वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक फरवरी को लगातार छठा बजट 2024-25 पेश करेंगी। इसके साथ ही उनके नाम कई रिकॉर्ड दर्ज होंगे। वह लगातार पांच पूर्ण बजट और एक अंतरिम बजट पेश कर पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के क्लब में शामिल हो जाएंगी। सीतारमण पहली पूर्णकालिक महिला वित्त मंत्री हैं, जो जुलाई 2019 से अब तक पांच पूर्ण बजट पेश कर चुकी हैं। पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने सर्वाधिक 10 बार बजट पेश किए थे।
वित्त मंत्री का कार्यक्रम और कितने बजे संसद में पेश किया जाएगा बजट 2024-25
इस रिपोर्ट की मानें तो वर्ष बजट 2024-25 के दौरान जीडीपी में सात प्रतिशत तक बढ़ोतरी रह सकती है। इस रिपोर्ट में ही जानकारी दी गई है कि आर्थिक सर्वेक्षण को आम चुनाव के बाद पूर्ण बजट में ही पेश किया जाएगा।
बता दें कि भारत का पहला आर्थिक सर्वे वर्ष 1950-51 के दौरान पेश किया गया था। वर्ष 1964 के बाद से ही आर्थिक सर्वेक्षण और आम बजट को साथ में पेश किया जाने लगा है। हालांकि इस वर्ष आम चुनाव होने के कारण केंद्र सरकार आर्थिक रिपोर्ट लाई है, जिसमें बीते 10 वर्षों का ब्यौरा दिया गया है। इस रिपोर्ट में ही भारतीय अर्थव्यवस्था के भविष्य पर भी रौशनी डाली गई है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि आगामी तीन वर्षों मे ही भारत 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बन जाएगा। वर्ष 2030 तक देश सात ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनेगा। वर्ष 2030 तक भारत सात ट्रिलियन इकोनॉमी भी बनेगा। दस साल पहले भारत 1.9 लाख करोड़ डॉलर के जीडीपी के साथ दुनिया की 10वीं बड़ी अर्थव्यवस्था था।
वित्त मंत्रालय ने जताया अनुमान
वित्त मंत्रालय ने कहा है कि महामारी के असर और वृहद-आर्थिक असंतुलन एवं खंडित वित्तीय क्षेत्र वाली अर्थव्यवस्था की विरासत के बावजूद भारत वित्त वर्ष 2023-24 में 3.7 लाख करोड़ डॉलर की अनुमानित जीडीपी के साथ पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था है। मंत्रालय ने कहा, ‘‘10 साल की यह यात्रा ठोस एवं क्रमिक दोनों तरह के कई सुधारों से गुजरी है। उन्होंने देश की आर्थिक प्रगति में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इन सुधारों ने आर्थिक मजबूती भी दी है जिसकी देश को भावी अप्रत्याशित वैश्विक झटकों से निपटने के लिए जरूरत होगी।’’ इसी के साथ मंत्रालय ने कहा कि अगले तीन वर्षों में भारत के पांच लाख करोड़ डॉलर के जीडीपी के साथ दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की उम्मीद है।
समीक्षा रिपोर्ट के मुताबिक, ‘‘सरकार ने वर्ष 2047 तक ‘विकसित देश’ बनने का एक बड़ा लक्ष्य रखा है। सुधारों की यात्रा जारी रहने पर इस लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है।’’ समीक्षा रिपोर्ट कहती है, ‘‘घरेलू मांग की ताकत ने पिछले तीन वर्षों में अर्थव्यवस्था को सात प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर दी है। वित्त वर्ष 2024-25 में वास्तविक जीडीपी वृद्धि सात प्रतिशत के करीब रहने की संभावना है। वर्ष 2030 तक वृद्धि दर के सात प्रतिशत से अधिक रहने की काफी गुंजाइश है।’’
हालांकि, मंत्रालय ने समीक्षा में पाया कि हालिया एवं भावी संरचनात्मक सुधारों के बल पर भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर के लिए भू-राजनीतिक संघर्षों का बढ़ा जोखिम चिंता का सबब बन सकता है। इसके मुताबिक, ‘‘मुद्रास्फीति अंतर और विनिमय दर के संबंध में उचित धारणाओं के अनुरूप भारत अगले छह-सात साल में (2030 तक) सात लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की आकांक्षा कर सकता है।’’ मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन ने समीक्षा रिपोर्ट की भूमिका में कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था कोविड के बाद अपने पुनरुद्धार को कायम रखने के लिए संघर्ष कर रही है और आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान जैसे कुछ झटके 2024 में भी लौट आए हैं। अगर ये झटके कायम रहते हैं तो दुनियाभर में व्यापार प्रवाह, परिवहन लागत, आर्थिक उत्पादन और मुद्रास्फीति को प्रभावित करेंगे।
केंद्र सरकार का अंतरिम बजट एक जनवरी को पेश किया जाएगा। भारत सरकार ने स्मार्ट फोन पर लगने वाली इंपोर्ट ड्यूटी को कम किया है, जिससे उपभोक्ताओं को काफी राहत मिली है। बजट सत्र 2024 से पहले ही भारत सरकार ने स्मार्टफोन के निर्माण में उपयोग होने वाले कंपोनेंट्स-पार्ट्स पर आयात शुल्क को 15 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत कर दिया है। भारत सरकार ने अंतिरम बजट से पहले ये घोषणा की है। इस घोषणा से मेक इन इंडिया प्रोजेक्ट को काफी फायदा हुआ है। भारत सरकार ने कंपोनेंट्स-पार्ट्स की कीमत में गिरावट लाने के लिए सार्थक प्रयास किया है। सरकार ने इस फैसले को लेकर कहा कि सिम सॉकेट, मेटल पार्ट्स, सेलुलर मॉड्यूल और अन्य मैकेनिकल आईटम्स पर आयात शुल्क पांच प्रतिशत कम होगा।बता दें कि केंद्र सरकार के इस फैसले से भारत में अपने फोन का उत्पादन कर रही कंपनियों में खुशी व्याप्त हुई होगी। कच्चे माल के आयात के फैसले के बाद अब कम टैक्स का भुगतान करना होगा। कम टैक्स होने के कारण इसका सीधा असर मोबाइल फोन की कीमतों पर भी पड़ेगा। सरकार द्वारा ये फैसला लेने के बाद मोबाइल फोन की कीमतों में गिरावट देखने को मिलेगी।गौरतलब है कि कुछ समय पहले ही ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव की एक रिपोर्ट में सामने आया कि स्मार्ट फोन बनाने के लिए इलेक्ट्रॉनिक पार्ट्स का उपयोग होता है, जिनपर इंपोर्ट ड्यूटी कम की गई है। ये भी कहा जा रहा है कि केंद्र सरकार का ये कदम मेक इन इंडिया इनिशिएटिव को बढ़ावा देगा।
जानकारी के मुताबिक केंद्र सरकार के इस कदम से एप्पल जैसी कंपनियों को देश में हाई एंड प्रीमियम स्मार्टफोन बनाने में मदद मिलेगी। भारत का स्मार्टफोन इनपुट टैरिफ वर्तमान में सर्वाधिक है। आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2022-23 में भारत का स्मार्टफोन विनिर्माण चार प्रतिशत आयात पर निर्भर करता है, जो वर्ष 2014-15 में राजस्व के मामले में 78 प्रतिशत आयात पर निर्भर करता था। भारत में बिकने वाले स्मार्टफोन में से 99.2 प्रतिशत स्मार्टफोन देश में निर्मित है। वहीं स्मार्टफोन निर्यात 2022-23 में बीते वर्ष की तुलना में 100 प्रतिशत से बढ़कर 11.1 बिलियन डॉलर पहुंच गया है।