स्मार्टफोन की लत में फंसे बच्चे…

स्मार्टफोन की लत को नोमोफोबिया कहा जाता है। नोमोफोबिया के शिकार व्यक्ति फोन से दूर रहते ही बेचैन हो जाता है। वो बार-बार फोन चेक करता रहता है। दुनियाभर में हुए एक सर्वे के अनुसार ८४ज्ञ् उपभोक्ताओं ने स्वीकार किया कि वे बिना फोन के थोड़ी देर भी नहीं रह सकते।स्मार्टफोन की लत यानी नोमोफोबिया हमारे शरीर के साथ-साथ दिमागी सेहत को भी प्रभावित करता है। बच्चों और किशोरों के लिए ये स्थिति ज्यादा खतरनाक है। २० से ३० साल के लगभग ६०ज्ञ् युवा नोमोफोबिया के शिकार हैं। कई स्टडी से ये साबित हुआ है कि स्मार्टफोन पर लगातार आने वाले नोटिफिकेशन हमारे दिमाग को उसी तरह अलर्ट रखते हैं जिस तरह से किसी आपात परिस्थिति में होता है। यानी इस दौरान मस्तिष्क लगातार असामान्य ढंग से सक्रिय रहता है।
दुष्परिणाम : कंप्यूटर विजन सिंड्रोम- अमेरिकी विजन काउंसिल के अनुसार ७०ज्ञ् लोग मोबाइल देखते समय आंखें सिकोड़ते हैं। इससे विजन सिंड्रोम हो सकता है।
रीढ़ की हड्डी पर असर- लगातार फोन का उपयोग करने पर कंधे और गर्दन झुके रहते हैं। झुकी गर्दन की वजह से रीढ़ की हड्डी प्रभावित होने लगती है।
फेफड़ों की क्षमता पर पड़ता है दुष्प्रभाव- झुकी गर्दन की वजह से गहरी सांस लेने में समस्या होती है। इसका सीधा असर फेफड़ों पर पड़ता है।
टेक्स्ट नेक- मोबाइल स्क्रीन पर नजरें गड़ाए रखनेवाले लोगों को गर्दन के दर्द की शिकायत आम हो चली है। इसे ‘टेक्स्ट नेक’ कहा जाता है। यह समस्या लगातार टेक्स्ट मैसेज भेजने वालों और वेब ब्राउजिंग करने वालों में ज्यादा पाई जाती है।
नींद की कमी- २ घंटे तक चेहरे पर मोबाइल की रोशनी पड़ने से २२ज्ञ् तक मेलाटोनिन कम हो जाता है। इसकी कमी से नींद आने में मुश्किल होती है। सर्वे में १२ज्ञ् लोगों ने कहा कि स्मार्टफोन के ज्यादा उपयोग से उनके निजी संबंधों पर भी असर पड़ा है।
एक सर्वे में ३७ फीसदी एडलट्स और ६० फीसदी टीनएजर्स ने माना कि उन्हें अपने स्मार्टफोन की लत है। ५० फीसदी स्मार्टफोन यूजर्स फिल्म देखने के दौरान फेसबुक चेक करते हैं। २० फीसदी लोगों ने माना कि वे हर १० मिनट में अपना फोन देखते हैं।
टिकटॉक पर वीडियो शूट करते समय चली गई जान
विज्ञान नगर के खुशाल (१२) की मौत जून २०१९ में टिकटॉक पर वीडियो बनाते समय हुई थी। खुशाल ने घर के बाथरूम में खुद को बंद कर लिया और गेट के कुंदे से लोहे की बेड़ियां अपने गले में लपेट लीं। बेड़ियों को ५-६ बार गले में लपेटा, जिससे उसकी मौत हो गई। मासूम ने एप पर ऐसा ही वीडियो देखा था।
गेम खेलने से रोका तो गुस्से में किशोर ने दे दी जान
कैथूनीपोल थाना क्षेत्र में नवंबर २०१९ में पंकज (१६) नामक बालक ने गेम के चक्कर में जान दी थी। वो दिनभर गेम खेलता था और इसी वजह से उसने पढ़ाई तक छोड़ दी थी। वो मप्र का मूल निवासी था, जो कोटा अपने रिश्तेदार के यहां रहता था। रिश्तेदार ने उसे गेम खेलने से टोका तो उसे गुस्सा आया और उसने फांसी लगाकर जान दे दी।
रात ३ बजे तक पबजी खेलने के बाद किया सुसाइड
महात्मा गांधी कॉलोनी के आरएस असवन्त (१४) ने ५ जून २०२० को रात ३ बजे तक मोबाइल पर गेम खेला। अगली सुबह ५.३० बजे मां उठी तो वो फांसी पर लटका मिला। क्लास ८ के १३ वर्षीय बच्चे को भी गेम की लत थी। टीचर ने टोका तो गुस्से में वो बेहोश हो गया। उसकी काउंसलिंग करानी पड़ी।