट्री बुनी है।

भारत की प्राचीन ज्ञान की समृद्ध टेपेस्ट्री में, चंद्रमा, जिसे संस्कृत में “चंद्र” के रूप में जाना जाता है, का गहरा महत्व है। यह लंबे समय से प्रेरणा, रहस्य और आध्यात्मिक संबंध का स्रोत रहा है। प्राचीन भारतीय खगोलविदों, या “ज्योतिषियों” ने चंद्रमा के चरणों, चक्रों और पृथ्वी पर प्रभाव का सावधानीपूर्वक अवलोकन किया। चंद्रमा के घटने-बढ़ने पर आधारित चंद्र कैलेंडर ने कृषि, अनुष्ठानों और त्योहारों सहित जीवन के विभिन्न पहलुओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।