तवांग

खूबसूरत और ऐतिहासिक स्थलों के लिए मशहूर

अरुणाचल प्रदेश में स्थित तवांग जो की भूटान की सीमा के पास जुड़ा हुआ है ये जगह पर्यटकों के बीच काफी मशहूर है । तवांग अपनी खूबसूरत और ऐतिहासिक स्थलों के लिए जाना जाता है और यहाँ ज्यादा तर समय बर्फ बारी होती है इसलिए हर साल काफी संख्या में पर्यटक यहाँ घूमने आते हैं 

‘तवांग’ भारत की सबसे खूबसूरत और रोचक जगहों में से एक है । इस जगह को रहस्यों की खदान भी कहा जाता है। वैसे तो यह जगह मठ होने की वजह से बहुत प्रसिद्ध है लेकिन यहां और भी कई सारी ऐसी बातें हैं, जगह हैं जो कि इसे अन्य दर्शनीय स्थलों से विचित्र बनाती है। अरुणाचल प्रदेश में स्थित तवांग मठ भारत का सबसे बड़ा और एशिया का दूसरा सबसे बड़ा मठ है। इस मठ का मुख्य आकर्षण यहां स्थित भगवान बुद्ध की २८ फीट ऊंची प्रतिमा और प्रभावशाली तीन तल्ला सदन है। मठ में एक विशाल पुस्तकालय भी है, जिसमें प्राचीन पुस्तक और पांडुलिपियों का बेहतरीन संकलन है। 

तवांग शब्द में ‘ता’ का अर्थ होता है- ‘घोड़ा’ और ‘वांग’ का अर्थ होता है- ‘चुना हुआ’।  पौराणिक कथाओं के अनुसार इस स्थान का चुनाव मेराग लामा लोड्रे ग्यामत्सो के घोड़े ने किया था। मेराग लामा लोड्रे ग्यामत्सो एक मठ बनाने के लिए किसी उपयुक्त स्थान की तलाश कर रहे थे। उन्हें ऐसी कोई जगह नहीं मिली, जिससे उन्होंने दिव्य शक्ति से मार्गदर्शन प्राप्त करने के लिए प्रार्थना करने का निर्णय लिया। प्रार्थना के बाद जब उन्होंने आंखे खोली तो पाया कि उनका घोड़ा वहां पर नहीं है। वह तत्काल अपना घोड़ा ढूंढने लगे। काफी परेशान होने के बाद उन्होंने अपने घोड़े को एक पहाड़ की चोटी पर पाया। इसी चोटी पर मठ का निर्माण किया गया और नामकरण किया गया।

तवांग में मोनपा जनजाति रहती है। मोनपा समुदाय के त्योहार मुख्य रूप से कृषि और धर्म से जुड़े होते हैं। तवांग के मोनपा हर साल कई त्योहार मनाते हैं। इन्हीं में से एक है लोसर। यह नए साल का त्योहार है जिसे कि फरवरी अंत और मार्च की शुरुआत में मनाया जाता है। दूसरे त्योहारों में तोरग्या भी अहम है। इसे हर साल लुनार कैलेंडर के अनुसार ११वें महीने की २८वीं तारीख को मनाया जाता है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह आमतौर पर जनवरी में पड़ता है।  ऐसा माना जाता है कि यह त्योहार उन दुष्ट आत्माओं को खदेड़ने के लिए मनाया जाता है, जो मनुष्य के साथ-साथ फसलों में भी बीमारियां पैदा करती हैं।

तमांग की मोनपा जनजाति कला के क्षेत्र में बहुत ज्ञान और रुचि रखती है। यहां के लोगों ने थनका पेंटिंग और हाथ से बने पेपर के जरिए भी काफी नाम कमाया है। कहा जाता है इसमें इन्हें महारत हासिल है। इनकी कलाओं में लकड़ी का मुखौटा भी प्रमुख है। इसका इस्तेमाल तोरग्या त्योहार के दौरान तवांग मठ के प्रांगण में होने वाले नृत्य के दौरान किया जाता है। दोलोम एक कलात्मक रूप से डिजाइन किया गया खाने का बर्तन है, जिसका ढक्कन लकड़ी का बना होता है। शेंग ख्लेम एक लकड़ी का बना चम्मच है। ये सब भी यह लोग खुद से बनाते हैं।

तवांग में घूमने की जगह 

सेला पास : सेला पास तवांग का सबसे अच्छा पर्यटक स्थल माना जाता हे जो की तवांग से ७५ व्स् की दूरी पर है। ये जगह काफी उचाई पर हे और यहाँ पर स्थित पैराडाइस लेक सबसे सुन्दर हे इसे देखने के लिए ही यहाँ पर सबसे ज्यादा पर्यटक आते हैं इसके अलावा यहाँ पर आप काफी सारे बौद्ध गुफा भी देख सकते हैं और यहाँ पर ज्यादा तर समय बर्फ बारी होता है, इसलिए इस जगह को जाना बनता ही है।

नूरानांग झरना 

तवांग से ४० व्स् पहले जुंग नाम का एक छोटा गांव आता है जहाँ पर आपको देखने को मिलेगा नूरानांग झरना जो की करीब १०० मीटर की ऊपर से गिरता है, लोग इसे बोंग बोंग वॉटरफॉल भी कहते हैं और बहुत कम पर्यटक हैं जिनको इसके बारे में पता होता है।

तवांग मोनेस्ट्र: 

भारत की पहली और दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी मोनेस्ट्री है तवांग मोनेस्ट्री। यहाँ पर आकर आपको बौद्ध धर्मको बहुत करीब से देखने का मौका मिलेगा। ये बौद्ध मठ इतना बड़ा हे की आपका आधा दिन तो सिर्फ इसे देखने में ही लग जायेगा। अगर आप बौद्ध धर्मो को करीब से जानना हे तो आप वहां जा सकते हो ।

तकसंग गोम्पा 

तवांग से सिर्फ ४५ व्स् दूर स्थित है तकसंग मोनेस्ट्री और इस रास्ते में आपको बहुत सारी झीलें देखने को मिलेगी। ये जगह बहत खूबसूरत है , इस जगह तक जाने के लिए कोई भी उचित सड़क नहीं है इसलिए ये जगहें बहुत संकरी और गड्ढों से भरी हुयी है और इस मोनेस्ट्री के सामने आपको एक संकरी सीढ़ियां मिलेगी जो पहाड़ की ऊपर तक जाती है जहाँ पर आप ट्रेकिंग कर सकते है।

माधुरी झील 

कहते हैं की अगर आप तवांग जाके माधुरी झील नहीं घूमे तो आपका तवांग घूमना अधूरा रह जायेगा दरसल माधुरी लेक पर्यटकों के बीच काफी प्रसिद्ध है, जो की तवांग से तक़रीबन ४५ व्स् की दूरी पर है कोयला फिल्म में माधुरी दीक्षित ने इस झील पर एक गाने में नृत्य किया था तभी से इस झील को माधुरी झील से लोग जानने लगे। 

बुमला पास 

माधुरी झील के उलटी दिशा में १७ व्स् के दूरी पर स्थित है बुमला पास जो की इंडिया चाइना बॉर्डर पर बना एक पास है, जहां तक आने के लिए आपको आर्मी की अनुमति लेनी पड़ती है, जो की आपको एक दिन पहले जाकर करनी पड़ती है। आप किसी टैक्सी ड्राइवर से बात करके अनुमति ले सकते है, क्योंकि यहाँ के लोगों की सरकारी दफ्तर में पहचान होती है और इससे आपका समय बचता है।