45 साल के तांत्रिक ने इलाज के नाम पर दिमागी रूप से कमजोर 6 लड़कियों के साथ यौन शोषण किया था। साथ ही उनके माता-पिता से 1.30 करोड़ रुपए लिए थे।
मुंबई. यह हमारे समय की एक दुर्भाग्यपूर्ण सच्चाई है कि लोग अपनी समस्याओं के समाधान के लिए तांत्रिकों/बाबाओं के दरवाजे खटखटाते हैं. लोगों का तांत्रिकों के पास जाना दुर्भाग्यपूर्ण: बॉम्बे HC, मानसिक रूप से विक्षिप्त छह लड़कियों के यौन उत्पीड़न के लिए एक व्यक्ति की सजा को बरकरार रखते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने यह बात कही. उच्च न्यायालय ने यह आदेश पिछले महीने दिया था, लेकिन शनिवार को उपलब्ध कराए गए अपने फैसले में, हाईकोर्ट ने तांत्रिक होने का दावा करने वाले 45 वर्षीय व्यक्ति को दी गई आजीवन कारावास की सजा को भी बरकरार रखा.
न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति मंजूषा देशपांडे की खंडपीठ ने कहा कि यह “अंधविश्वास का एक विचित्र मामला” है और आरोपी किसी भी तरह की नरमी का हकदार नहीं है. अभियोजन पक्ष का केस यह है कि आरोपी, जो एक तांत्रिक/बाबा होने का दावा करता है, ने छह मानसिक रूप से विक्षिप्त लड़कियों को ठीक करने के बहाने उनका यौन शोषण किया. आरोपी ने कथित तौर पर लड़कियों के माता-पिता का आर्थिक रूप से शोषण किया और नाबालिगों को ठीक करने की आड़ में उनसे 1.30 करोड़ रुपये लिए. इस संबंध में पहली सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) 2010 में दर्ज की गई थी. एक सत्र अदालत ने 2016 में उस व्यक्ति को दोषी ठहराया और उसे शेष जीवन के लिए आजीवन कारावास की सजा सुनाई. व्यक्ति ने सत्र अदालत के आदेश को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय में अपील दायर की. उच्च न्यायालय ने यह देखते हुए कि यह ऐसा मामला नहीं है जहां सजा कम की जानी चाहिए, आरोपी की अपील खारिज कर दी और दोषसिद्धि और सजा को बरकरार रखा.
हाईकोर्ट ने कहा, “सबूत ठोस हैं और पीड़ित भी ज्यादा हैं, और ऐसे में सजा उनके अपराधों के अनुरूप होनी चाहिए.” हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा, “यह अंधविश्वास का एक विचित्र मामला है. यह हमारे समय की एक दुर्भाग्यपूर्ण वास्तविकता है कि लोग अपनी समस्याओं के समाधान के लिए कभी-कभी तथाकथित तांत्रिकों/बाबाओं के दरवाजे खटखटाते हैं और ये तथाकथित तांत्रिक/बाबा लोगों की असुरक्षा और अंधविश्वास का फायदा उठाते हैं. ये लोग और उनका शोषण करते हैं.” इसमें कहा गया है कि तथाकथित तांत्रिक/बाबा न केवल उनसे पैसे ऐंठकर उनकी कमजोरियों का फायदा उठाते हैं, बल्कि कई बार समाधान देने की आड़ में पीड़ितों का यौन उत्पीड़न भी करते हैं. पीठ ने अपने आदेश में कहा कि अभियोजन पक्ष ने पीड़ितों और उनके माता-पिता के साक्ष्य के माध्यम से पीड़ितों पर यौन हमले में आरोपियों की संलिप्तता को विधिवत साबित कर दिया है.