महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में स्थिल अजंता और एलोरा की गुफाएं एक-दूसरे से करीब सौ किलोमीटर की दूरी पर है लेकिन अपनी महत्वता की वजह से इन दोनों का नाम हमेशा साथ में लिया जाता है। बड़े-बड़े पहाड़ और चट्टानों को काटकर बनाई गई ये गुफाएं वास्तुकला का बेहतरीन नमूना है। अजंता की गुफाओं में अधिकांश दीवारों पर बौद्ध धर्म से जुड़ी नक्काशी की गई है। जबकि एलोरा की गुफाओं में मौजूद वास्तुकला और मूर्तियां बौद्ध, जैन और हिंदू धर्म से जुड़ी हुई हैं। अजंता पूरे तीस गुफाओं का समूह है जिसे घोड़े की नाल के आकार में पहाड़ों को काटकर बनाया गया है। और इसकी सामने वाघोरा नदी बहती है। गुफाओं के पास मौजूद गांव अजंता के नाम पर इन गुफाओं का नाम पड़ा। अजंता केव्स में जहां ३० गुफाओं का समूह है वहीं एलोरा की गुफाओं में ३४ मोनैस्ट्रीज और मंदिर हैं जो पहाड़ के किनारे पर करीब २ किलोमीटर के हिस्से में फैला हुआ है। इन गुफाओं का निर्माण ५वीं और १०वीं शताब्दी के बीच किया गया था। एलोरा की गुफाओं में मौजूद मंदिर हिंदू, बौद्ध और जैन धर्म को समर्पित है। यहां की ज्यादातर सरंचनाओं में विहार और मोनैस्ट्रीज हैं। इनमें बुद्धिस्ट केव जिसे विश्वकर्मा केव कहते हैं यह सबसे ज्यादा फेमस है।

ब्रिटिश आर्मी ऑफिसर जॉन स्मिथ और उनकी टीम नेअजंता-एलोरा गुफाओं की खोज  की थी। दरअसल १८१९ में वे यहां शिकार करने आए थे। तभी उन्हें २९ गुफाएं नजर आई। इसके बाद ही इन गुफाओं की कहानी दुनिया के सामने आईं। ये गुफाएं बड़ी-बड़ी चट्टानों को काटकर बनाई गई हैं। अजंता की गुफाओं की ज्यादातर दीवारों पर बौद्ध धर्म से जुड़ी नक्काशी मिलती है, जबकि एलोरा की गुफाओं में बौद्ध, जैन और हिंदू धर्म से जुड़ी वास्तुकला और मूर्तियां हैं। अजंता में ३० गुफाएं हैं। घोड़े की नाल के आकार में पहाड़ों को काटकर इन गुफाओं को बनाया गया है। इन गुफाओं के सामने से वाघोरा नदी बहती है। यहीं पास में अजंता नाम का एक गांव है, जिसके नाम पर इन गुफाओं का नाम रखा गया है। अजंता की गुफाओं में दीवारों पर अप्सराओं और राजकुमारियों की अलग-अलग मुद्राओं में चित्र उकेरे गए हैं। इन गुफाओं के एक भाग में बौद्ध धर्म के हीनयान और दूसरे भाग में महायान संप्रदाय की झलक दिखाई देती है। १९वीं शताब्दी की इन गुफाओं में बौद्ध भिक्षुओं की मूर्तियां और चित्र हैं।

महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में अजंता और एलोरा की गुफाएं हैं। बड़े-बड़े पहाड़ और चट्टानों को काटकर इन्हें बनाया गया है। इनकी कारीगरी वास्तुकला का बेहतरीन उदाहरण है। वैसे तो ये गुआएं एक-दूसरे से करीब १०० किलोमीटर की दूरी पर हैं लेकिन इनका महत्व, इनकी सुंदरता, इनकी बनावट, इनकी विरासत करीब-करीब एक समान है, जिसके कारण इन दोनों गुफाओं का नाम हमेशा एक साथ ही लिया जाता है। अजंता-एलोरा की गुफाओं को १९८३ में वर्ल्ड हेरिटेज की सूची में शामिल किया गया था। आर्कियोलॉजिस्ट की एक रिसर्च के मुताबिक, इन गुफाओं का निर्माण करीब ४००० साल पहले हुआ था। इन गुफाओं को बनाने उस वक्त कौन सी तकनीक इस्तेमाल में लाई गई होगी, यह रहस्य ही है। अनुमान है कि अजंता-एलोरा की गुफाएं लगभग ४० लाख टन की चट्टानों से मिलकर बनाई गई है।

प्राचीन काल में बनाई गई ये गुफा कडे़ परिश्रम का नतीजा है। यूनेस्को ने इसे विश्व धरोहर के रूप में रखा है। भारत में पर्यटन स्थल लोगों को हमेशा अपनी ओर आकर्षित करने में तत्पर रहते हैं। ऐसी अनोखी गुफा आपको मंत्रमुग्ध किए बिना मानेगी नहीं और आप यहाँ आने से खुद को रोक नहीं पाएंगे।

घूमने का सर्वोत्तम समय: अक्टूबर से मार्च

कैसे पहुँचे:

हवाई मार्ग से: गुफाएं औरंगाबाद हवाई अड्डे से लगभग १०० किमी दूर हैं, जो भारत के प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।

ट्रेन द्वारा: जलगांव रेलवे स्टेशन निकटतम रेलवे स्टेशन है, जो ६० किमी की दूरी पर स्थित है। यदि आप सोच रहे हैं कि मुंबई और देश के अन्य शहरों से अजंता एलोरा गुफाओं में यात्रा करने के लिए पहुंच सकते है।

सड़क मार्ग द्वारा: मुंबई, हैदराबाद, औरंगाबाद और अहमदाबाद जैसे विभिन्न पड़ोसी स्थानों से सड़क मार्ग द्वारा औरंगाबाद आसानी से पहुंचा जा सकता है।

औसत तापमान:३७ डिग्री सेल्सियस

Post Views: 19