शिक्षा

नालंदा का पुनरुत्थान: भारत और लाओस का सांस्कृतिक मिलन

बाइट: सोलीडेथ डोआंगचांसी , बौद्ध भिक्षु, लाओस

नई दिल्ली, 09 अक्टूबर:  भारत और दक्षिण एशिया के बीच सांस्कृतिक संबंध गहरे हैं, विशेषकर बौद्ध धर्म के कारण। हाल ही में, प्रधानमंत्री मोदी की पहल पर नालंदा विश्वविद्यालय, जो शिक्षा का एक प्रमुख केंद्र रहा है, लगभग 800 वर्षों बाद फिर से सक्रिय हुआ है।  नालंदा का पुनरुत्थान: भारत और लाओस का सांस्कृतिक मिलन .यह विश्वविद्यालय बौद्ध धर्म से जुड़े अध्ययन के लिए महत्वपूर्ण है और इसके लाभ लाओस के लोगों को भी मिल रहे हैं। इस तरह, भारत और लाओस के बीच सांस्कृतिक और शैक्षिक संबंध और भी मजबूत हो रहे हैं।   नालंदा विश्वविद्यालय, भारत के बिहार राज्य में स्थित, प्राचीन समय का एक प्रमुख शिक्षा केंद्र था। इसकी स्थापना 5वीं शताब्दी में गुप्त साम्राज्य के समय हुई। इसे बौद्ध धर्म के अध्ययन के लिए जाना जाता था। यहाँ अनेक देशों के छात्र पढ़ने आते थे, जैसे चीन, तिब्बत, कोरिया और श्रीलंका। यहाँ अनेक पुस्तकालय, छात्रावास और मंदिर थे। 12वीं शताब्दी में, नालंदा पर आक्रमण हुआ, जिससे यह समाप्त हो गया। हाल ही में, 800 सालों के बाद, नालंदा विश्वविद्यालय को पुनर्जीवित किया गया है, जो अब एक आधुनिक शिक्षा केंद्र के रूप में कार्यरत है। इसका उद्देश्य नालंदा की प्राचीन ज्ञान परंपरा को फिर से जीवित करना है।

CBSE Open Book Examination:सीबीएसई करा सकता है कक्षा 9 से 12 तक के लिए ओपन-बुक परीक्षा

केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) की तरफ से ताजा खबर सामने आई है। जिसमें बच्चे के बोर्ड एग्जाम ओपन बुक परीक्षा (ओबीई) के द्वारा किए जाएंगे, CBSE Open Book Examination:सीबीएसई करा सकता है कक्षा 9 से 12 तक के लिए ओपन-बुक परीक्षा सीबीएसई इस पर विचार कर रहा है। सूत्रों के मुताबिक, सीबीएसई द्वारा छात्रों के समय का मूल्यांकन करने के लिए इस साल के अंत में कक्षा 9 और 10 के लिए अंग्रेजी, गणित और विज्ञान और कक्षा 11 और 12 के लिए अंग्रेजी, गणित और जीवविज्ञान के लिए कुछ स्कूलों में ओपन-बुक टेस्ट चलाने का प्रस्ताव रखा है।

क्‍या होता है ओपन-बुक एग्‍जाम
ओपन-बुक एग्‍जाम में स्‍टूडेंट्स को परीक्षा के दौरान अपने नोट्स, किताबें, या कई अन्‍य स्‍टडी मटेरियल साथ ले जाने और उन्हें देखने की अनुमति होती है। हालांकि OBE सामान्‍य परीक्षा से आसान नहीं होता। ये एग्‍जाम अक्सर ज्‍यादा मुश्किल होते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि ओपन-बुक एग्‍जाम में स्‍टूडेंट की याद रखने की क्षमता का आकलन नहीं किया जाता, बल्कि किसी सब्‍जेक्‍ट या टॉपिक की समझ और उसकी प्रैक्टिकल नॉलेज को परखा जाता है। एग्‍जामिनर उन आंसर्स को नंबर नहीं देते जो किताब से देखकर लिखे गए हों, बल्कि उन आंसर्स को मार्क्‍स दिए जाते हैं, जिसमें स्‍टूडेंट की इंटेलिजेंस दिखाई दे। जैसे- स्टूडेंट अगर नोटबुक में टीचर्स द्वारा लिखाए गए पैरे को ज्यों का त्यों कॉपी करते हैं, तो उन्हें नंबर नहीं मिलेंगे, जबकि उससे आइडिया लेकर अपनी भाषा में उसे बेहतर तरीके से लिखेंगे तो नंबर मिलेंगे।

CBSE Academic Assessments: एक ऐतिहासिक कदम में, केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने कक्षा 9-12 के लिए ओपन बुक परीक्षा (ओबीई) कराने पर विचार-विमर्श करने के लिए दिसंबर 2023 में बैठक बुलाई. मूल्यांकन के उद्देश्य से इस प्रस्ताव पर शिक्षा एक्सपर्ट्स और स्टेकहोल्डर्स के बीच चर्चा हुई. क्लास 9 और 10 के लिए इंग्लिश, मैथ्स, साइंस और क्लास 11 और 12 के लिए  इंग्लिश मैथ्स और बायोलॉजी सब्जेक्ट के लिए नवंबर-दिसंबर में चुनिंदा स्कूलों में पायलट प्रोग्राम आयोजित किया जाएगा. सीबीएसई ने पिछले साल जारी नेशनल करिकुल फ्रेमवर्क (एनसीएफ) के आधार पर मूल्यांकन के इस रूप का प्रस्ताव दिया है.

CBSE Open Book Examination

UP Board Exam 2024 : यूपी बोर्ड परीक्षा में दूसरे दिन 28 हजार ने छोड़ा एग्जाम

उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद की दूसरे दिन की बोर्ड परीक्षा (23 फरवरी) भी सकुशल संपन्न हुई. UP Board Exam 2024 : यूपी बोर्ड परीक्षा में दूसरे दिन 28 हजार ने छोड़ा एग्जाम दूसरे दिन की परीक्षा में दोनों पालियों में कुल 28 हजार 513 परीक्षार्थी अनुपस्थित रहे. पहली पाली में हाईस्कूल की पालि, अरबी, फारसी भाषाओं और इंटरमीडिएट के नागरिक शास्त्र विषय की परीक्षा हुई. जबकि दूसरी पाली में में हाई स्कूल की संगीत गायन और इंटरमीडिएट की व्यावसायिक एवं कृषि वर्ग की परीक्षा संपन्न हुई. यूपी बोर्ड परीक्षा में नकल और धांधली रोकने के लिए कड़े इंतजाम किए गए हैं. दूसरे दिन की परीक्षा में इंटरमीडिएट का एक छात्र नकल करते हुए पकड़ा गया. जबकि पहले दिन हाईस्कूल के पांच परीक्षार्थी नकल करते हुए पकड़े गए थे.

Reels ने बढ़ाई डॉक्टरों की मुश्किल: कर्नाटक के मेडिकल स्टूडेंट्स ने अस्पताल में बनाईं रील्स, वायरल होने पर 38 डॉक्टर्स पर कार्रवाई

Karnataka Medical College Junior Doctors Reels: कर्नाटक के एक सरकारी मेडिकल कॉलेज में सोशल मीडिया पर रील्स पोस्ट करने को लेकर 38 जूनियर डॉक्टरों को सख्त कार्रवाई का सामना करना पड़ा है। गडग इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के डायरेक्टर ने इसे स्टूडेंट्स की ”गंभीर गलती” बताया है। सजा के तौर पर जूनियर डॉक्टरों की हाउसमैनशिप (व्यावहारिक प्रशिक्षण) को 10 दिनों के लिए आगे बढ़ा दिया। क्योंकि उनके द्वारा शूट की गई रील सोशल मीडिया पर वायरल हो गई थी।

आर्ट ऑफ गिविंगथीम २०२४ का शुभारंभ

आर्ट ऑफ गिविंग की सुंदरता इसकी समावेशिता और सार्वभौमिकता है जिसमें जाति, पंथ, लिंग, धर्म, जन्म स्थान या लिंग की बाधाओं के बिना सभी की भागीदारी शामिल है। ५ से ९५ वर्ष की आयु के वैश्विक समुदाय को गले लगाते हुए, यह पहल सभी जरूरतमंदों के लिए प्यार और समर्थन के सार्वभौमिक मूल्यों का प्रतीक है। हर साल इसे एक खास थीम पर मनाया जाता है। वर्ष २०२४ के लिए, विषय अद्वितीय है- यह एक स्पष्ट आह्वान है  ‘Let’s AOG’, आर्ट ऑफ गिविंग को एक क्रिया से जीवन के तरीके में बदलना, हर किसी के लिए व्याख्या और अनुप्रयोग के लिए खुला। पिछले वर्षों में, थीम शिक्षकों, सहायकों, माताओं, बच्चों और हाशिए पर रहने वाले लोगों पर केंद्रित थीं, जो एक विशिष्ट समूह या कारण पर केंद्रित थीं। विषय ने परिभाषित किया कि किसे देना है और क्या देना है।

आप ओडिशा के भुवनेश्वर में स्थित कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल टेक्नोलॉजी (KIIT) और कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (KISS) के बारे में जानते हैं। ६५ से अधिक देशों के ४०,००० के अपने विविध छात्र समूह के साथ,  KIIT भारत सरकार की NIRF  रैंकिंग में १६वें सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालय और टाइम्स हायर एजुकेशन रैंकिंग २०२४ के अनुसार भारत में छठा स्थान हासिल किया है। KISS वर्तमान में अपने आवासीय परिसर में ४०,००० स्वदेशी बच्चों को मुफ्त में शिक्षा देता है। ख्घ्एए में समान संख्या में पूर्व छात्र हैं। इसे यूनेस्को अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार २०२२ और ग्रीन गाउन अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार २०२३ से सम्मानित किया गया है। खेल के प्रति संस्थान की प्रतिबद्धता भी उतनी ही उल्लेखनीय है। KIIT ने १५ ओलंपियनों को शिक्षा, छात्रवृत्ति और व्यापक प्रशिक्षण प्रदान करके तैयार किया है। इसके छात्रों की उपलब्धियों में चीन में एशियाई खेलों में भाग लेने वाले १४ छात्रों में से चार पदक जीतना और गोवा में राष्ट्रीय खेल २०२३ में २४ पदक जीतना शामिल है। खेल के प्रति इस समर्पण को राष्ट्रीय खेल प्रोत्साहन पुरस्कार २०२२, फिक्की अवार्ड्स, स्पोर्ट्स स्टार अवार्ड्स और खेल सुविधाओं के लिए ण्घ्घ् स्पोर्ट्स बिजनेस अवार्ड जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों से मान्यता मिली है। खेल से आगे, ख्घ्घ्ऊ और ख्घ्एए सामाजिक सुधार के लिए प्रयास करते हुए १० से अधिक आउटरीच कार्यक्रमों में गहराई से लगे हुए हैं। उनमें से, प्रमुख पहलों में से एक है आर्ट ऑफ गिविंग। यह शांति, खुशी और सद्भाव फैलाने, मानवीय संबंधों को मजबूत करने, सभी से प्यार करने और जरूरतमंदों की मदद करने के लिए प्रसिद्ध शिक्षाविद्, परोपकारी और समाज सुधारक प्रोफेसर अच्युत सामंत द्वारा प्रवर्तित जीवन दर्शन है। वह चाहते हैं कि यह दर्शन लोगों के जीवन में कृतज्ञता और करुणा को इसके मूल स्तंभों के रूप में शामिल किया जाए। १७ मई, २०१३ को अच्युत सामंत को आत्मज्ञान प्राप्त हुआ और तब से इस दिन को १२० से अधिक देशों में बड़े उत्साह के साथ अंतर्राष्ट्रीय दान कला दिवस के रूप में मनाया जाता है। आर्ट ऑफ गिविंग की सुंदरता इसकी समावेशिता और सार्वभौमिकता है जिसमें जाति, पंथ, लिंग, धर्म, जन्म स्थान या लिंग की बाधाओं के बिना सभी की भागीदारी शामिल है। ५ से ९५ वर्ष की आयु के वैश्विक समुदाय को गले लगाते हुए, यह पहल सभी जरूरतमंदों के लिए प्यार और समर्थन के सार्वभौमिक मूल्यों का प्रतीक है। हर साल इसे एक खास थीम पर मनाया जाता है। वर्ष २०२४ के लिए, विषय अद्वितीय है- यह एक स्पष्ट आह्वान है ‘थू’े Aध्उ’, आर्ट ऑफ गिविंग को एक क्रिया से जीवन के तरीके में बदलना, हर किसी के लिए व्याख्या और अनुप्रयोग के लिए खुला। पिछले वर्षों में, थीम शिक्षकों, सहायकों, माताओं, बच्चों और हाशिए पर रहने वाले लोगों पर केंद्रित थीं, जो एक विशिष्ट समूह या कारण पर केंद्रित थीं। विषय ने परिभाषित किया कि किसे देना है और क्या देना है। हालाँकि, इस वर्ष यह उस परंपरा से मुक्त हो गया है। कोई निर्धारित विषय न होने से, आर्ट ऑफ गिविंग अधिक समावेशी और सार्वभौमिक हो जाती है, जिससे लोगों को इस दर्शन को जिस भी तरीके से उचित लगे उसे अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। २०२४ में ‘आर्ट ऑफ गिविंग’ एक क्रिया, एक क्रिया से एक संज्ञा, रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा बन जाएगी। ध्यान खुद को देने पर है, चाहे इसमें पैसा, समय, सुनने वाला कान, दयालु शब्द, या किसी अन्य प्रकार का समर्थन शामिल हो। यह भौतिकवाद से परे है, भावनात्मक संबंध और खुशी पर जोर देता है जो देने वाले और प्राप्तकर्ता दोनों अनुभव करते हैं।

२०२४ में, आर्ट ऑफ गिविंग एकता की भावना को बढ़ावा देने के बारे में है, जो दर्शाता है कि एक व्यक्ति एक आंदोलन शुरू कर सकता है, लेकिन सामूहिक प्रयास के माध्यम से ही यह बढ़ता है और प्रभावशाली बनता है। यह एक व्यक्तिगत कार्य से उदारता और दयालुता की सामुदायिक लहर तक की यात्रा का प्रतीक है। संक्षेप में, प्रो. सामंता की २०२४ के लिए देने की कला, इसके विषय के ‘थू’े Aध्उ,’ साथ सभी को एक ऐसे आंदोलन में शामिल होने के लिए आमंत्रित करता है जो एकता, उदारता और देने की परिवर्तनकारी शक्ति का जश्न मनाता है। यह कार्रवाई के लिए एक सार्वभौमिक आह्वान है, जो लोगों को अपने जीवन में देने की कला को शामिल करने के लिए प्रोत्साहित करता है, जिससे यह एक अभिन्न अंग बन जाता है कि वे कौन हैं और वे अपने आसपास की दुनिया के साथ कैसे बातचीत करते हैं।  -अशोक पाण्डेय

कीस डीम्ड विश्वविद्यालय ने मनाया अपना तीसरा दीक्षांत समारोह:

कीस डीम्ड विश्वविद्यालय ने मनाया अपना तीसरा दीक्षांत समारोह

  • समारोह में उपस्थित रहे ओडिशा और छत्तीसगढ़ के राज्यपाल
  • झारखंड के भी हजारों छात्र कीस में शिक्षा प्राप्त कर रह रहे हैं
  • “भारत को विकसित देश बनाना है तो आदिवासियों का विकास जरूरी”- राज्यपाल ओडिशा रघुवर दास

भुवनेश्वर 25 नवंबर, कलिंग इंस्टीट्यूट आफ सोशियल साइंसेस,कीस डीम्ड विश्वविद्यालय ने आज अपना तीसरा दीक्षांत समारोह मनाया। लगभग 350 से अधिक छात्र-छात्राओं को स्नातकोत्तर और पीएचडी की डिग्री प्राप्त की।
समारोह के मुख्य अतिथि के रूप में भाग लेते हुए ओडिशा के राज्यपाल रघुवर दास ने भारत की उन्नति और विकास में जनजातीय छात्रों की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया। भारत को विकसित देश बनाना है तो आदिवासियों का विकास जरूरी है।-यह बात ओडिशा के राज्यपाल ने कही।उन्होंने जनजातीय सशक्तिकरण के लिए कीट और कीस के संस्थापक डॉ अच्युत सामंत के योगदानों की प्रशंसा की। राज्यपाल ने कहा कि हमारे गृह राज्य झारखंड के हजारों आदिवासी छात्र इस शैक्षिक संस्थान के जरिए अपने सपने को साकार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह आदिवासी समुदायों के लिए भी गर्व की बात है कि आजादी के 75 साल बाद भारत के पास द्रौपदी मुर्मु के रूप में एक आदिवासी नेता देश की राष्ट्रपति हैं। डा. सामंत ने समारोह में अतिथियों और स्नातक छात्रों के माता-पिता के प्रति अपनी गहरी कृतज्ञता व्यक्त की।
छत्तीसगढ़ के राज्यपाल विश्व भूषण हरिचंदन भी इस समारोह में विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थे। परमार्थ निकेतन आश्रम, ऋषिकेश के अध्यक्ष और आध्यात्मिक प्रमुख परम पूज्य स्वामी चिदानंद सरस्वती और सिंगापुर के मौद्रिक प्राधिकरण के मुख्य फिनटेक अधिकारी तथा एलेवेंडी बोर्ड के अध्यक्ष शोपनेन्दु महंती आदि को मानद डी.लिट की डिग्री प्रदान की गई।

छत्तीसगढ़ के राज्यपाल विश्व भूषण हरिचन्दन ने कीट और कीस की स्थापना के लिए डा. सामंत के धैर्य और दृढ़ संकल्प की सराहना की और छात्रों से यह निवेदन किया कि वे  अपने पेशेवर जीवन को आगे बढ़ाते हुए अपने माता-पिता और मातृभूमि की सेवा को नहीं भूलें! उन्होंने कहा कि पढ़ लिखकर कीस के छात्र चाहे भारत में रहें या विदेश में अपनी मातृभूमि को सदैव याद रखें।
जी-20 शेरपा और नीति आयोग के पूर्व सीईओ अमिताभ कांत ने कीट और कीस को दुनिया के सर्वश्रेष्ठ संस्थान बताया। गौरतलब है कि कीस एक ऐसा अनुष्ठान है जहां आदिवासी बच्चों को मुफ्त में केजी से पीजी तक शिक्षा प्रदान की जाती है। उन्होंने डिजिटल क्रांति सहित प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किए गए आर्थिक विकास की एक श्रृंखला को सूचीबद्ध किया और कहा कि भारत 2027 तक तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा।
शोपनेन्दु महंती ने अपने अनुभव को साझा किया और भविष्य में कीस के छात्रों के कोच बनने की बात कही । 
आध्यात्मिक गुरु चिदानंद सरस्वती ने कहा कि शिक्षा के माध्यम से जनजातीय समाज के विकास के लिए जो प्रयास डा. सामंत कर रहे हैं, वह प्रशंसनीय है। ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक जिस तरह से राज्य को समृद्धि के रास्ते पर ले जा रहे हैं, ठीक उसी तरह डा. सामंत भी लाखों आदिवासी छात्रों को उनके सपनों को पूरा करने में मदद कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि संस्थापक का स्वर्ण पदक पाने वाले 15 छात्रों में से 11 लड़कियां हैं और जिन छात्रों ने आज पदक जीता , वे कल समाज के आदर्श बनेंगे।
समारोह में सम्मानित अतिथि के रूप में  उपस्थित अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्धि पा चुके भारतीय संगीतकार और तीन बार के ग्रैमी पुरस्कार विजेता डॉ. रिकी जी. केज ने छात्रों से जलवायु परिवर्तन के मुद्दे को संबोधित करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि सार्थक बदलाव तभी हो सकता है जब व्यक्ति दूसरों की प्रतीक्षा करने के बजाय खुद को बदले और अपनी जिम्मेदारियों को समझे।
कीस डीम्ड विश्वविद्यालय के कुलाधिपति सत्य एस त्रिपाठी, कुलपति प्रोफेसर दीपक कुमार बेहरा और कुलसचिव डा पी के राउतराय ने भी अपने अपने विचार रखे। दीक्षांत समारोह में कीट -कीस की अध्यक्षा शाश्वती बल, उपाध्यक्ष उमापद बोस और विश्वविद्यालय के अन्य वरिष्ठ पदाधिकारीगण मौके पर उपस्थित थे।

शिक्षा, धन और मेधाशक्ति का सदुपयोग करनेवाले महान शिक्षाविद् प्रो. अच्युत सामंत

आज के २१वीं सदी के सूचना तकनीकी के युग में वे असाधारण शिक्षाप्राप्त, धनवैभव संपन्न हैं। सकारात्मक सोचवाले हैं जो नित्य अपनी मेधा शक्ति आदि का सदुपयोग करते हैं। उन्होंने बताया कि भारत के प्रथम राष्ट्रपति स्वर्गीय डॉ.राजेन्द्र प्रसाद अपने छात्र जीवन में एक असाधारण तथा विलक्षण विद्यार्थी थे जिनकी बिहार बोर्ड प्रवेशिका परीक्षा के गणित विषय का ऐन्सरशीट आज भी उपलब्ध है जिसमें लिखा गया है कि परीक्षार्थी परीक्षक से बेहतर है। उन्होंने १०० अंकों में से १०० अंक अर्जितकर यह सिद्ध कर दिया कि वे एक असाधारण तथा विलक्षण प्रतिभासंपन्न विद्यार्थी थे जो एक दिन भारत के प्रथम राष्ट्रपति ही नहीं बने अपितु भारतीय संस्कार और संस्कृति के आदर्श भी बने।

आनेवाले कल के विकसित भारत के लिए संस्कारी, कर्तव्यनिष्ठ, ईमानदार, जिम्मेवार, चरित्रवान, सच्चा देशभक्त तथा स्वावलंबी कर्णधारों की आवश्यकता है जिसमें एक व्यक्ति विशेष के रुप में कीट-कीस के प्राणप्रतिष्ठाता तथा कंधमाल लोकसभा माननीय सांसद प्रो. अच्युत सामंत हैं। वे भारत के प्रथम महान शिक्षाविद् हैं जिन्हें देश-विदेश के कुल ५३ विश्वविद्यालयों से मानद डॉक्टरेट की डिग्री प्राप्त है। वे बडे ही सहृदय, संवेदनशील, आत्मीय स्वभाववाले परम ज्ञानी, विवेकी, विद्वान, सच्चरित्र तथा जिम्मेदार शिक्षाविद् हैं। उनका यह मानना है कि हमारा प्यारा भारतवर्ष महानऋषि-मुनियों का देश है। जहां पर मुनि वसिष्ठ तथा मुनि संदीपनि का गुरुकुल है। उन्होंने बताया कि शिक्षा के विषय में यह सत्य ही कहा गया है कि –
विद्या ददाति विनयं,विनयाद् याति पात्रताम्।
पात्रत्वात् धनमाप्रोति,धनात् धर्मं ततः सुखम्।।
-अर्थात् विद्या बालक को विनय देती है, विनय से बालक के स्वभाव में तथा आचरण में पात्रता आती है। पात्रता से उसे धन प्राप्त होता है और धन से वह अपने जीवन में मन, वचन और कर्म से सुखी होता है। बच्चों को दी जानेवाली यह शिक्षा दो प्रकार की होती है। एक औपचारिक शिक्षा तथा दूसरी अनौपचारिक शिक्षा। औपचारिक शिक्षा उसे जीवन में उसके उद्देश्य की पूर्ति में सहायक सिद्ध होती है और अनौपचारिक शिक्षा उसे शाश्वत जीवन मूल्यों से अवगत कराकर उसे संस्कारी बनाती है। आज के २१वीं सदी के सूचना तकनीकी के युग में वे असाधारण शिक्षाप्राप्त, धनवैभव संपन्न हैं। सकारात्मक सोचवाले हैं जो नित्य अपनी मेधा शक्ति आदि का सदुपयोग करते हैं। उन्होंने बताया कि भारत के प्रथम राष्ट्रपति स्वर्गीय डॉ.राजेन्द्र प्रसाद अपने छात्र जीवन में एक असाधारण तथा विलक्षण विद्यार्थी थे जिनकी बिहार बोर्ड प्रवेशिका परीक्षा के गणित विषय का ऐन्सरशीट आज भी उपलब्ध है जिसमें लिखा गया है कि परीक्षार्थी परीक्षक से बेहतर है। उन्होंने १०० अंकों में से १०० अंक अर्जितकर यह सिद्ध कर दिया कि वे एक असाधारण तथा विलक्षण प्रतिभासंपन्न विद्यार्थी थे जो एक दिन भारत के प्रथम राष्ट्रपति ही नहीं बने अपितु भारतीय संस्कार और संस्कृति के आदर्श भी बने।
पूरी दुनिया जानती है कि प्रो, अच्युत सामंत भी ठीक उसी प्रकार अपने द्वारा ओडिशा प्रदेश की राजधानी भुवनेश्वर में १९९२-९३ में मात्र पांच हजार रुपये की अपनी जमा पूंजी से कीट-कीस की स्थापनाकर विश्व के महान शिक्षाविद् बन चुके हैं। वे अपनी अर्जित विद्या, धन और बल का सकारात्मक सोच के साथ सदुपयोग करके ओडिशा के साथ-साथ पूरे भारत का गौरव पूरी दुनिया में बढा रहे हैं। उनका यह भी कहना है कि भगवान बुद्ध के मूलभूत संदेशों में विश्वप्रेम और अहिंसा ही है जो उनके व्यक्तिगत जीवन का आदर्श है। उन्होंने यह भी बताया कि स्वामी विवेकानंद ने अपने शिकागो भाषण में दुनिया को चरित्रवान बनने का संदेश दिया और प्रो.सामंत भी उसी संदेश को अपने जीवन में अपनाकर चल रहे हैं। उनका यह मानना है कि एक अच्छे व्यक्ति का मानदण्ड उसका सरल, सौम्य और आदर्श चरित्र होता है जो वे जी रहे हैं।
प्रो. सामंत बताते हैं कि सभी आज बाहरी दिखावे, दूसरों की निंदा करने में, झूठी प्रसिद्धि पाने में, गलत मान-सम्मान अर्जित करने में तथा विभिन्न प्रकार के व्यसनों में लीन हैं लेकिन वे इनसब से कोसों दूर हैं। वे तो भारत के सनातनी आदर्श-वसुधैव कुटुम्कम्में विश्वास रखते हैं। और उसी को साकार करने में लगे हुए हैं। प्रो.अच्युत सामंत का यह मानना है कि उत्तम स्वास्थ्य, उत्तम शिक्षा तथा स्वावलंबन से ही आत्मनिर्भर भारत का निर्माण हो सकता है इसीलिए प्रो. सामंत अपने द्वारा स्थापित कीट-कीस और कीम्स के माध्यम से आत्मनिर्भर भारत बनाने में जुटे हुए हैं।
-अशोक पाण्डेय