नई दिल्ली, 09 अक्टूबर: भारत और दक्षिण एशिया के बीच सांस्कृतिक संबंध गहरे हैं, विशेषकर बौद्ध धर्म के कारण। हाल ही में, प्रधानमंत्री मोदी की पहल पर नालंदा विश्वविद्यालय, जो शिक्षा का एक प्रमुख केंद्र रहा है, लगभग 800 वर्षों बाद फिर से सक्रिय हुआ है। नालंदा का पुनरुत्थान: भारत और लाओस का सांस्कृतिक मिलन .यह विश्वविद्यालय बौद्ध धर्म से जुड़े अध्ययन के लिए महत्वपूर्ण है और इसके लाभ लाओस के लोगों को भी मिल रहे हैं। इस तरह, भारत और लाओस के बीच सांस्कृतिक और शैक्षिक संबंध और भी मजबूत हो रहे हैं। नालंदा विश्वविद्यालय, भारत के बिहार राज्य में स्थित, प्राचीन समय का एक प्रमुख शिक्षा केंद्र था। इसकी स्थापना 5वीं शताब्दी में गुप्त साम्राज्य के समय हुई। इसे बौद्ध धर्म के अध्ययन के लिए जाना जाता था। यहाँ अनेक देशों के छात्र पढ़ने आते थे, जैसे चीन, तिब्बत, कोरिया और श्रीलंका। यहाँ अनेक पुस्तकालय, छात्रावास और मंदिर थे। 12वीं शताब्दी में, नालंदा पर आक्रमण हुआ, जिससे यह समाप्त हो गया। हाल ही में, 800 सालों के बाद, नालंदा विश्वविद्यालय को पुनर्जीवित किया गया है, जो अब एक आधुनिक शिक्षा केंद्र के रूप में कार्यरत है। इसका उद्देश्य नालंदा की प्राचीन ज्ञान परंपरा को फिर से जीवित करना है।
नालंदा का पुनरुत्थान: भारत और लाओस का सांस्कृतिक मिलन
