धनिया एक वार्षिक जड़ी बूअी का पौधा है जिसका प्रयोग रसोई में मसाले के तौर पर किया जाता है। इसके बीजों, तने और पत्तों का प्रयोग अलग अलग पकवानों को सजाने और स्वादिष्ट बनाने के लिए किया जाता है। इसके पत्तों में विटामिन सी भरपूर मात्रा में होता है। घरेलू नूस्खों में इसका प्रयोग दवाई के तौर पर किया जाता है। इसे पेट की बिमारियों, मौसमी बुखार, उल्टी, खांसी और चमड़ी के रोगों को ठीक करने के लिए प्रयोग किया जाता है। इसकी सब से ज्यादा पैदावार और खप्त भारत में ही होती है। भारत में इसकी सब से ज्यादा खेती राजस्थान में की जाती है। मध्य प्रदेश, आसाम, और गुजरात में भी इसकी खेती की जाती है।
धनिया भारत की प्रमुख मसाला फसलों में से एक है। इसकी खेती भी भारत में बहुत बड़े पैमानें पर की जाती है जिसे हम मसाला फसल के रूप में जानते है। धनिया के पौधे से प्राप्त बीज और पौधे दोनों को उपयोग किया जाता है। धनिया की पत्ती का प्रयोग हम सब्जी में डालकर सब्जी को स्वादिष्ट बनाने के लिए करते है और धनिया की चटनी तो हर कोई खाना चाहता है। कृषि एक्सपर्ट की मानें तो इसके बीज में वाष्पशील तेल पाया जाता है, जो हमारे खानें को और भी स्वादिष्ट बनाता है। भारत के कुछ हिस्सों में धनिया के बीज का प्रयोग हम तेल, कैंडी, शराब, सूप बनाने के लिए भी करते है। धनिया के प्रयोग से साबुन और खुशबूदार चीजों को भी बनाया जाता है।
भारत में भी धनिया की खेती बहुत प्रमुखता से की जाती है , मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, आंध्रप्रदेश धनिया का उत्पादन करने वाले प्रमुख राज्य है। धनिया हमारे शरीर को भी कई बीमारी से बचाती है , इसके अंदर कैल्शियम, आयरन, फाइबर, विटामिन-ए, सी, कैरोटिन और कॉपर आदि चीजें पाई जाती है। डॉ की मानें तो अगर आप नियमित रूप से धनिया के दो बीज प्रतिदिन चबाते है तो आपको कभी भी शुगर नहीं होगा। आज के समय में धनिया की खेती काफी फायदेमंद खेती मानी जाती है।
हाइब्रिड धनिया की किस्मे रोगों और कीटों के प्रति प्रतिरोधी होती है जिसके कारण फसल को कोई हानि नहीं पहुंचती है हाइब्रिड धनिए की किस्मे स्वादिष्ट और सुगंध के साथ कम समय में तैयार होने वाली किस्मे होती है हाइब्रिड बीज से तैयार की गई फसल पारंपरिक बीज से तैयार फसल की तुलना में अधिक समय तक टिकती है और ताजी बनी रहती है इसलिए हाइब्रिड धनिए की खेती आपके लिए बहुत फायदेमंद हो सकती है।
हाइब्रिड धनिए की किस्मो को विभिन्न प्रकार की किस्मों से वर्षों की मेहनत करके विकसित किया जाता है जिसमें उनके विशेष अच्छे गुणो को बढ़ाने के लिए सालों मेहनत की जाती है इसके बाद यह उच्च उपज और बेहतर स्वाद तथा लंबी लाइफ और कीटों तथा बीमारियों के प्रति प्रतिरोधी बन पाती है जिसके कारण किसानों को फसल से सामान्य खेती की तुलना में हाइब्रिड किस्म से अधिक उपज और लाभ होता है।
हाइब्रिड धनिया की किस्मो का चुनाव
पहले आपको अपने क्षेत्र की जलवायु और मिट्टी के अनुसार ही हाइब्रिड धनिए की किस्मो का चुनाव करना चाहिए क्योंकि धनिए की अलग-अलग किस्म की जलवायु और मिट्टी मांग अलग-अलग होती है इसलिए आपको अपने जिले के कृषि विज्ञान केंद्र पर जाकर अपने क्षेत्र के लिए उपयुक्त हाइब्रिड धनिए की किस्म की जानकारी ले लेनी चाहिए। संकर धनिया की खेती के लिए मिट्टी तैयार करना एक महत्वपूर्ण कार्य है धनिया की हाइब्रिड किस्म के लिए ६ से ७ के बीच पीएच मान स्तर वाली तथा अच्छी जल निकास वाली भूमि उपयुक्त रहती है खेत की अच्छे से जुताई करके मिट्टी में जैविक पदार्थ जैसे कंपोस्ट खाद या सड़ी हुई गोबर की खाद डालनी चाहिए।
हाइब्रिड धनिया की खेती करने के लिए वर्षा ऋतु का मौसम सबसे अच्छा होता है इस मौसम में बोए गए धनिए के बीज तेजी के साथ अंकुरित होते हैं वर्षा ऋतु के मौसम में धनिए के बीज बोते समय उसे समय मिट्टी की नमी को ध्यान में रखकर बीज की बुवाई करनी चाहिए धनिया की खेती से आप १५ अक्टूबर से १५ नवंबर के बीच भी बुवाई करके अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। मिट्टी की अच्छे से तैयारी करने के बाद मिट्टी को ढीली करके और बड़े गुच्छो को हटाकर बीज की क्यारियां तैयार की जाती है।
खेत में नाली बनाते समय नाली के बीच की दूरी १५ से २० सेंटीमीटर रखनी चाहिए।
बीज की बुवाई करते समय दो बीज के बीच की दूरी २ से ३ सेंटीमीटर होनी चाहिए यदि आप कूड़ो में बीज की बुवाई करते हैं तो समान रूप से बीज की बुवाई कर सकते हैं। धनिया के बीज की बुवाई करने के बाद उनको ऊपर पतली मिट्टी की परत से ढक देते हैं और हल्के हाथ से दबा देते हैं। बीजों की बुवाई करने के बाद खेत में हल्की सिंचाई कर देनी चाहिए अधिक सिंचाई करने से बीज सड़ सकते हैं।
हाइब्रिड धनिए की फसल में सिंचाई कैसे करें
हाइब्रिड धनिए की खेती करने के लिए उचित पानी और सिंचाई की आवश्यकता होती है इसलिए पौधों को नियमित रूप से पानी देकर मिट्टी में नमी बनाए रखना चाहिए तथा गर्म दिनों में अधिक सिंचाई की जानी चाहिए। आवश्यकता अनुसार ही पानी देना चाहिए अत्यधिक पानी देने से पौधों की जड़े सड़ने लगते हैं और पानी से संबंधित बीमारियां और किट का भी संक्रमण हो जाता है। इस प्रकार की समस्या से बचने के लिए उचित जल निकास की व्यवस्था करनी चाहिए यदि आंख आपके क्षेत्र में जल भराव की अधिक समस्या रहती है तो आप ड्रिप सिंचाई विधि या स्प्रिंकरण प्रणाली का भी उपयोग कर सकते हैं।
यदि आपके क्षेत्र में पानी की कमी है तो आप पौधों के चारों ओर की मिट्टी को मल्चिंग के द्वारा मिट्टी की नमी को सुरक्षित रख सकते हैं और साथ ही खरपतवार की समस्या से भी छुटकारा पा सकते हैं।
खाद एवं उर्वरक प्रबंधन
सबसे पहले अप्ानी मिट्टी की जांच कर लेनी चाहिए कि आपकी मिट्टी में किसी भी प्रकार पोषक तत्वों की कमी तो नहीं है इसके बाद रोपण से पहले मिट्टी में अच्छी तरह से संतुलित जैविक उर्वरक या खाद मिलनी चाहिए जब पौधे कुछ बड़े हो जाए या वनस्पति अवस्था के दौरान पौधों को नाइट्रोजन युक्त उर्वरक देने चाहिए। धनिया के पौधे में फूल आने और फल लगने के दौरान पोटेशियम और फास्फोरस उर्वरकों का उपयोग करना चाहिए ऐसा करने से पैदावार अधिक होती है।
धनिया की खेती में खरपतवार नाशक दवा उपयोग
धनिए की खेती में खरपतवार के द्वारा ४० से ४५ज्ञ् तक उपज कम हो सकती है इसलिए धनिया की खेती में खरपतवार नियंत्रण करना एक सबसे महत्वपूर्ण कार्य होता है धनिया की खेती में नीचे दी गई खरपतवार नाशक दवा का उपयोग कर सकते हैं।
पेडिमिथलीन ३० Eण् – इस खरपतवार नाशी दवा का उपयोग धनिए की बुवाई के बाद खरपतवार नियंत्रण करने के लिए किया जाता है इस दवा को बुवाई के दो से तीन दिन बाद ६०० से ७०० लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टर छिड़काव किया जाता है।
क्विजोलोफाप इथाईल ५ Eण् – इस दवा का उपयोग भी धनिए की खेती में खरपतवार नियंत्रण करने के लिए किया जा सकता है इसकी ५० ग्राम मात्रा प्रति हेक्टेयर ६०० से ७०० लीटर पानी में १५ से २० दिन के अंतराल पर किया जा सकता है।
हाइब्रिड धनिए में कीट एवं रोग प्रबंधन हाइब्रिड धनिया की किस्मे कीट और बीमारियों के प्रति प्रतिरोधी होते हैं किंतु कुछ स्थिति में हाइब्रिड धनिया की फसल में भी कीट और रोग लगा सकते हैं इसलिए उनका निवारण करना बहुत आवश्यक होता है। किट और रोगों से बचने के लिए फसल चक्र का उपयोग करना चाहिए।
कीट या रोग से प्रभावित पौधों को खेत से निकाल कर रख कर देना चाहिए।
रोग प्रतिरोधी या कीट प्रतिरोधी किस्मो का इस्तेमाल करना चाहिए।
धनिया के पौधे की नियमित रूप से देखभाल करनी चाहिए।
एफिडस या लीफ माइनर जैसे सामान्य किट के प्रबंध के लिए नीम का तेल, लहसुन पर आधारित स्प्रे का उपयोग कर सकते हैं।
यदि आपको कीट या रोगों को नियंत्रित करने में कोई परेशानी आ रही हो तो आप कृषि विशेषज्ञ की सलाह ले सकते हैं।
हाइब्रिड धनिए की कटाई कब और कैसे करें
धनिया की फसल ८० से ९० दिनों में कटाई के योग्य हो जाती है धनिए को पौधों के आधार से काटना चाहिए यदि आप बीज उत्पादन के लिए धनिए की खेती कर रहे हैं तो आप परिपक्व होने तक जब तक बीज बुरे ने हो जाए तब तक कटाई ना करें।
कटाई के बाद क्या करें
किसी भी प्रकार की श्रुति ग्रस्त या बदरंग पत्तियों को या बीजों को निकाल देना चाहिए और किसी भी प्रकार की गंदगी या मलबे को हटाने के लिए कटी हुई धनिया की पत्तियों को अच्छी तरह से धोकर साफ कर लेना चाहिए धनिए की पैकिंग या भंडारण करने से पहले पत्तियों को आंशिक रूप से हवा में सुख लेना चाहिए।
धनिया की पत्तियों को रखने के लिए छिद्रित प्लास्टिक बैग का उपयोग करना चाहिए जिसका तापमान २ से ४ डिग्री सेल्सियस के तापमान पर रेफ्रिजरेटर में रखना चाहिए तथा धनिए के बीजों का स्वाद और सुगंध बनाए रखने के लिए इन्हें एयर टाइट कंटेनर में ठंडी और सुखी जगह पर रखना चाहिए।